‘पद्मश्री’ श्रीदेवी की इन बातों से आप तो अनजान नहीं?

महज चार साल की उम्र में अभिनय जगत में कदम रखने वाली अदाकार श्रीदेवी ने अपने जीवन के तकरीबन 50 साल अभिनय को दिए हैं। 54 साल की उम्र में अचानक यूं चले जाने की ख़बर पर यक़ीन कर पाना मुश्किल है। तक़रीबन 300 फिल्मों में अपने हुनर का जौहर दिखाने वाली श्रीदेवी की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी हम लाए हैं।

दिलचस्प फैक्ट्स श्रीदेवी
मुंबई। चुलबुले किरदार हो या फिर संजीदा अभिनय सभी में अपनी अलग छाप छोड़ने वाली अदाकार अब हमारे बीच नहीं रही। श्रीदेवी नाम का यह सितारा अभियन जगत से अस्त हो चुका है। अब बस बाकी हैं, तो उनकी विरासत, उनकी फिल्में...और उनसे जुड़े कुछ क़िस्से। 

श्रीदेवी को जन्म 11 अगस्त 1963 में तमिलनाडु के शिवकाशी में हुआ था। जन्म के समय उनका नाम बेबी श्री अम्मा अयंगर था। महज चार साल की ही उम्र से उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया। उन्होंने बेबी श्रीदेवी के नाम से बतौर चाइल्ड आर्टिंस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी। तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ सभी भाषाओं में काम किया। साल 2013 में उनको भारत सरकार की तरफ से ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। 

पहली फिल्म

श्रीदेवी की पहली फिल्म ‘टुनाईवान’ थी, जो साल 1967 में आई थी। इस वक्त उनकी उम्र चार साल थी। उसके बाद जेमिनी गणेशन की मुख्य भूमिका वाली तमिल फिल्म ‘कंदन करुनाई’ में वो मुरुगा के बाल किरदार को निभाती दिखीं। इस फिल्म में जयललिता भी थीं। वैसे जयललिलता के साथ श्रीदेवी ने तीन फिल्में की थी, वो ‘कंदन करुनाई’ के बाद ‘आठी पारसक्ती’ और ‘आवर कंट्री’ हैं।

रजनीकांत की सौतेली मां

श्रीदेवी ने महज 13 साल की उम्र में रजनीकांत की सौतेली मां का किरदार निभाया था। बतौर हिरोइन उनकी पहली फिल्म ‘मूंडरू मुदिछू’ थी, जिसमें श्रीदेवी ने रजनीकांत की सौतेली मां का किरदार निभाया था। के बालचंदर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में पहली बार श्रीदेवी, कमल हसन और रजनीकांत ने साथ में काम किया था। 

वैसे, तमिल में सबसे ज्यादा फिल्में कमल हसन और रजनीकांत के साथ, तेलुगु में कृष्णा, एनीआर और सोभन बाबू के साथ और हिंदी में जितेंद्र और अनिल कपूर के साथ की हैं। 

श्रीदेवी ने मलयालम भाषा के गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर अभिनेता प्रेम नजीर के साथ ‘तुलावरसम’ फिल्म की है। वहीं टी रमा राव ने श्रीदेवी को बाल कलाकार के रुप में फिल्म ‘भार्या बिद्दालु’ में निर्देशित किया, तो बड़े होने पर कई तेलुगु और हिंदी फिल्मों में भी निर्देशित किया।

यश चोपड़ा की स्विच ऑन-ऑफ हिरोइन

जी हां, श्रीदेवी को यश चोपड़ा ‘ए स्विच ऑन एंड ए स्विच ऑफ एक्ट्रेस’ कहा करते थे, क्योंकि जब भी उन्हें सीन समझाया जाता था, तो बड़ी शांत होकर समझती थीं। फिर जैसे ही लाइट्स, कैमरा, एक्शन की आवाज आती, श्रीदेवी एक्टिंग करती नज़र आतीं। 

