यहां पढ़िए ऑस्कर में तहलका मचाने वाली फिल्म 'पैरासाइट' की कहानी

वर्ल्ड सिनेमा में जिस फिल्म की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, उसका नाम है 'पैरासाइट'। मई 2019 में रिलीज़ हुई इस साउथ कोरियन फिल्म ने सभी फिल्म फेस्टिवल्स में अपनी धमक बनाए रखी। ऑस्कर अवॉर्ड्स में भी छह कैटगरी में नॉमिनेट होकर, चार अवॉर्ड अपने नाम दर्ज करवा गई। आखिर ऐसा क्या है इस फिल्म में, क्या है इसकी कहानी, आपके भीतर भी इसे लेकर काफी उत्सुकता होगी, तो फिर हम आपके लिए लाए हैं 'पैरासाइट' की कहानी की झलकियां। पढ़िए और फिर जब मौका मिले, तो इस फिल्म को देख भी लीजिए। 

Song Kang-ho as Kim Ki-taek, Choi Woo-shik as Kim Ki-woo, Park So-dam as Kim Ki-jeong, Jang Hye-jin as Kim Chung-sook
सबसे पहले बात फिल्म 'पैराइसाइट' के निर्देशक बॉग-जून-हो की। यह खुद को मार्टिन स्कॉर्सिस का फैन कहते हैं। ऑस्कर सरीखे के प्लेटफॉर्म पर अपनी फिल्म का नाम आने भर से अल्हादित होते हुए कहते हैं कि मेरे आइडल के साथ मेरी फिल्म फिल्म की बात हो जाना ही मेरे लिए उपलब्धि है, लेकिन अब फिल्म को इतना प्यार, सम्मान मिला है कि मैं अपनी खुशी को बयां नहीं कर पा रहा हूं। 

यही नहीं बॉग-जून हो फिल्म निर्माता-निर्देशक क्विंटन टेरेनटीनो का भी जिक्र करते हैं और कहते हैं कि क्विंटन मेरी फिल्मों के प्रशंसक रहे हैं और जब मुझे कोई नहीं जानता था, तब भी क्विंटन की लिस्ट में मेरी फिल्में हुआ करती थीं। आज उनके साथ मेरी फिल्म भी ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई। यह वाकई अपनेआप में काफी खास है। 

फिल्म लिखने की प्रक्रियां को एकाकी बताते हुए कहते हैं कि जब आप फिल्म लिखते हैं, तो किसी अवॉर्ड को ध्यान में रखकर नहीं लिखते हैं। यह तो पूरी तरह से एकाकी और रचनात्मक प्रक्रिया है। 

बतादें कि फिल्म 'पैरासाइट' 30 मई 2019 को साउथ कोरिया में रिलीज़ हुई थी और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने झंडे गाड़ दिए थे। फिल्म ने वर्ल्डवाइड 1157 करोड़ की कमाई की। ब्लैक कॉमेडी थ्रिलर जॉनर की फिल्म ने बेस्ट फिल्म, बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म, ऑरिजनल स्क्रीनप्ले और बेस्ड डायरेक्शन का ऑस्कर अवॉर्ड अपने नाम किया है। बता दें फिल्म को छह कैटगरी में नॉमिनेशन मिला था।

अब 'पैरासाइट' के बारे में इतना सब तो आपको पता चल गया, चलिए अब आपको कहानी भी सुना ही दें। 

'पैरासाइट' कोरिया में रहने वाले एक गरीब परिवार की कहानी है। यह परिवार एक छोटे से सेमी-बेसमेंट अपार्टमेंट में रहता है। पिता की-ताइक, मां चुंग-सूक, बेटी की-जियॉग और बेटा की-वू है। परिवार के चारो सदस्य काम करते हैं, लेकिन आमदनी काफी कम होती है। हालांकि, घर की दीवारों पर टंगे मैडल इस बात की तस्दीक करते हैं कि बच्चे काफी प्रतिभावान हैं।

बेहद खस्ता माली हालत वाले इस परिवार की ज़िंदगी में मोड़ तब आता है, जब बेटा की-वू से मिलने उसका पुराना दोस्ता आता है। दरअसल, वो दोस्त एक अमीर परिवार की बेटी को अंग्रेज़ी की ट्यूशन देता था, लेकिन अब उसे विदेश जाना है। ऐसे में उस अमीर आदमी की बेटी के लिए ट्यूटर की ज़रूरत होगी। इसलिए की-वू का दोस्त कहता है कि क्यों न वो उस अमीर आदमी की लड़की को अंग्रेजी की ट्यूशन दे दे। 

यह प्रस्ताव काफी अच्छा है, लेकिन दिक्कत इसमें भी है। दरअसल, की-वू का अंग्रेज़ी में हाथ अच्छा है, लेकिन उसके पास डिग्री नहीं है। बिना डिग्री के उसे ट्यूटर की जॉब नहीं मिल सकती थी। इस समस्या का समाधान भी की-वू का दोस्त ही करता है। वो नकली डिग्री बनाने को कहता है। आखिर में वो डिग्री बन जाती है। 

