Undekhi Review: नीट एंड क्लीन टाइप की क्राइम थ्रिलर

अमीर और प्रभावशाली लोगों के लिए कानून खिलौना है। इसे कई बार सुना होगा, तो कई सारे उदाहरण से भी आप दो-चार हुए होंगे। भ्रष्टाचार से भरे सिस्टम को लेकर न जाने कितनी ही फिल्में बनी हैं और अब एक वेब सीरीज़ भी हाल ही में रिलीज़ हुई है। सोनी लिव पर रिलीज़ हुई क्राइम थ्रिलर 'अनदेखी' की कहानी सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करती है। बाकी ह सीरीज़ कैसी बनी है, जानने के लिए पढ़िए रिव्यू।

Web series 'Undekhi' review

वेब सीरीज़ : अनदेखी
निर्देशक और क्रियेटर : आशीष आर शुक्ला, वरुण बडोला,
कलाकार : दिब्येंदु भट्टाचार्य, हर्ष छाया, अंकुर राठी, सूर्य शर्मा, आंचल सिंह, अभिषेक चौहान, अपेक्षा पोरवाल, आईन जोया, वरुण भगत, सयांदीप सेनगुप्ता, मीनाक्षी सेठी, अंकुर राठी,राजेन्द्र सिंह अटवाल, दिवाकर ध्यानी।
ओटी टी चैनल : सोनी लिव
एपिसोड: 10
रेटिंग : 3/5
जॉनर: क्राइम थ्रिलर


सोनी लिव की वेब सीरीज़ 'अनदेखी' की कहानी को एक सत्य घटना के इर्द-गिर्द बुना गया है। फिक्शन, उसे कहते हैं, जिसे हमने कभी देखा या जिया न हो, यह बात इस वेब सीरीज़ को देखने के बाद कहा जा रहा है। इसलिए इस वेब सीरीज़ की कहानी को असल के करीब कहा जा रहा है। आशीष आर शुक्ला के निर्देशन में बनी इस सीरीज़ की समीक्षा।

कहानी

कहानी की शुरुआत पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में एक पुलिसकर्मी की तफ्तीश से होती है। दरअसल, यहां एक पुलिसकर्मी की हत्या हो जाती है और इस हत्या का शक शादी और अन्य समारोहों में डांस करने वाली दो आदिवासी लड़कियों पर है, जो अपने गांव से फरार हैं। इनकी खोज में डीसीपी घोष (दिव्येंदु भट्टाचार्य) मनाली आता है। इधर, मनाली में रिसॉर्ट के मालिक और रसूखदार पापा जी (हर्ष छाया) के बेटे दमन (अंकुर राठी) की शादी की तैयारियां हो रही हैं। हर वक्त नशे में धुत रहने वाले पापा जी के लिए हर समस्या का हल गोली मार देना है। उनसे ज्यादा खतरनाक उनका दत्तक पुत्र रिंकू (सूर्या शर्मा) है। उसके लिए पापा जी का हर आदेश सर्वोपरि है। अमेरिका से लौटे दमन ने खुद को आपराधिक गतिविधियों से दूर कर रखा है। शादी से पहले आयोजित पार्टी में नशे में चूर पापा जी एक डांसर को गोली मार देते हैं। कैमरामैन (अभिषेक चौहान) उस घटनाक्रम को रिकॉर्ड कर लेता है। मारी गई डांसर आदिवासी लड़की है। पापा जी को बचाने की कोशिश में रिंकू किस प्रकार सबूतों को मिटाता है। डीसीपी घोष की ईमानदारी किस प्रकार उसके राहों का रोड़ा बनती है और फिर शुरू होता है शह-मात, सौदेबाज़ी, मारने-बचने का रोमांचक खेल।

समीक्षा

इस वेब सीरीज़ को इसकी राइटिंग और एडिटिंग ने खास बना दिया है। सिद्धार्थ सेनगुप्ता, मोहिन्द्र प्रताप सिंह, उमेश पडालकर और वरुण बडोला की लिखी स्क्रिप्ट को निर्देशक आशीष आर शुक्ला ने जबरदस्त तरीके से साकार किया है।

समाज में व्याप्त सच्चाई को बिना ज्यादा ज्ञान दिए दर्शकों के सामने परोस दिया है। पितृ सत्तात्मक समाज का आईना जिस तरह से दर्शकों को दिखाया जाता है, वो सोचने पर मजबूर करता है।

वहीं इसकी एडिटिंग की भी तारीफ बनती है। एडिटर राजेश पांडेय ने कमाल काम किया है। उन्होंने हर एक एपिसोड को इतने शानदार तरीके से आकार दिया है कि दर्शक सीरीज़ खत्म होने के बाद सोचते हैं कि इसके इतने कम एपिसोड क्यों थे?

इसके अलावा मर्जी पगड़ीवाला का कैमरा वर्क, अनिनदिता सोमित्रा चतुर्वेदी की सेट डिजाइनिंग और अनुद दंडित और शिवम सेनगुप्ता का बैकग्राउंड स्कोर इस सीरीज में जान फूंक देते हैं।

अब बात इस सीरीज़ के कलाकारों की। इक्का-दुक्का को छोड़ दिया जाए, तो इस सीरीज कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जिसे नामचीन कैटेगरी में रखा जाएगा। ताकि दर्शकों को खुद तक यह सीरीज़ खींच कर ले आए, लेकिन जब यह सीरीज़ खत्म होती है, तो आप इसके सभी कलाकारों के फैन बन जाते हैं। हर्ष छाया, अपेक्षा पोरवाल, अनी जोया, अंकुर राठी, अभिषेक चौहान, आंचल सिंह, वरुण भगत, देब्येन्दु भट्टाचार्य और दिवाकर ध्यानी जैसे शानदार कलाकारों से सजी 'अनदेखी' का हर एक सीन बेमिसाल है। ये सभी कलाकार अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय करते दिखते हैं।

ख़ास बात

'अनदेखी' 10 एपिसोड की सीरीज़ है, जिसका हर एपिसोड आधे घंटे से थोड़ा लंबा है, लेकिन इसे खत्म करने में आपको साढ़े 6 घंटे आराम से लगेंगे। हालांकि, ये समय खर्चना करना आपको खलेगा नहीं, क्योंकि ‘अनदेखी’ काफी समय के बाद आई बड़ी नीट एंड क्लीन टाइप क्राइम थ्रिलर सीरीज़ है।

इस सीरीज़ को देखते हुए बीच-बीच में आपको करिश्मा कपूर वाली ‘शक्ति’ और प्रकाश झा की ‘राजनीति’ जैसी फिल्में भी याद आएंगी। यह सीरीज़ पूरी गति से अपने अंजाम की ओर बढ़ती चली जाती है और खत्म होने के साथ दूसरे सीज़न की गुंजाइश छोड़कर जाती है। 

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