इस दिलचस्प बात यह है कि कभी भी रोने के लिए श्रीदेवी ने ग्लिसरीन की मदद नहीं ली। वो सीन समझते-समझते ही खुद को उस दशा तक ले जाती थीं कि उनकी आंखों से आंसू निकलने लगे। आखिर बचपन से इस हुनर में खुद को तराशा है। 

श्रीदेवी थीं रट्टू तोता

बिलकुल ठीक, श्रीदेवी जब शुरू-शुरू में बॉलीवुड में काम करने आईं, तो उनको हिंदी बिलकुल भी समझ नहीं आती थी। अब डायलॉग ही याद न होंगे, तो बोला क्या जाएगा। फिर क्या था, श्री डायलॉग को रट लिया करती थीं और कैमरे के सामने फर्राटे बोल दिया करती थीं। हुई न रट्टू तोता। 

एक समय वो भी था, जब श्रीदेवी हिंदी को लेकर कंफर्टेबल नहीं थी। तब उनकी डबिंग ‘नाज़’ किया करती थीं। फिल्म ‘आखिरी रास्ता’ के लिए श्रीदेवी की आवाज रेखा बनी। बाद में फिल्म ‘चांदनी’ से श्रीदेवी ने खुद की डबिंग करना शुरू कर दिया था। 

नंबर वन श्रीदेवी

श्रीदेवी अपने जमाने की इकलौती अदाकारा थीं, जिन्होंने फिल्म की फीस 1 करोड़ से भी ज्यादा ली। 70 , 80 और 90 के दशक तक श्रीदेवी ने तमिल तेलुगु और हिंदी इंडस्ट्री में नंबर वन की पोजीशन बरकरार रखी। वहीं, मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में साल 1977 में श्रीदेवी नंबर एक की पोजीशन पर थीं। उसके बाद एक लंबे ब्रेक के बाद जब श्रीदेवी ने ‘इंग्लिश विंग्लिश’ से वापसी की तो भी उन्होंने सर्वोत्तम काम का मुजाहिरा पेश किया। उनकी आखिरी रिलीज फिल्म ‘मॉम’ थी।

श्रीदेवी बनी थी कृष्ण

साल 1975 में आई तेलुगु फिल्म ‘यशोदा कृष्ण’ में श्रीदेवी ने कृष्ण का किरदार निभाया था, जबकि जमुना ने यशोदा की भूमिका की थी। पहली बार दो फीमेल एक्ट्रेस ने लीड रोल निभाया था। 

साल 1973 में आई तेलुगु फिल्म ‘भक्त तुकाराम’ में तब के तेलुगु इंडस्ट्री के सुपरस्टार अक्किनेनी नागेश्वर राव और तमिल इंडस्ट्री के सुपर स्टार शिवाजी गणेशन के साथ काम किया।

बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट श्रीदेवी

साल 1971 में श्रीदेवी ने अक्किनेनी नागेश्वर राव यानी नागार्जुन के पिता के साथ ‘श्रीमंथुडु’ नाम की फिल्म की थी और आगे चलकर श्रीदेवी और अक्किनेनी नागेश्वर राव ने सुपरहिट जोड़ी के रूप में कई तेलुगु फिल्में की, जो कि उस जमाने में सिल्वर जुबिली हिट भी कहलाई। फिर नागार्जुन के साथ भी श्रीदेवी ने कई तेलुगु और हिंदी फिल्में कीं। 

साल 1971 में आई मलयालम फिल्म ‘पोम्पेटा’ में श्रीदेवी ने चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम किया था, जिसके लिए 8 साल की उम्र में उन्हें मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट अवार्ड मिला। वैसे चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में श्रीदेवी ने तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ भाषाओं में सबसे ज्यादा धार्मिक फिल्में की थीं। लड़की होते हुए श्रीदेवी ने लड़कों के किरदार किए। 

श्रीदेवी ने शुरू करवाई डबिंग

इन दिनों साउथ की फिल्मों को हिंदी में डब करके दर्शक काफी मज़े से देखते हैं, लेकिन पहले ऐसा नहीं था। इस चलन की शुरुआत करने वाली भी श्रीदेवी ही हैं। दरअसल, 80 के दशक में उनकी साउथ की फिल्मों को हिंदी में डब करके रिलीज़ किया जाने लगा, जिसकी वजह से रजनीकांत और कमल हसन सरीखे अभिनेताओं को भी कापी फायदा हुआ। अब साउथ के सिनेमा को व्यापक दर्शक मिलने लगा था। 

