अशोक कुमार के कहने पर एक रुपए में मान गईं मधुबाला!

ढाई इंच की मुस्कान वाली वो अदाकारा, जो खूबसूरती का दूसरा नाम ही बन गई है। छोटी-सी उम्र में सफलता के कीर्तिमान रचे, खुल के इश्क़ किया और इश्क़ में नाकाम भी हुई। दिल का दर्द भी था, और उसमें छेद भी। इन सबके बावजूद गज़ब की बहादुर और दरियादिल थी मधुबाला। उनकी सालगिरह पर ऐसे ही कुछ क़िस्से लेकर आए हैं। 

सालगिरह मुबारक मधुबाला
मुंबई। यह क़िस्सा है साठ के दशक का। उस दौर में मधुबाला चोटी की अदाकारा हुआ करती थीं, तभी एक दिन उनके घर अभिनेता अशोक कुमार आए और साथ लेकर आए थे एक फिल्ममेकर की ख्वाहिश। दरअसल, अशोक चाहते थे कि मधुबाला उस फिल्ममेकर की मदद करें, क्योंकि वो एक फिल्म बनाना चाहता है और उसकी दिली तमन्ना है कि फिल्म में अशोक कुमार के साथ मधुबाला हों।

अब अशोक कुमार ने जब यह प्रस्ताव मधुबाला के सामने रखा, तो मधुबाला ने बिना देर किए झट से हामी भर दी। लेकिन दिक्क़त अभी ख़त्म न हुई थी। दरअसल, उस फिल्ममेकर के पास साइनिंग अमाउंट देने को पैसे न थे। लिहाजा, अशोक कुमार ने रास्ता निकाला था कि मामूली सी रकम लेकर इस फिल्म को साइन कर लिया जाए, ताकि उस फिल्ममेकर की मदद की जा सके। अशोक के इस प्रस्ताव से भी मधुबाला सहमत हो गई। 

अब हम आपको बताते हैं, वो कौन-सी फिल्म थी, जिसके लिए मधुबाला ने सिर्फ़ एक रुपए की टोकन मनी यानी साइनिंग अमाउंट लिया था। वह भी अशोक कुमार के कहने पर...

वो फिल्म थी साल 1958 में आई ‘हावड़ा ब्रिज’, जिसे शक्ति सामंत ने बनाया था। यही वो फिल्म थी, जिसके साथ निर्देशक शक्ति अब निर्माता भी बन चुके थे। 

हुआ यूं कि शक्ति का एक्सीडेंट हो गया और बिस्तर पर काफी समय तक पड़े रहे। लेकिन फिल्ममेकर जो ठहरे, उन्होंने बिस्तर पर लेट-लेटे ही ‘हावड़ा ब्रिज’ की कहानी बुन ली और तय कर लिया कि इसमें अशोक कुमार और मधुबाला को कास्ट करूंगा। 

बस खयाल कर लेने से काम तो नहीं बनता। उस वक़्त शक्ति सामंत की माली हालत कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी। इतने पैसे तो नहीं थे कि वो फिल्म को प्रोड्यूस कर सकें। अपनी इस मनोस्थिति के बारे में अशोक कुमार को बताया। अशोक कुमार तुरंत ही फिल्म करने को राजी हो गए। लेकिन मधुबाला को मनाने की बात अभी भी अटकी थी। 

ख़ैर, इसका जिम्मा अशोक कुमार ने लिया। जब उन्होंने मधुबाला से इस बारे में बात की, तो वो भी फौरन राजी हो गईं और सिर्फ़ एक रुपए टोकन मनी लेकर फिल्म ‘हावड़ ब्रिज’ साइन कर ली। 

वहीं इस फिल्म को संगीत से सजाने का जिम्मा ओपी नैय्यर ने लिया, जिसके लिए पूरे एक हज़ार रुपए का मेहनताना भी लिया। यह फिल्म बनी और रिलीज़ भी हुई। शक्ति सामंत की ‘हावड़ा ब्रिज’ दर्शकों का खूब पसंद आई। नतीजतन फिल्म जबरदस्त हिट रही। 

इसी फिल्म से शक्ति सामंत न सिर्फ निर्देशक, बल्कि निर्माता के रूप में भी अपनी पहचान स्थापित की। बाद फिल्म के कलाकारों को उनका पूरा मेहनताना भी शक्ति दा ने दिया। 

मधुबाला की प्रतिबद्धता

अपने काम को लेकर मधुबाला प्रतिबद्ध थी। एक बार एक फिल्म की शूटिंग के लिए एक स्टूडियो जाना था, लेकिन बारिश बहुत तेज थी। ऐसे में कोई और सितार शूटिंग कैंसिल कर देता, लेकिन मधुबाला 15 मिनट की दूरी को डेढ़ घंटे में तय करके, जैसे-तैसे स्टूडियो पहुंची। जब वो स्टूडियो पहुंची, तो पता चला कि उनके अलावा कोई भी नहीं आया। 

ऐसा ही एक क़िस्सा है फिल्म ‘मुग़ल-ए-आज़म’ का। इस फिल्म के दौरान मधुबाला और दिलीप कुमार में अबोला था, लेकिन इसके बाद भी दोनों को कई रोमांटिक सीन्स करने पड़े। 

इसी फिल्म के दौरान मधुबाला को जेल में रहने का सीन भी है। इस दौरान उनको चैन से बंधना होता था। फिर क्या मधुबाला को चैन से बांधा जाता था और उन्हें इसी तरह चलना पड़ता था। सुबह से जंजीर से बंधे हाथ, शाम तक नीले हो जाया करते थे। जेल के सीन के लिए वो दिन भर भूखी रहा करती थीं। 

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