की-वू अपनी डिग्री के साथ उस अमीर आदमी के घर जाता है। उस अमीर आदमी के घर में भी चार सदस्त हैं। मिस्टर एंड मिसेज पार्क और एक बेटा, एक बेटी। पार्क फैमिली की-वू से काफी इंप्रेस्ड हो जाती है और उसे ट्यूटर की जॉब दे देती है। 

धीरे-धीरे की-वू के परिवार के बाकी सदस्य भी इस पार्क परिवार में जॉब पा लेते हैं। बेटी की-जियॉग खुद को आर्ट थैरेपिस्ट, पिता की-तियाक ड्राइवर और मां चुंग-सूक हाउसकीपर बन जाते हैं। इस तरह पार्क परिवार में किम परिवार पूरी तरह घुस जाते हैं। 

सबकुछ पटरी पर चल ही रहा होता है कि अचानक एक दिन फिर नया भूचाल आ जाता है। दरअसल, पार्क फैमिली कैंपिंग के लिए गई होती है और इधर घर में किम परिवार पूरे घर के मजे ले रहा होता है, तभी पार्क परिवार की पुरानी हाउसकीपर घर पर आ जाती है और सारा माजरा समझ जाती है। 

किम परिवार का राज खुल जाता है, लेकिन उस हाउसकीपर मून-ग्वांग का भी एक राज है, जो उस घर के नीचे स्थित बेसमेंट में बंद है। दरअसल, उस बेसमेंट में मून-ग्वांग का पति है, जो कर्जदारों से छुप कर यहां रहता है। 

अब मून-ग्वांग और किम परिवार एक-दूसरे के राजदार हैं और दोनों एक-दूसरे के राज को छुपाने के लिए कहते हैं। तभी दोनों के बीच झगड़ा हो जाता है और मून-ग्वांग और उसका पति घायल हो जाते हैं। किम परिवार दोनों पति-पत्नी को बेसमेंट में बांधकर बंद कर देते हैं। 

इसी बीच ख़राब मौसम के चलते पार्क परिवार वापस लौट आते हैं और फिर मौसम सुधरने के बाद मिस्टर पार्क घर में पार्टी अनाउंस करते हैं। कुछ दिनों बाद घर में पार्टी चल रही है। मेहमान आए होते हैं, तभी की-वू बेसमेंट में जाता है और पाता है कि मून-ग्वांग की मौत हो चुकी है। की-वू संभलता, उससे पहले ही मून-ग्वांग का पति उस पर हमला कर देते हैं और वहां से भाग निकलता है। 

मून-ग्वांग बदहवास सा भागता है, उसे अपनी पत्नी की मौत का बदला लेना है। बेसमेंट से ऊपर आकर वो किचन से चाकू उठाता है और की-जियॉग के सीने में खोप देता है। अफरा-तफरी मच जाती है, लेकिन इस पार्टी के होस्ट मिस्टर पार्क को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि की-जियॉग मर गई। इस बात से पिता की-तियाक को काफी गुस्सा आता है और वो मिस्टर पार्क की इस अनदेखी से नाराज होकर उसको ही मार देता है। 

कहानी कुछ हफ्ते आगे बढ़ती है, तो देखने को मिलताहै कि की-वू अब ठीक है। वह मून के पति के हमले की वजह से कोमा में चला गया था। फिलहाल की-वू और उसकी मां पर फ्रॉड का आरोप लगा है। दोनों जेल में हैं। जबकि उसकी बहन की-जियॉग की मौत हो चुकी है और पिता पर कत्ल का इल्ज़ाम है और वो फरार है। 

वहीं मिस्टर पार्क का घर एक जर्मन परिवार को बेच दिया गया है। इसी बीच की-वू को अपने फरार पिता का संदेश मिलता है कि वो मिस्टर पार्क के घर के बेसमेंट में छुपा हुआ है। की-वू अपने पिता से वादा करता है कि एक दिन वो बड़ा आदमी बनेगा और खूब पैसा कमाएगा। फिर अपने पूरे परिवार को एकसाथ कर देगा। 

फिल्म बड़ी सहजता से बताती है कि जिन्हें समाज 'पैरासाइट' यानी परजीवी कहती है। दरअसल, वो अपने जीवन की मूलभूत जरूरतों को पूरा करने के लिए जूझते हैं। प्रतिभावान होते हुए भी उनको वो अवसर नहीं मिल पाता, जिसके वो अधिकारी हैं। कई बार वो इन्हें पाने के लिए गलत नीतियों को अपना लेते हैं, जिसका खामियाजा उनके साथ अन्य को भी भुगतना पड़ जाता है।