चाइल्ड आर्टिस्ट से हिरोइन

श्रीदेवी ने जिन अभिनेताओं के बचपन के किरदार किए थे, बाद में उन्हीं के अपोजिट मुख्य भूमिका में नज़र आने लगीं। उन अभिनेताओं में सोभन बाबू, एनटीआर , एएनआर, एमजीआर , कृष्णा , शिवजी गणेसन आदि हैं। वैसे यह भी कहा जा सकता है कि श्रीदेवी अपने से दोगुनी उम्र के हीरो की हिरोइन बना करती थीं।

श्रीदेवी की अनरिलीज्ड फिल्में

श्रीदेवी की तीन ऐसी फिल्में हैं, जो किन्हीं कारणों से रिलीज़ नहीं हो पाईं। उनमें से पहली है विनोद खन्ना और ऋषि कपूर के साथ ‘गर्जन’, जिसीक शूटिंग पूरी हो गई है, लेकिन रिलीज़ नहीं हो पाई है। दूसरी है संजय दत्त, विनोद खन्ना और रजनीकांत के साथ ‘जमीन’ और तीसरी है अमिताभ बच्चन, कमल हसन, जया प्रदा के साथ ‘खबरदार’, जो डिब्बाबंद हो गईं। 

पिता के निधन के बाद भी शूटिंग

अपने काम को लेकर श्रीदेवी बहुत डेडिकेटेड रहा करती थीं। साल 1991 में फिल्म ‘लम्हें’ के दौरान उनके पिता का निधन हो गया। उस वक्त लंदन में फिल्म की शूटिंग चल रही थी। श्रीदेवी शूटिंग को बीच में छोड़ कर भारत आईं, अंतिम क्रिया करने के बाद वापस जाकर शूटिंग करने लगीं। 

कुछ फिल्मों में श्रीदेवी ने गाने भी गाए। जैसे, फिल्म ‘सदमा’, ‘चांदनी’, ‘गर्जना’ और ‘क्षणा-क्षणम’।

श्रीदेवी ने छोड़ी ये हिट फिल्में

श्रीदेवी ने कई फिल्मों को करने से इंकार कर दिया, जो आगे चलकर बड़ी हिट साबित हुई। सबसे पहले तो फिल्म ‘बेटा’ के लिए उनको चुना गया था। इंदर कुमार ने उनको इस फिल्म का प्रस्ताव दिया, तो श्रीदेवी ने इस फिल्म में काम करने से मना कर दिया। फिर ये फिल्म माधुरी दीक्षित के खाते में आई और सुपरहिट हुई। 

इसी तरह ‘बाजीगर’, ‘युगपुरुष’, ‘मोहरा’ और ‘डर’ को भी करने से मना कर दिया। यही नहीं श्रीदेवी ने तो हॉलीवुड डायरेक्ट स्टीवन स्पीलबर्ग को भी मना कर दिया। दरअसल, स्पीलबर्ग अपनी फिल्म ‘जुरासिक पार्क’ के लिए उनको लेना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। क्योंकि उनके पास डेट्स की प्रॉब्लम थी। 

श्रीदेवी ने फिल्म ‘अभिमन्यू’ को भी बीच में ही छोड़ दिया था। इस फिल्म में अनिल कपूर थे, बाद में अनिल के अपोजिट किमी काटकर को लिया गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप रही थी। 

श्रीदेवी और अनिल कपूर की पहली फिल्म ‘गोविंदा’ होने वाली थी, जिसे बोनी कपूर ही प्रोड्यूस करने वाले थे, लेकिन फिल्म नहीं बन पाई। बाद में इन तीनों की टीम फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के लिए बनी। 

