'सरफरोश' का 'मिर्ची सेठ' और 'चंद्रकांता' का 'क्रूर सिंह' बन जाता लेक्चरर

'चंद्रकांता' के 'क्रूर सिंह' और आमिर खान की फिल्म 'सरफरोश' के 'मिर्ची सेठ' अखिलेंद्र मिश्रा ने हिम्मात करके पिता से एक्टर बनने के सपने का जिक्र न किया होता, तो वो आज एक्टर के बजाय, लेक्चरर बन गए होते। इस बात का खुलासा खुद अखिलेंद्र ने किया। 

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'यक्कू...' बोलता 'क्रूर सिंह' नब्बे के दशक में टीवी पर छा जाने वाले अखिलेंद्र मिश्रा ने अपने करियर में एक से बढ़ एक भूमिकाएं की हैं। चाहें वो आमिर खान की फिल्म 'सरफरोश' में 'मिर्ची सेठ' हों या फिर 'लगान' में 'अर्जन', या फिर अजय देवगन की 'द लीजेंड ऑफ भगत सिंह' में 'आज़ाद चंद्रशेखर', 'गंगाजल' में 'डीएसपी भूरेलाल' या फिर सलमान खान की फिल्म 'रेड्डी' में 'अमर चौधरी'...ऐसे न जाने कितने किरदारों को जीवंत करने वाले अखिलेंद्र मिश्रा के लिए अभिनेता बनना इतना आसान न था। 

अपने एक्टिंग करियर को लेकर अखिलेंद्र कहते हैं,' मेरी मां हमेशा चाहती थी कि मैं इंजीनियर बनूं। उनकी इच्छा की खातिर में इंजीनियरिंग कॉलेज के इंटरेंस एग्जाम्स देने लगा, लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली।'

वो आगे कहते हैं, ' फिर मैंने फिजिक्स ऑनर्स के साथ साइंस से ग्रेजुएशन किया। मैंने ग्रेजुएशन फ्लाइंग कलर्स के साथ किया था। बाद में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। तब के दौर में जो भी बीएसी और एमएससी में अच्छे मार्क्स लाता था, उसे यूनिवर्सिटी से लेक्चरर बनने का ऑफर मिल जाता था। मुझे भी ऑफर लेटर मिला था।'

अखिलेंद्र ने बताया, 'ऑफर लेटर देख कर मेरे माता-पिता भी यही चाहते थे कि मैं किसी कॉलेज में लेक्चरर बन जाऊं, लेकिन मेरे सपने अलग थे। मैं अपना करियर अलग क्षेत्र में बनाना चाहता था।'

उनका कहना है कि गांव में होने वाले छोटे-छोटे नाटकों में वो हिस्सा लेते रहे और बाद में एक ग्रुप में शामिल हो गए। इसके बाद उस ग्रुप के साथ शहरों में प्रदर्शन करने के लिए चले गए। फिर उन्हें लगा कि वो इंजीनियर नहीं, तो एक्टर तो पक्का ही बन सकते हैं। हालांकि, इसके लिए माता-पिता को राज़ी करना एक काफी मुश्किल काम था। 

अखिलेंद्र ने आखिर कैसे अपने पिता को इसके लिए राज़ी किया। इसका किस्सा साझा करते हुए कहते हैं, 'हम बच्चे अपने माता-पिता का काफी लिहाज करते थे। यहां तक कि पिता से सीधे तौर पर कुछ मांगने के लिए नहीं गए। जब भी हमें कुछ चाहिए होता था, तो मां हमारा पुल होती थी। हमारी तरफ से मां ही पिता जी के सामने हमारी बात रखती थी। ऐसे ही जब मैंने एक्टर बनने के अपने विचार को मां से कहा, तो उन्होंने कहा कि तू इंजीनियर तो बन नहीं पाया, एक्टर क्या बनेगा। मां की तरफ से कभी भी मुझे पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिला। फिर मैंने एक दिन साहस किया और अपने पिता के पास गया। अपने मन की बात उनसे कही, तो उन्होंने तुरंत ही हामी भर दी। मुझे एक्टर बनने की अनुमति मिलते ही, सबको अचरज हुआ। हालांकि, मुझे लगता है कि उनको नहीं पता था कि चीजें इनती आगे बढ़ेंगी।'

वाकई अखिलेंद्र लंबा सफर तय किया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत साल 1990 में आए धारावाहिक 'उड़ान' से शुरू किया था। इसके बाद वो कई फिल्मों में भी दिखाई दिए। 

फिलहाल वो आनंद सागर की 'रामायण' में 'रावण' की भूमिका में नज़र आ रहे हैं। यह धारावाहिक दंगल टीवी पर प्रसारित हो रहा है।

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