फिल्म समीक्षा : कहानी 2 : दुर्गारानी सिंह

निर्देशक सुजॉय घोष और अभिनेत्री विद्या बालन की जोड़ी ने साल 2012 में फिल्म 'कहानी' बनाई थी। इस फिल्म को बेहतरीन सस्पेंस थ्रिलर कहा गया। दर्शकों को विद्या के साथ-साथ नवाजुद्दीन सिद्दिकी और बॉब बिस्वास (शाश्वत चटर्जी) का किरदार भी बहुत पसंद आया था। अब चार साल बाद एक बार फिर सुजॉय-विद्या की जोड़ी ‘कहानी 2’ लेकर आई है। क्या इस बार भी सुजॉय घोष और विद्या बालन कुछ हटके फिल्म बनाकर लाए हैं, आइए करते हैं समीक्षा। 

Vidya Balan in Movie Kahani 2
फिल्म :        कहानी 2 : दुर्गारानी सिंह 
निर्देशक :     सुजॉय घोष
निर्माता :      पेन इंडिया लिमिटेड
कलाकार :   विद्या बालन, अर्जुन रामपाल 
संगीत :        क्लिंटन सेरेज 
रेटिंग :         3 / 5
जॉनर :        थ्रिलर ड्रामा

चार साल पहले सीमित बजट में सुजॉय घोष ने ‘कहानी’ बनाई थी। पति की तलाश में कोलकाता में भटकती गर्भवती महिला की रोमांचक कहानी ने दर्शकों को रोमांचित किया था। इश बार सुजॉय ‘कहानी 2’ लेकर आए हैं। हालांकि, इस कहानी का पिछली कहानी से कोई लेना-देना नहीं है। ये अलहदा कहानी है दुर्गारानी सिंह की। 

कहानी

फिल्म की कहानी विद्या सिन्हा (विद्या बालन) और उसकी बेटी मिनी (नैशा खन्ना) की है, जो एक छोटे से कस्बे में रहते हैं। दोनों एक-दूजे के साथ काफी समय बिताते हैं। लेकिन अचानक एकदिन मिली का अपहरण हो जाता है और उसकी तलाश में निकली विद्या का एक्सीडेंट हो जाता है और वो कोमा में चली जाती है। इसके बाद इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह (अर्जुन रामपाल) इस केस की जांच-पड़ताल करने लगता है, तो इसके तार कुख्यात अपराधी दुर्गारानी सिंह (विद्या बालन) से जुड़ने लगते हैं। बहुत सारे ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं और आखिरकार एक बड़ा सस्पेंस सामने आता है।

निर्देशन

फिल्म का निर्देशन कमाल का है। ख़ासतौर पर फिल्म की सिनेमैटोग्राफी दर्शकों को बांध लेती है। आपको बता दें कि फिल्म की सिनेमौटेग्राफर तपन बासु थे। इंटरवल के पहले का हिस्सा काफी अच्छा था, लेकिन इंटरवल के बाद फिल्म थोड़ी ढीली हो गई। कई दृश्यों का अंदाज़ा पहले से ही लगाया जा सकता था। किसी सस्पेंस थ्रिलर के सेकेंड हॉफ पर ही ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, क्योंकि तब कहानी का सस्पेंस खुलने लगता है। वहीं, क्लाइमैक्स प्रेडिक्टेबल सा रहा, जिसे और बेहतर किया जा सकता था।

अभिनय

विद्या बालन उम्दा अभिनेत्री हैं और इस बार भी गजब का काम किया है। एक मां और एक कुख्यात अपराधी, दोनों किरदारों को विद्या ने बेहतरीन तरीक़े से निभाया है। वहीं, बेटी के किरदार में नाएशा खन्ना ने अच्छी एक्टिंग की है। अर्जुन रामपाल भी इंस्पेक्टर के किरदार में काफी सहज दिखाई दिए। बाकी कलाकारों जैसे जुगल हंसराज, खारिज मुखर्जी, कौशिक सेन ने अच्छा काम किया है। 

संगीत

फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड क्लिंटन सेरेजो ने दिया है, जो बढ़िया है। 

ख़ास बात

विद्या बालन के मुरीद हैं, तो आप एक बार थिएटर ज़रूर जाएं। फिल्म की कहानी और विद्या की वजह से इस फिल्म को एक मौक़ा दिया जा सकता है। साथ फिल्म में काफी अच्छा संदेश भी है, जिसे परिवार के साथ देखा जा सकता है। बस इस फिल्म में 'वाऊ' फैक्टर की कमी है।

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