राजकुमार संतोषी की फिल्म ‘हल्ला बोल’ में श्रीदेवी और बोनी कपूर एक साथ नजर आए थे। 

श्रीदेवी ने सिर्फ एक फिल्म थी, जो किसी के छोड़ने के बाद की। वो फिल्म ‘लाडला’ थी। दिव्या भारती के आकस्मिक निधन के बाद श्रीदेवी ने फिल्म में दिव्या भारती वाला किरदार निभाया था। वो किरदार नेगेटिव था, लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस हिट साबित हुई। 

ट्रेंड सेटर

श्रीदेवी ने हिंदी, तमिल और तेलुदु फिल्मों में हॉफ साड़ी पहनने का चलन शुरू किया था। यूं तो साउथ में यह चलन था, लेकिन बॉलीवुड में इस श्रीदेवी ही लाई थीं। अस्सी के दशक में राजेश खन्ना और जितेंद्र अपोजिट कई फिल्मों में वो हॉफ साड़ी में नज़र आईं। 

फिर आया ‘अप्सरा लुक’ ड्रेसेस का चलन। इस तरह की ड्रेसेस श्रीदेवी ने फिल्म ‘हिम्मातवाला’ में पहनी थी। उसके बाद इस तरह की ड्रेसेस में जया प्रदा, मीनाक्षी शेषाद्री, पद्मिनी कोल्हापुरी, मंदाकिनी, करिश्मा कपूर और विद्या बालन भी नज़र आईं। 

श्रीदेवी को ‘चांद का टुकड़ा’, ‘चांदनी’, ‘चंद्रमुखी’, ‘हवा-हवाई’ सरीखे नामों से पुकारा जाता था। ये सभी नाम या तो फिल्मों के हैं, या फिर गानों से।

सर्पकन्या श्रीदेवी

बचपन से लेकर बड़े होने तक श्रीदेवी ने कई फिल्मों में सांप के साथ काम किया। कई फिल्मों में बिना डरे श्रीदेवी ने सांप को हाथ में उठाया। ‘नगीना’, ‘निगाहें’, और ‘मक़सद’ उनमें से हैं। फिल्म ‘नगीना’ तो थिएटर में एक साल से भी ज्यादा समय तक चली। फिल्म गोल्डन जुबिली भी कहलाई। 

हरमेश मल्होत्रा की लकी एक्ट्रेस थीं श्रीदेवी। ‘नगीना’ के ब्लॉकबस्टर होने के बाद ‘निगाहें’, ‘बंजारन’, ‘शेरनी’ आई, लेकिन फिल्म ‘हीर-रांझा’ डिजास्टर साबित हुई।


इकलौती श्रीदेवी के रिकॉर्ड

श्रीदेवी इकलौती ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने पिता-पुत्र के साथ सबसे ज्यादा काम किया। जैसे एएनआर और नागार्जुन , शिवाजी गणेसन और शिवाजी प्रभु , धर्मेंद्र और सनी देओल, विनोद खन्ना और अक्षय खन्ना। 

श्रीदेवी ही ऐसी अदाकारा एक्ट्रेस थीं, जिन्होंने सबसे ज्यादा हिंदी तमिल तेलुगु और मलयालम भाषाओं में डबल रोल किए। श्रीदेवी की साउथ की ओरिजिनल फिल्मों को जब भी हिंदी में बनाया जाता था, तो उसमें रेखा, रीना रॉय, पद्मिनी कोल्हापुरे, पूनम ढिल्लन, अनिता राज जैसी अभिनेत्रियां काम काम करती थीं। 

श्रीदेवी की फिल्मों में ड्रीम सीक्वेंस में गाना जरूर होता था, जिसमें बहुत सारे प्रॉप्स और डांसर्स के साथ वो डांस किया करती थी। उससे भी बड़ी बात ये है कि श्रीदेवी के हरेक गाने में 4-5 बार ड्रेस जरूर बदली जाती थी। यही कारण है कि श्रीदेवी अपने जमाने की इकलौती ऐसी अदाकारा थीं, जिन्होंने सबसे ज्यादा कपड़े फिल्मों में पहने थे। 

