फिल्म समीक्षा : दबंग 3

सलमान खान अपनी सबसे सफल फ्रेंचाइज़ी ‘दबंग’ की तीसरी किश्त के साथ सिनेमाघरों में उतर चुके हैं। फिल्म में वो ‘चुलबुल पांडे’ के किरदार में दिखे हैं और उसे दर्शकों का काफी प्यार भी मिला है। ‘दबंग’ की प्रीक्वल यानी ‘चुलबुल पांडे’ के इंस्पेक्टर बनने से पहले की कहानी देखने को मिलेगी। फिर आइए बताते हैं फिल्म की समीक्षा...

फिल्म दबंग 3 में सलमान खान
फिल्म : दबंग 3

निर्माता : सलमान खान, अरबाज़ खान, निखिल द्विवेदी 

निर्देशक : प्रभुदेवा

कलाकार : सलमान खान, किच्चा सुदीप, सोनाक्षी सिन्हा, सई मांजरेकर, अरबाज़ खान औऱ प्रमोद खन्ना

जॉनर : एक्शन-कॉमेडी-ड्रामा

रेटिंग : 4/5

इस शुक्रवार सलमान खान की फिल्म ‘दबंग 3’ रिलीज़ हुई है। इस फिल्म में ख़ास बात यह है कि एक बार फिर उनका बतौर स्क्रिप्ट राइटर क्रेडिट पर्दे पर नज़र आया है। इससे पहले उन्होंने ‘चंद्रमुखी’ नाम की फिल्म से बतौर राइटर डेब्यू किया था, जिसके बाद कुछ और फिल्मों की कहानी लिखीं, जो बद्किस्मती से फ्लॉप रहीं। 

ख़ैर, अब बात करते हैं फिल्म ‘दबंग 3’ की। इस फिल्म का प्रीक्वल कहना ही उचित होगा, क्योंकि फिल्म में ‘चुलबुल पांडे’ का इंस्पेक्टर बनने से पहले की कहानी बताई गई है। फिल्म का निर्देशन प्रभुदेवा ने किया है। कैसी बनी है फिल्म, क्या कुछ खास है, आइए जानते हैं। 

कहानी

फिल्म कहानी ‘चुलबुल पांडे’ (सलमान खान) के ‘दबंग’ बनने से पहले की फिल्म की शुरुआत में दिखाया जाता है कि ‘चुलबुल पांडे’ एक शादी में लूटे गए गहनों को गुंडों से बचाकर उसे वापस से परिवार को देता है। इस केस को सुलझाते हुए उसका सामना ‘बाली सिंह’ (सुदीप किच्चा) से होता है, जिसके बाद ‘चुलबुल’ के पुराने घाव हरे हो जाते हैं। 

इसके बाद शुरू होती है ‘चुलबुल’ के अतीत की कहानी, जिसमें ‘खुशी’ (सई मांजरेकर) है। आखिर क्या था खुशी से रिश्ता, क्या हुआ था और ‘बाली’ ने कैसे ‘चुलबुल’ की जीवन में जहर घोला था। सबकुछ जानने के लिए थिएटर जाना होगा। 

समीक्षा 

सबसे पहले फिल्म के निर्देशन की करें, तो सलमान खान के ऑरा के आगे प्रभुदेवा अपना काम सही तरीक़े से करने से चूक गए हैं। किरदार को लॉर्जर देन लाइफ दिखाने के चक्कर में वो कहानी के साथ ही खेल गए। ज़रा ध्यान दिया होता, तो फिल्म क्रिस्प और बेहतरीन बनाई जा सकती थी। फिर भी कुछ सीन ऐसे हैं, जिन पर सलमान के डायहार्ट फैन्स सिक्के उछालेंगे और तालियां पीटेंगे। 

हालांकि निर्देशक ने फिल्म को मुद्दापरक बनाने की भरसक कोशिश की है, लेकिन स्टारपॉवर के आगे सब कुछ फीका रहा और फिल्म मसाला एंटरटेनर बनकर रह गई। 

सलमान खान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनको एक्टिंग नहीं आती है। इतनी ईमानदारी यदि किसी कलाकार में हो, तो तारीफ तो बनती है। ख़ैर, सच में फिल्म में ‘चुलबुल पांडे’ और सलमान खान में कोई अंतर नहीं दिखा। पूरे समय पर्दे पर सलमान ही सलमान रहे। 

फिल्म में विलेन बने किच्चा सुदीप का काम शानदार रहा। वहीं नई-नवेली अभिनेत्री सई मांजरेकर को स्क्रीन स्पेस कम ही मिला, लेकिन जितनी देर वो पर्दे पर रहीं उम्दा लगीं। बाकी बचे सोनाक्षी सिन्हा और अरबाज़ तो यह बस ठीक-ठाक रहे। 

संगीत के मामले में सलमान खान की फिल्म काफी खुशकिस्मत रहती हैं। साजिद-वाजिद के संगीत को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। 

ख़ास बात

सलमान खान के फैन हैं और वीकेंड को हंसते-हंसाते बिताने की योजना है, तो यह फिल्म अच्छी चॉइस है। मसाला एंटरटेनर फिल्म है।