साहित्यकारों पर बोले गुलज़ार

मशहूर गीतकार और पटकथा लेखक गुलज़ार साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए, उनकी मंशा पर शंका ज़ाहिर कर रहे हैं। साथ ही यह भी कह रहे हैं कि असल कसूरवार कौन है यह भी जानकारी होना ज़रूरी है ....

साहित्यकारों पर बोले गुलज़ार
मुंबई। इन दिनों एक के बाद एक कई साहित्यकार अपने साहित्य अकादमी पुरस्कारों को लौटा रहे हैं। ये सभी दादरी मामले पर सरकार के रवैये का प्रदर्शन करते हुए और साथ ही साहित्यकारों असुरक्षा का मुद्दा उठाकर 
इस अकादमी पुरस्कार को वापस कर रहे हैं।

साहित्य अकादमी और विवाद

वैसे तो कई दिनों से यह विवाद चल रहा है और हर दिन नया नाम सामने आ जाता है। इस मुद्दे पर अब तक गुलज़ार की कोई भी टीका-टिप्पणी सामने नहीं आई थी। 

ऐसे में अपने लेखन का लोहा मनवा चुके गुलज़ार जब सबके सामने आए, तो लोगों ने उनसे इस बारे में राय जानने की कोशिश की। और गुलज़ार ख़ुद भी खुलकर बोले। साथ ही मजबूत तर्कों के साथ कुछ सवाल भी दागे।

सबसे पहले तो वे साहित्यकारों के रवैये के में अपनी राय ज़ाहिर करते हुए बोले, '' लेखक पुरस्कार लौटाकर अपना आक्रोश को तो व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन उन्हें यह भी देखना होगा कि इसके लिए क्या साहित्य अकादमी दोषी है? "

साहित्यकारों को कठघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि पहले दोष किसका है, यह जानना बेहद ज़रूरी है। वे अपनी बात में आगे कहते हैं कि साहित्यकारों की हिफ़ाजत करना साहित्य अकादमी का काम नहीं है। इसके लिए तो सरकार को ही कदम उठाना पड़ेगा।

गुलज़ार आगे कहते हैं कि साहित्यकारों के इस कदम से कहीं ऐसा संदेश तो नहीं जा रहा है कि सहित्यकारों से साहित्य अकादमी पुरस्कार संभाला ही नहीं जा रहा और इसका भार अब सरकार आकर संभाले।

पटना में एक कार्यक्रम में शिरकत करने आए गुलज़ार ने यह भी कहा कि अभी साहित्य अकादमी ने सरकार से साहित्यकारों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित कराने की मांग की है। अब ये देखने लायक होगा कि सरकार इस पर भविष्य में क्या कदम उठाती है?

आख़िर में उन्होंने कहा कि पुरस्कार लौटाने में किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन हाल- फिलहाल के दिनों में पुरस्कार वापसी में राजनीति नज़र आ रही है।

वे अपनी चिंता ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, '' सरकार अगर साहित्यकारों का ख़याल नहीं रख पा रही तो गड़बड़ी है, लेकिन साहित्य अकादमी पुरस्कार सरकार तो नहीं देती है। यह तो साहित्य अकादमी देती है, जो स्वायत्त संस्था है। पुरस्कार लौटाकर कहीं हम अधिकार तो नहीं छोड़ रहे हैं "

सरकार के मंसूबे अच्छे

यहां सिर्फ़ साहित्यकारों पर ही नहीं बोले बल्कि सरकार पर भी अपनी बात कहीं। साहित्यकारों की हालत के लिए वे सरकार को दोषी ठहराते हुए कहते हैं कि साहित्यकारों की हालत के लिए सरकार जिम्मेदार है। 

"हालांकि, मोदी सरकार के मंसूबे को अच्छा ठहराते हुए कहते हैं," इस सरकार के मंसूबे तो अच्छे हैं, लेकिन काम आम आदमी तक पहुंचेगा, तब तो पता चलेगा। "

शुक्रवार को एक होटल में पटनावासियों से रू-ब-रू हुए गुलज़ार ने कहा, "एक चैनल पर पिछले दिनों बहस चल रही थी, उसमें भी साहित्यकारों में एकजुटता नहीं दिखी। 

फिलहाल लेखक अपनी बात तो कह रहा है। डर है कि कहीं हम यह अधिकार भी खो न दें। एक अच्छी बात आज सुनने को मिली कि साहित्य अकादमी ने सरकार से इस मसले को लेकर साहित्यकारों की सुरक्षा की बात उठाई है। "

साहित्य नाटक अकादमी पुरस्कार 2015 प्राप्त करने के बाद सभी कलाकर

संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संगीत, कला एवं नाटक के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करने वाले विभिन्न क्षेत्रों के 39 कलाकारों को वर्ष 2014 के संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शुक्रवार को प्रदान किया।

राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में वर्ष 2014 के लिए चार कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप (अकादमी रत्न सदस्यता) और 35 को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार राष्ट्रपति ने प्रदान किया, जबकि एक कलाकार पुरस्कार लेने नहीं आए थे।

अकादमी फेलोशिप पुरस्कार पाने वाले कलाकारों को ताम्रपत्र और तीन लाख रुपए का चेक और अकादमी पुरस्कार पाने वालों को एक प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपए का चेक दिया गया।

संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों को सबसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान माना जाता है, जो प्रदर्शन कलाकारों एवं शिक्षकों तथा प्रदर्शन कलाओं के क्षेत्र से जुड़े विद्वानों को प्रदान किया जाता है।

संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप पुरस्कार पाने वालों में एस। आर। जानकीरमण, एम। एस। सत्यु, विजय कुमार किचलू और तुलसीदास वसंत बोरकर शामिल हैं।

राष्ट्रपति ने जिन 35 कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया, उनमें अश्विनी भिड़े देशपांडे, नाथ नेरालकर, नयन घोष, रोनू मजूमदार, असगर वजाहत, उमा डोगरा, सूर्य मोहन कुलश्रेष्ठ, रामदयाल शर्मा, अब्दुल रशीद हफीज और कलामंडलम राम मोहन शामिल हैं।