श्रीदेवी की इकलौती फिल्म ‘लम्हें’ थी, जिसे अंग्रेजी में डब करके ‘इंडियन समर’ के नाम से रिलीज किया गया था। श्रीदेवी की फिल्म ‘चांदनी’ जब तेलुगु में रिलीज हुई तो उसका नाम ‘श्रीदेवी आई लव यू’ रखा गया। 

फिल्म ‘लम्हें’ के एक गाने में श्रीदेवी ने 15 अलग-अलग एक्ट्रेसेस के गेट अप्स लिए थे, जिनमें रेखा, हेमा मालिनी , वहीदा रहमान , माला सिन्हा , नरगिस , मुमताज़ जैसी अभिनेत्रियों के गेट अप शामिल थे। फिल्म ‘नाका बंदी’ में श्रीदेवी ने गब्बर सिंह का गेटअप भी लिया। 

श्रीदेवी ने अपनी फिल्मों में बहुत सारे जानवरों जैसे कुत्ता, सांप, हाथी, बन्दर, तोता, मोर इत्यादि के साथ काम किया था। यहां तक कि ‘नगीना’ को आज भी लोग श्रीदेवी की नागिन फिल्म के रूप में जानते हैं। 

श्रीदेवी के करियर की सबसे महंगी फिल्म ‘रूप की रानी, चोरों का राजा’ थी, जिसे बनने में 6 साल लग गए। फिल्म फिर भी बॉक्स ऑफिस पर धराशाई हो गई, टीवी पर लोग आज भी देखना पसंद करते हैं। 

यूं तो तमिल, मलयालम और तेलुगु भाषाओं में में श्रीदेवी-कमल हासन की जोड़ी ने कई फिल्में की। लेकिन 'सदमा' सिर्फ एक ही हिंदी फिल्म उनकी है, जिसे लोगों ने आज भी दिल में ज़िंदा रखा है।

सफेद रंग और आइसक्रीम पसंद था श्रीदेवी

श्रीदेवी को सफेद रंग काफी पसंद थी। साउथ की कई फिल्मों में सफेद साड़ी पहनकर बारिश में के गानों पर डांस करना पड़ता था। उसके बाद यह ट्रेंड हिंदी फिल्मों में भी आया। बारिश के कई गानें श्रीदेवी ने किए थे। 

श्रीदेवी को आइसक्रीम बहुत पसंद थी। उनकी फिल्म ‘सदमा’ और ‘लम्हें’ में आइसक्रीम अच्छे खासे सीक्वेंस हैं। साथ ही फिल्म ‘जस्टिस चौधरी’ का गाना ‘साथ आओगी, आइसक्रीम खाओगी’ भी उनसे ताल्लुक रखता है।

माइकल जैक्सन की फैन

श्रीदेवी, माइकल जैक्सन की बहुत बड़ी फैन थीं। उन्होंने ‘चालबाज’ के गाने में माइकल के स्टेप्स को करने की कोशिश की थी और उन्होंने अपना लुक भी वैसा ही रखा था। यहां तक की ‘इंग्लिश विंग्लिश’ में भी श्रीदेवी ने माइकल का एक सिग्नेचर स्टेप किया था।

श्रीदेवी की यादें

वैसे तो फिल्म ‘जांबाज’ में अनिल कपूर, फिरोज खान और डिम्पल कपाड़िया का बड़ा रोल था, लेकिन आज भी उस फिल्म को श्रीदेवी की फिल्म के रूप में याद किया जाता है और उनके गाने ‘हर किसी को नहीं मिलता’ और डेथ सीन को लोग याद करते हैं। 

श्रीदेवी हमेशा से ही एक शर्मीली लड़की के रूप में जानी जाती थीं। वो सेट पर भी किसी से ज्यादा बात नहीं करती थीं, लेकिन कैमरा ऑन होते ही किरदार में घुसकर बेहतरीन परफॉर्मेंस दिया करती थीं। वो ज्यादातर अपनी मां और छोटी बहन के साथ वक्त बिताती थीं। यहां तक की लोगों के साथ श्रीदेवी बस हैलो, हाय, नमस्ते इत्यादि कहकर मिल लेती थीं।

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