फिल्म समीक्षा: घायल वंस अगेन

बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल लंबे समय के बाद परदे पर वापसी कर रहे हैं। एक जमाने में 'घायल' बेहतरीन एक्शन फिल्म थी। यह फिल्म एक्शन सीन्स की ट्रेंड सेटर के रूप में देखी जाती है। अबकी बार सनी ने वापसी के लिए अपनी इस फिल्म की सीक्वल का बहाना लिया है। इस बार वे 'घायल वंस अगेन' लेकर आए हैं। फिल्म की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां ये खत्म हुई थी। अजय मेहरा 14 साल जेल की सजा काट कर बाहर आया है। लेकिन उसे हालात अभी भी वैसे ही नजर आ रहे हैं। यह फिल्म बतौर निर्देशक सनी की दूसरी फिल्म है। इससे पहले वे साल 1999 में आई फिल्म 'दिल्लगी' को निर्देशित कर चुके हैं। अब बारी है उनकी नई पेशकश 'घायल वंस अगेन' की समीक्षा का, तो आइए डालते हैं विभिन्न पहलुओं पर निगाह।

'घायल वंस अगेन' सनी देओल के एक्शन के दीवानों के लिए है । सनी जादू अभी भी बरकरार है।
फिल्म - घायल वंस अगेन
निर्माता - धर्मेंद्र
निर्देशक - सनी देओल
कलाकार - सनी देओल, सोहा अली खान, ओम पुरी, नेरेंद्र झा, शिवम पाटिल, अंचल मुंजाल,
नेहा खान और ऋषभ अरोड़ा
संगीतकार - विपिन मिश्रा और शंकर एहसान लॉय
जॉनर - एक्शन ड्रामा
रेटिंग - 3.5


सनी देओल निर्देशन में बनी फिल्म 'घायल वन्स अगेन' रिलीज गई है हो। फिल्म 26 साल पहले रिलीज हुई 'घायल' की सीक्वल है। खास बात यह है कि 17 साल बाद सनी देओल ने इस फिल्म के जरिये निर्देशन के क्षेत्र में भी वापसी की है। 

इससे पहले उन्होंने साल 1999 में 'दिल्लगी' का निर्देशन किया था, जो काफी सफल रही थी। 'दिल्लगी' में सनी के साथ बॉबी देओल और उर्मिला मातोंडकर मुख्य भूमिका में थीं। अब बात करते हैं उनकी दूसरी फिल्म 'घायल वंस अगेन' की।

कहानी

कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां फिल्म 'घायल' खत्म हुई थी। अजय मेहरा यानी सनी देओल एसीपी जॉय डिसूजा के आगे सरेंडर करता है और उसे जेल भेज दिया जाता है। 14 साल बाद जब वह वापस लौटता है, तो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरू करता है। 

इसके लिए वो एक अखबार शुरू करता है और बतौर पत्रकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी मुहिम को शुरू करता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब भ्रष्ट बिजनेसमैन राज बंसल (नरेंद्र झा) का बेटा एक समाजिक कार्यकर्ता की बेरहमी से हत्या कर देता है और इसके चश्मदीद गवाह चार युवा रोहन (शिवम पाटिल), अनुष्का (अंचल मुंजाल), रेणु (नेहा खान ) और वरुण (ऋषभ अरोड़ा) रहते हैं। 

अब इन चारों युवाओं की जान के पीछे कारोबारी राज बंसल पड़ जाता है और उसे उन चारों युवाओं को बचाने के लिए अजय मेहरा कमर कसता है। इस दिलचस्प जंग में जीत किसकी होगी, देखने के लिए फिल्म देखना होगा।

निर्देशन

बतौर निर्देशक सनी देओल ने इस फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की है। उन्होंने काफी कोशिश की है कि फिल्म कुछ नयेपन के साथ दिखे, लेकिन कहीं न कहीं नब्बे की झलक ही इसमें दिखने को मिलती है। 

फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा धीमा जरूर है, लेकिन दर्शकों को सीट से बांधे रखने में कामयाब रहा। वहीं दूसरा हाफ काफी तेज रहा। इसके क्लामैक्स में हॉलीवुड फिल्म 'ट्रू लाइज' की हल्की झलक तो मिलती है, फिर भी निर्देशन में कसावट नज़र आती है।

अभिनय

सनी देओल का अभिनय प्रभावी है। वहीं, नरेंद्र झा ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। सोहा अली खान अपने किरदार में फिट बैठी हैं। वहीं, चारों नए कलाकारों शिवम पाटिल, अंचल मुंजाल, नेहा खान और ऋषभ अरोड़ा ने भी अच्छा काम किया है।

संगीत

फिल्म के संगीत में कुछ ख़ास नहीं है। हालांकि, बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया है।

देखें या नहीं

सनी ने काफी अरसे बाद वापसी की है और उनके जबरदस्त एक्शन सीन्स के दीवाने हैं, तो जरूर देखने जाएं। हालांकि, नयापन देखने की इच्छा से सिनेमाहॉल में गए, तो निराशा ही हाथ लगेगी।

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