फिल्म समीक्षा: अनारकली ऑफ आरा

अपनी बेहतरीन अदाकारी के दम पर बॉलीवुड में अलग पहचान बनाने वाली अदाकारा स्वरा भास्कर फिल्म ‘अनारकली ऑफ आरा’ की ‘अनारकली’ के रूप में पर्दे पर आई हैं। यह फिल्म रंगीन नाच से लोगों का मनोरंजन करने वाली और खुद का पेट पालने वाली लड़की की बेरंग ज़िंदगी की कहानी है। 

Swara Bhaskar in Movie Anarkali of Aara
फिल्म : अनारकली ऑफ आरा
निर्माता : संदीप कपूर
कलाकार : स्वरा भास्कर, पंकज त्रिपाठी, संजय मिश्रा
संगीत : रोहित शर्मा
रेटिंग: 3/5

स्वरा भास्कर की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म कई गंभीर मुद्दों की तरफ ध्यान खींचती है। बिहार की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को किस हद तक रास आती है, वो बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन ही बता पाएगा, लेकिन आइए फिलहाल फिल्म पर बात करते हैं। 

कहानी

इस फिल्म की कहानी है बिहार के आरा जिले की, जहां पर गायिका अनारकली (स्वरा भास्कर) स्टेज परफॉर्मर है। यही पेशा अनारकली की मां का भी था। बचपन में एक समारोह में दुर्घटना के दौरान अनारकली की मां की मृत्यु हो जाती है, जिसके बाद अपनी रोजी-रोटी के लिए वो स्टेज परफॉर्मर बन जाती है। 

अनारकली का एक छोटा सा बैंड है, जिसका हिसाब-किताब रंगीला (पंकज त्रिपाठी) देखता है। तभी शहर के दबंग ट्रस्टी धर्मेंद्र चौहान का (संजय मिश्रा) का दिल अनारकली पर आ जाता है। 

फिर कुछ ऐसा घटनाक्रम होता है कि धर्मेंद्र चौहान से बचकर अनारकली को दिल्ली भागना पड़ता है। कहानी में कई मोड़ आते हैं। इस दौरान कई गंभीर मुद्दों को उठाती हुई, उन पर सवाल करती हुई आगे बढ़ती है। 

निर्देशन

सीमित संसाधनों के प्रयोग से अच्छी फिल्म बनाने का प्रयास सराहनीय है। फिल्म देखते वक्त लगता है कि वाकई बिहार के किसी छोटे कस्बे में आप दाखिल हो गए हैं। 

ठेठ देसीपन के स्वाद को फिल्म में उतारने की कोशिश काबिल-ए-तारीफ है। हालांकि, फिल्म के कई डायलॉग्स में कुछ कसर रह गई, लेकिन क्लाइमैक्स पर टीम ने बेहतरीन काम किया 

अभिनय

अब यदि अभिनय की बात की जाए, तो तीनों मुख्य कलाकारों की अदाकारी लाजवाब रही है। ख़ासतौर पर अनारकली, स्वरा ने अभी तक का बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया है। देसी गायिका के किरदार को जिस बखूबी से उन्होंने निभाया है, वो लाजवाब है। 

वहीं कई जगहों पर पंकज त्रिपाठी ने भी अपना लोहा मनवाया है। पंकज की बॉडी लैग्वेज पर गजब का कमांड है। इसके अलावा संजय मिश्रा का अभिनय हमेशा की तरह वास्तविक रहा। कहीं भी नहीं लगा कि जैसे वो अभिनय कर रहे हों। 

संगीत

कही जाए, तो यह फिल्म पूरी तरह संगीत के तारों में ही पिरोई गई थी। फिल्म का संगीत कर्णप्रिय है। ख़ासतौर पर जो लोग उत्तर प्रदेश और बिहार से ताल्लुक रखते हैं, उनके लिए ट्रीट की तरह है। 

ख़ास बात

जब बात करें अच्छे सिनेमा की, तो इस फिल्म को ‘मस्ट वॉच’ की लिस्ट में रखें। ज़मीना हकीकत पर बनी गंभीर मुद्दों को उठाती एक मनोरंजक फिल्म है। 

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