Breathe Into The Shadows Review : ढीले स्क्रीनप्ले ने डुबाई लुटिया

अभिषेक बच्चन ने 'ब्रीद: इनटू द शैडो' से अपना डिजिटल डेब्यू किया है। इस वेब सीरीज़ के पहले सीज़न में आर माधवन नज़र आए थे और उनकी परफॉर्मेंस की काफी तारीफ हुई थी। हालांकि, स्टोरी भी उतनी ही शानदार थी। अब दूसरे सीज़न में अभिषेक बच्चन हैं और कहानी नई है, लेकिन अमित साध इस बार भी सीज़न का हिस्सा हैं। इस बार की कहानी एक पिता की गुमशुदा बच्ची और उसकी तलाश के इर्द-गिर्द है। कहानी क्या मोड़ लेती है, किन रास्तों से गुजरती है, चलिए जानते हैं।

Abhishek A bahchcan's web series 'Breath: into the shadows' review
वेब सीरीज़ : ब्रीद इनटू द शैडोज
निर्देशक: मयंक शर्मा
कलाकार: अभिषेक ए बच्चन, अमित साध, नित्या मेनन, ऋषिकेश जोशी, प्लाबित बोरठाकुर, सैयामी खेर, श्रुति बापना, रेशम श्रीवर्धनकर, श्रद्धा कौल
ओटीटी: अमेज़न प्राइम वीडियो
एपिसोड : 12
रेटिंग: 2/5
जॉनर : क्राइम ड्रामा थ्रिलर


अभिषेक बच्चन अब अभिषेक ए बच्चन हो गए हैं, और इस बात की जानकारी वेब सीरीज़ 'ब्रीद: इनटू द शैडोज' देखकर होती है। नाम बदल लिया है, लेकिन एक्टिंग में कितना बदलाव आया है, वो सीरीज़ देखने के बाद आप खुद तय करें। मयंक शर्मा के निर्देशन में तैयार इस वेब सीरीज़ में अभिषेक के साथ नित्या मेनन, सैयामी खेर हैं, तो वहीं पिछले सीज़न की तरह अमित साध इस सीज़न में भी दिखाई देंगे। गुमशुदा पुत्री की तलाश में जुटे पिता की कहानी, किस दिलचस्प मोड़ ले जाती है, आइए जानते हैं।

कहानी

इस सीरीज़ की कहानी दिल्ली में रहने वाले एक कपल डॉक्टर अविनाश सबरवाल (अभिषेक बच्चन) और शेफ आभा सबरवाल (नित्या मेनन) की है, जिनकी 6 साल की बच्ची सिया अचानक एक दिन गायब हो जाती है। सिया का किडनैप किसने और क्यों किया है। इसका पता 9 महीनों तक नहीं चल पाता है और एक दिन अचानक किडनैपर अविनाश और आभा को मैसेज भेजता है कि यदि उन्हें अपनी बच्ची सही सलामत चाहिए, तो वो उसके बताए रास्ते पर चलें।

यह किडनैपर अविनाश और आभा से कुछ लोगों के मर्डर करवाना चाहता है। अब अविनाश और आभा इस किडनैपर के रास्ते पर चलेंगे या नहीं ? और यदि इसका कहना मानकर चलेंगे, तो क्या इन्हें सिया वापस मिल पाएगी, यह आपको सीरीज़ में जानने को मिलेगा।

समीक्षा

अभिषेक बच्चन ने इस सीरीज़ से अपना डिजिटल डेब्यू किया है। अपने नाम में भी बदलाव करते हुए अब वो अभिषेक ए बच्चन हो गए हैं, लेकिन एक्टिंग के मामले में अभी भी कापी कुछ सुधारना है। ऐसा नहीं है कि अभिषेक ने बेहतरीन परफॉर्मेंस नहीं दी है, लेकिन उन्हें परफॉर्म करवाने के लिए वो निर्देशक भी चाहिए। अब बात इस वेब सीरीज़ की करें, तो अधितर समय उनके चेहरे पर कोई भाव दिखाई नहीं देता है। हल्के-फुल्के माहौल में वो फिर भी अच्छे लगते हैं, लेकिन ग्रे-शैड में वो इंप्रेस नहीं कर पाते।

नित्या मेनन ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। वहीं अमित साध भी बेहतरीन रहे। सैयामी खेर काफी कम समय के लिए रही, लेकिन इसमें भी वो अपना असर छोड़ गईं। वहीं प्लाबिता बोरठाकुर, ऋषिकेश जोशी, श्रुति बापना, रेशम श्रीवर्धनकर, और श्रद्धा कौल ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया।

मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर या स्प्लिट पर्सनालिटी जैसे विषय के आसपास कई कहानियां गढ़ी गई हैं, जिन्होंने दर्शकों की धड़कनें बढ़ाई हैं, लेकिन 'ब्रीद: इनटू द शैडोज' इस मामले में बेअसर रही है। इस सीरीज़ का स्क्रीनप्ले ढीला है, क्योंकि 40-45 मिनट लम्बे एपिसोड थोड़ा सा थका देते हैं। वहीं एडिटिंग में भी कसर रह गई, जिसकी वजह से यह सीरीज़ बोझिल हो जाती है।

ख़ास बात

यह सीरीज़ ठीक है, बेहतरीन की उम्मीद थी, लेकिन वो बेमानी ही रही। वहीं पहले के मुकाबले यह सीज़न ठंडा रहा। इस सीरीज़ आप देखेंगे, लेकिन कई बार लगेगा कि बस छोड़ दें। कुल मिलाकर मामला यह है कि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर क्राइम थ्रिलर के इतने ऑप्शन हैं कि कुछ भी थोड़ा-सा कम होने पर दर्शक आगे बढ़ जाता है। 

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