फिल्म समीक्षा : पंगा

अश्विनी अय्यर तिवारी की अगली पेशकश है ‘पंगा’। बिना किसी ज्यादा ताम-झाम के सरलता से कहानी कहने वाली अश्विनी ख़ास तरह के निर्देशकों में गिनी जाने लगी हैं। उनकी ‘पंगा’ में कंगना रनौत मुख्य भूमिका में हैं। फिर आइए देखते हैं, कैसी बनी है ‘पंगा’।

कंगना रनौत, नीना गुप्ता, जस्सी गिल
फिल्म : पंगा
निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज़
निर्देशक : अश्विनी अय्यर तिवारी
कलाकार : कंगना रनौत, जस्सी गिल, नीना गुप्ता, रिचा चड्ढा, योग्य भसीन
म्यूजिक : शंकर-अहसान-लॉय, संचित बलहारा
जॉनर : स्पोर्ट्स ड्रामा
रेटिंग : 4/5

सहजता से कहानी कहना बड़ा मुश्किल काम है। बिना किसी ताम-झाम और एडवांस तकनीक के इस्तेमाल किए बिना भी फिल्म बनाई जा सकती है। यह बात अश्विनी अय्यर तिवारी साबित करती हैं। ‘निल बट्टे सन्नाटा’ और ‘बरेली की बर्फी’ के बाद अश्विनी ‘पंगा’ नाम की फिल्म लेकर आई हैं। फिल्म में कंगना रनौत अहम भूमिका में है और कबड्डी प्लेयर की भूमिका में हैं, जो कमबैक कर रही है। 

कहानी

यह कहानी है जया निगम (कंगना रनौत) की, जो भारतीय महिला कबड्डी टीम की कप्तान रह चुकी हैं। वह अपने समय की सर्वश्रेष्ठ रेडर थी। जया की शादी प्रशांत (जस्सी गिल) से हो जाती है। शादी के बाद वह कबड्डी खेलना जारी रखती हैं। दरअसल, जया एशिया कप में टीम का नेतृत्व करने वाली होती है, तभी उन्हें पता चलता है कि वो प्रेग्नेंट हैं। ऐसे में जया सोचती है कि बच्चे को जन्म देने के बाद वो वापसी करेगी, लेकिन उसका बेटा आदित्य (यज्ञ भसीन) जन्म के समय बहुत कमजोर होता है और उसका इम्यून सिस्टम कमजोर रहती है। ऐसे में बच्चे की देखबाल के लिए जया अपने सपने को तिलांजलि दे देती है। वह भोपाल में रेलवे की नौकरी के साथ घर-गृहस्थी में ही खो जाती है। अब लोग उसे भूल चुके हैं, जिसका उसे काफी तकलीफ भी है, लेकिन बेटे-पति से अपनी इस तकलीफ के बारे में कुछ नहीं कहती है। 

एक दिन जया अपने बेटे के स्पोर्ट्स डे पर नहीं पहुंच पाती, जिससे वो खासा नाराज हो जाता है। बेटे की नाराजगी को देखते हुए, प्रशांत उसे बताता है कि तुम्हारी देख-भाल करने के लिए तुम्हारी मम्मी ने अपने सबसे प्यारी चीज कबड्डी को छोड़ दिया था,। तब आदित्य अपने पिता के साथ अपनी मां की कबड्डी में कमबैक की तैयारियों में जुट जाता है। इसी दौरान, जया के साथ कबड्डी खेल चुकी मीनू (रिचा चड्ढा) का ट्रांसफर भोपाल हो जाता है और वो जया की कमबैक में मदद करती है। 

जया की मेहनत क्या रंग लाती है, कमबैक किस हद तक मुकम्मल होता है, जानने के लिए थिएटर जाइए।

समीक्षा

बिना किसी खलनायक के कहानी को इतने दिलचस्प तरीके से बयां करने का हुनर अश्विनी को खूब आता है। कमबैक पर कई फिल्में पहले भी आ चुकी हैं, लेकिन अश्विनी ने जिस खूबसूरती से इस फिल्म को कहा है, वो काबिल-ए-तारीफ है। 

स्क्रिप्ट और डायलॉग्स कमाल के हैं। ‘पंगा’, उनकी अभी तक आई दोनों फिल्मों से कहीं आगे और बेहतर है। फेमिनिज्म का राग अलापे बिना ही महिला सशक्तिकरण की बात को पूरी सच्चाई के साथ उन्होंने पेश किया है। इस फिल्म के माध्यम से देश में महिला कबड्डी और कबड्डी खिलाड़ियों की स्थिति के बारे में भी ध्यान खींचा है। 

फिल्म में इमोशन भी है, कॉमेडी भी है और सभी कुछ बड़ा नाप-तौल के है। कुछ भी कहीं भी ठूंसा हुआ सा नहीं है। हालांकि, फर्स्ट हॉफ के मुकाबले सेकेंड हॉफ कुछ सुस्त सा था। जया की ट्रेनिंग वाला सीन कुछ ज्यादा ही खींच दिया गया, लेकिन क्लाइमैक्स ने सब बराबर कर दिया। 

अभिनय के मामले में जया निगम की भूमिका में कंगना रनौत जबरदस्त रहीं। फिल्म में निभाए गए, पत्नी, मां, बेटी, भूली-बिसरी खिलाड़ी सभी किरदारों में जान डालती हैं। जहां जया की आंखों की बेबसी दर्शकों की आंखें भिगो देता है, तो वहीं कमबैक करने का जज्बा दर्शकों में भर देता है। जया को गुस्सा आता है, तो दर्शक भी तिलमिला जाते हैं। 

वहीं प्रशांत की भूमिका निभाने वाले जस्सी गिल भी बहुत सहज और बेहतर दिखे। आदित्य की भूमिका निभाने वाले यज्ञ भसीन ने भी शानदार काम किया है। रिचा चड्ढा का काम भी अच्छा रहा। वहीं नीना गुप्ता ने अपने छोटे-से किरदार में छाप छोड़ी है।

बाकी कलाकारों में मेघा बर्मन, स्मिता ताम्बे भी इंप्रेसिव रहीं। भारतीय टीम के कोच के रूप में राजेश तैलंग का अभिनय अच्छा रहा।

वैसे तो फिल्म प्रीडेक्टेबल है, लेकिन फिर भी फिल्म के अगले सीन को देखने की हुलस कायम रही है। संगीत भी ठीक-ठाक है। 

कुल-मिलाकर ‘पंगा’ एक कबड्डी खिलाड़ी के कमबैक की कहानी नहीं है, बल्कि उम्मीदों के कमबैक कहानी है। आसपास मौजूद कितने ही लोगों ने दूसरों के सपनों की खातिर अपने सपनों को तिलांजलि दिया है, एक दफा उनकी तरफ मुड़कर उनके सपनों के कमबैक की कोशिश करने की अपील करती है ‘पंगा’।

ख़ास बात

अच्छी-सच्ची और मनोरंजक और प्रेरणादायी फिल्म देखने का विचार है, तो यह फिल्म ‘मस्ट वॉच’ की कैटेगरी में आती है।

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