फिल्म समीक्षा : फेमस

कभी तिग्मांशू धुलिया के अस्सिटेंट रहे एक्टर, राइटर करण बुटानी ‘फेमस’ लेकर आए हैं। फिल्म ‘साहेब बीबी और गैंगस्टर’ में बतौर अभिनेता नज़र आने वाले करण, काफी कुछ उसी जॉनर की फिल्म लेकर आए हैं। जैकी श्रॉफ, केके मेनन, पंकड त्रिपाठी, जिमी शेरगिल, माही गिल और श्रिया सरन सरीखे कलाकारों से सजी फिल्म की आइए करें, समीक्षा...

फेमस रिव्यू
फिल्म : फेमस
निर्माता : राज खत्री, अमिताभ चंद्रा, सुमित जावड़ेकर, निवेदिता कोठारी
निर्देशक : करण बुटानी 
कलाकार : जैकी श्रॉफ, जिमी शेरगिल, पंकज त्रिपाठी, केके मेनन, श्रिया सरन, माही गिल
संगीत : कृष्णा सोलो, संदीप गोस्वामी, सूर्य विश्वकर्मा, आकाश प्रजापति
जॉनर : रोमांटिक क्राइम ड्रामा
रेटिंग : 2/5

‘वाल्मिकी की बंदूक’ और ‘बुल बुल बंदूक’ नाम की शॉर्ट फिल्म बनाने वाले एक्टर, राइटर और असिस्टेंट डायरेक्टर करण बुटानी ने अबकी बार ‘फेमस’ नाम की फीचर फिल्म लेकर आए हैं। आइए क्या कमाल किया है करण ने...

कहानी

फिल्म की कहानी चंबल की। जहां एक शादी के दौरान दबंग शंभू यानी जैकी श्रॉफ के हाथों एक दुल्हन को गोली लग जाती है, जिसके बाद उसे जेल जाना पड़ता है। शंभू के जेल जाते ही उसके गिरोह का कड़क सिंह यानी केके मेनन बाहुबली बन जाता है। 

उसी इलाके के मंत्री राम विजय त्रिपाठी यानी पंकज त्रिपाठी, जो अपनी अश्लील हरकतों के लिए बदनाम हैं। उनकी नज़र स्कूल टीचर रोज़ी यानी माही गिल पर पड़ती है। उससे मंत्री जी जबरदस्ती करते हैं और उस दौरान रोज़ी की मृत्यु हो जाती है, जिसकी वजह से राम विजय को भी जेल जाना पड़ता है। 

इस कहानी का अगला किरदार है राधे, जो रोज़ी का स्टूडेंट रहता है। राधे, रोज़ी को मन ही मन चाहता है। हालांकि, बीतते वक्ते के साथ वो रोज़ी को भूल जाता है और फिर उसकी शादी लल्ली यानी श्रिया सरन से हो जाती है। 

वहीं कड़क सिंह राधे के एक अहसान तले दबा है और उसने उसे वजन दिया है कि राधे और उसकी पत्नी की वो हमेशा रक्षा करेगा। लेकिन तभी राम विजय जेल से छूट कर आता है और उसकी नज़र लल्ली पर पड़ती है। 

अब लल्ली को पाने के लिए कड़क सिंह पर वो दबाव बनाता है, क्योंकि राम विजय की मदद के बिना कड़क सिंह बीहड़ों पर राज नहीं कर पाएगा। न चाहते हुए भी कड़क सिंह को राम विजय की मदद करनी पड़ती है। 

अब आगे क्या होता है, उसके लिए सिनेमाघर तक जाना पड़ेगा। या फिर टीवी पर आने का इंतज़ार कीजिए। 

समीक्षा

उम्दा कलाकारों के साथ लेकर बनी एक लचर फिल्म है, जिसका निर्देशन काफी खराब हुआ है। दरअसल, जब फिल्म शुरू होती है, तो लगता है कि एक अलहदा फिल्म देखने को मिलेगी, लेकिन ज्यूं-ज्यूं फिल्म आगे बढ़ती जाती है, फिल्म निर्देशक के हाथों से छूटती जाती है। 

रियल लोकेशन पर कैमरे ने कुछ खूबसूरत दृश्य तो कैद किए हैं, लेकिन किरदार पूरे तरीक़े से खुल नहीं पाए हैं। फिल्म का ट्रीटमेंट बहुत खराब है। एडिटिंग टेबल पर भी इस फिल्म में काफी कमियां छूट गई हैं। फिल्म में इतने लूप होल्स हैं कि आप एक बार भीतर गए, तो निकल नहीं पाओगे। 

अभिनय की बात करें, तो पंकज त्रिपाठी ने अपने किरदार को जबरदस्त तरीके से निभाया है। बाकी कलाकारों में जिमी शेरगिल, केके मेनन, श्रिया सरन ने बस खाना पूर्ति सा ही किया है। माही गिल को फिल्म में लेकर उनका सही से इस्तेमाल नहीं किया गया है। जबकि जैकी श्रॉफ के लिए फिल्म में कुछ था ही नहीं। 

अब इस फिल्म के संगीत की चर्चा न ही की जाए, तो बेहतर है।

ख़ास बात

पंकज त्रिपाठी के मुरीद हैं, तो फिल्म देखने जाएं। वरना वीकेंड गुज़ारने के और भी विकल्प हैं।

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