फिल्म समीक्षा: मस्तीजादे

बतौर फिल्म राइटर अपने करियर की शुरुआत करने वाले मिलाप जवेरी 'मस्तीजादे' से निर्देशन के क्षेत्र में उतरे हैं। पटकथा लेखक के रूप में आई उनकी फिल्मों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि उनका पसंदीदा विषय 'सेक्स कॉमेडी' है। द्वीअर्थी संवाद, फुहड़ कॉमेडी और घटिया व्हाट्अप मैसेज से बनाए गए सीन्स से भरी इस फिल्म को सनी लियोन का डबल रोल भी नहीं बचा पाया। ख़ैर, क्या यह 'सेक्स कॉमेडी' फिल्म दर्शकों को थिएटर तक खींचने में सफल होगी। समीक्षा तो होनी ही चाहिए, पढ़िए आप भी।

मस्तीजादे फिल्म के पोस्टर में तुषार कपूर, वीर दास, सनी लियोन (डबल रोल) और राइटर डाइरेक्टर मिलाप जवेरी
फिल्म का नाम:     मस्तीजादे
निर्माता:                रंगीता नंदी
निर्देशक:              मिलाप जवेरी
कलाकार:             सनी लियोन, वीर दास, तुषार कपूर, सुरेश मेनन, शाद रंधावा और असरानी
अवधि:                 1 घंटा 48 मिनट
रेटिंग:                   1 स्टार

'मस्ती', 'हे बेबी', 'ग्रैंड मस्ती' और 'क्या कूल हैं हम' 3 को लिखने वाले मिलाप जवेरी की डायरेक्टेड फिल्म 'मस्तीजादे' बीते शुक्रवार रिलीज हुई। यह फिल्म एक सेक्स कॉमेडी है।

कई बार अचानक मिली सफलता सिलसिलेवार विफलताओं की जननी होती है। बॉलीवुड में मौजूद ऐसे सैंकड़ों उदाहरणों में मिलाप जवेरी नए नाम के रूप में शामिल हो गए हैं।

कुछ सालों पहले से ही हिन्दी सिने जगत में 'सेक्स कॉमेडी' का चलन शुरू हुआ है। इस चलन को शुरू करने में वालों में मिलाप की मेहनत को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

ख़ैर, उनकी लिखी फिल्म 'क्या कूल हैं हम' 3 हाल ही में रिलीज़ हुई और उसे मुंह की खानी पड़ी। उनकी यह फिल्म भी उसी श्रेणी की ही है, जो किसी भी स्तर पर मनोरंजन करते नहीं दिखती।

इस फिल्म में 'एक पहेली लीला' के बाद एक बार फिर सनी लियोनी इस डबल रोल में नजर आ रही हैं। उनके अलावा फिल्म में तुषार कपूर और वीरदास भी अहम भूमिका में हैं।

कहानी

यूं तो यह फिल्म बिना कहानी की ही है। फिर भी कुछ कहानीनुमा चीज़ तो है, सो आपको बताते हैं। फिल्म की कहानी दो कॉपी राइटर्स सनी केले (तुषार कपूर) और आदित्य चोटिया (वीर दास) के इर्द-गिर्द घूमती है।

दोनों बाद में खुद की फर्म शुरू करते हैं। ट्विस्ट तब आता है, जब लेले सिस्टर्स (लिली लेले और लैला लेले) यानी सनी लियोनी की इंट्री होती है।

दोनों सिस्टर एक ऐसा ऑर्गनाइजेशन चलाती हैं, जहां सेक्स एडिक्ट लोगों का ट्रीटमेंट किया जाता है। सनी और आदित्य को लेले सिस्टर्स से प्यार हो जाता है। बाकी का देखने का मन हो, तो थिएटर जाएं।

पटकथा

ताज़ा ताज़ा निर्देशक बने मिलाप ने ही इस फिल्म की कहानी लिखी है। द्वीअर्थी संवादों और सनी की क्लीवेज का भरपूर इस्तेमाल किया है।

घटिया व्हाट्स अप मैसेज को अपनी रचनात्मकता से सीन गढ़कर फुहड 'सेक्स कॉमेडी' फिल्म बनाने में मिलाप पूरी तरह से सफल रहे हैं। तुषार और वीर दास से घटिया संवाद बुलवाने में भी उन्हें कामयाबी मिली है।

अभिनय

सनी लियोन ने अपने किरदार को अच्छी तरह से निभाया। सनी ने साबित भी किया कि मिलाप ने उनको अपने मन में बैठा कर ही यह किरदार भी लिखा होगा। तुषार कपूर तो मैन स्ट्रीम सिनेमा से लुप्त हो गए हैं और ऐसास लगता है कि उन्हें भी 'सेक्स कॉमेडी' करने में मजा आने लगा है। 

बैक टू बैक एक ही तरह की दो फिल्में दी हैं तुषार ने। वक्त है तुषार सम्भल जाओ। खैर, तुषार और वीरदास ने भी अपने किरदार अच्छी तरह से निभाए हैं। सनी के गे भाई के किरदार में दिखे सुरेश मेनन फनी लगे हैं। देशप्रेमी सिंह के रोल में शाद रंधावा ने शानदार काम किया है।

संगीत

फिल्म के सॉन्ग्स 'रोम रोम रोमांटिक', 'होर नच' और 'देखेगा राजा ट्रेलर' ठीक हैं। बाकी किसी सॉन्ग में कुछ खास नहीं है।

देखें या ना देखे

यदि आप एडल्ट हैं और आपको सेक्स कॉमेडी और सनी लियोन पसंद हो, तो आपके लिए इस रविवार यह एक बेहतर विकल्प हो सकता है। वह दर्शक जो इसके नाम 'मस्तीजादे' में 'मस्ती' एलीमेंट खोजने जाने वाले हैं, वो न जाए, तो बेहतर है ही। क्योंकि लेखक 'सेक्स कॉमेडी' में से 'कॉमेडी' को भूल गया और उसके दिमाग़ में सिर्फ़ 'सेक्स' ही बचा रहा।

संबंधित ख़बरें
फिल्म समीक्षा: एयरलिफ्ट