गुरु दत्त को जब जॉनी वाकर ने ऑफर की थी फिल्म

गुरु दत्त के पास जॉनी वाकर एक फिल्म का प्रस्ताव लेकर पहुंचे और कहा कि इस फिल्म के निर्देशक की हालत अच्छी नहीं है। हम सबको मिलकर इसका साथ देना होगा। तुम इस फिल्म में काम कर लो और हां, थोड़ा कोआपरेट भी कर देना। गुरु दत्त ने जॉनी वाकर की बात मानी, लेकिन एक शर्त भी रखी और वो फिल्म गोल्डन जुबली साबित हुए। गुरु दत्त के जन्मदिन पर विशेष पेशकश...

गुरु दत्त डायरेक्टर के अंदाज़ में
मुंबई। बात साल 1958 की होगी। एक दिन जॉनी वाकर निर्माता-निर्देशक-अभिनेता गुरु दत्त से मिलने पहुंचे। उन्होंने औपचारिक बात के बाद गुरु दत्त से कहा कि तुमसे एक काम है। 

गुरु दत्त ने तुरंत कहा, ‘तो कहो ना’। जॉनी वाकर ने कहा कि एम सादिक एक फिल्म बनाना चाहता है, लेकिन उसकी हालत कुछ ठीक नहीं है। हम सबको मिलकर उसका साथ देना होगा। तुम भी इस फिल्म में काम कर लो, लेकिन सुनो थोड़ा कोआपरेट करना होगा। 

जॉनी वाकर की इस दरख्वास्त के बाद गुरु दत्त मुस्कराए और कहा,‘ हां, मैं काम करूंगा, लेकिन कहानी तो सुना दो।’ जॉनी, गुरु दत्त की इस बात से खुश हो गए। फिर बाद में गुरु दत्त को फिल्म की कहानी सुनाई गई। 

फिल्म की कहानी इतनी पसंद आई कि गुरुदत्तने एम सादिक़ को एक प्रस्ताव दिया। उन्होंने सादिक़ से कहा, ‘यह फिल्म तुम मेरे बैनर के तले क्यों नहीं बनाते। निर्देशक तुम ही रहना और लीड एक्टर-एक्ट्रेस के तौर पर मुझे और वहीदा को कास्ट करो।’

एम सादिक़ को गुरु दत्त का यह प्रस्ताव भा गया। यह फिल्म गुरु दत्त फिल्म्स के बैनर तले बनी और इसमें मुख्य भूमिका गुरु दत्त और वहीदा ने निभाई। इनके अलावा रहमान और जॉनी वाकर ने भी फिल्म में अहम भूमिका निभाई थी। इस फिल्म ने टिकट खिड़की पर झंडे गाड़ दिए। 

उस फिल्म का नाम था, ‘चौदहवी का चांद’। 

गुरु दत्त ने ओपी नय्यर को फीस की दी फिल्म

गुरु दत्त ने साल 1953 में ‘बाज़’ नाम की फिल्म बनाई थी, जिसे अदाकार गीता बाली ने प्रोड्यूस किया था। लेकिन यह फिल्म फ्लॉप हो गई। गुरु दत्त पहली बार बतौर लीड एक्टर इस फिल्म में थे और साथ ही उन्होंने इसका निर्देशन भी किया था। 

अब जबकि यह फिल्म फ्लॉप हो गई, तो इसके संगीतकार ओपी नय्यर बुरी तरह निराश हो गए। दरअसल, ओपी नय्यर की बतौर संगीतकार यह तीसरी फिल्म थी, जो फ्लॉप हो गई थी। अब निराश ओपी अपने घर जाने के विचार में थे और अपनी फीस के बकाया पैसे गुरु दत्त से लेने उनके घर पहुंचे थे। 

ओपी ने गुरु दत्त से कहा कि मेरी बाकी की फीस आप दे दें। मैं मुंबई छोड़ कर जा रहा हूं क्योंकि लगता नहीं कि इस शहर में मेरा बसर होगा। 

अब गुरु दत्त के पास भी देने को पैसे नहीं थे। परेशान गुरु दत्त ने ओपी के सामने अपना हाल बयां किया। उन्होंने ओपी से कहा कि देखो दोस्त मेरे पास पैसे नहीं है। फिल्म फ्लॉप होने की वजह से मेरी स्थिति ख़राब है, लेकिन मैं तुमसे एक वादा ज़रूर कर सकता हूं। 

ओपी को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें?...फिर भी कहा कि जी बताइए। 

गुरु दत्त ने कहा कि मैं जल्दी ही अपनी नई फिल्म शुरू करने जा रहा हूं, उसमें आपको बतौर संगीतकार शामिल होने का प्रस्ताव देता हूं। इसके अलावा अगली दो फिल्मों में भी आपको ही संगीतकार रखूंगा यह भी वादा करता हूं। 

ओपी के पास गुरु दत्त की बात मानने के सिवा कोई चारा न था। मन मसोस कर ओपी ने ‘हामी’ भीर दी। 

ख़ैर, कुछ दिन बाद ही गुरु दत्त ने फिल्म ‘आर-पार’ की शूटिंग शुरू कर दी और संगीत बनाने का जिम्मा ओपी नय्यर को दिया। यह फिल्म बनी और सफल हुई। इसके संगीत की काफी सराहना भी हुई। इस तरह से गुरु दत्त ने बॉलीवुड को एक अच्छा संगीतकार दिया।

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