फिल्म समीक्षा : भूत: द हॉन्टेड शिप (पार्ट-1)

करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन अब हॉरर जॉनर में जमकर हाथ आजमाने में जुट गई है। फैमिली ड्रामा और लव-स्टोरीज़ बनाकर अब कुछ नया करने की कोशिश शुरू है। धर्मा प्रोडक्शन की हॉरर जॉनर की दूसरी फिल्म है, पहली नेटफ्लिक्स के लिए 'घोस्ट स्टोरीज़' बनाई थी। 'घोस्ट स्टोरीज़' को निर्देशन करण जौहर ने किया था, जिसके लिए वो माफी भी मांग चुके हैं। अब वो निर्देशन नहीं करेंगे, तो क्या उनका बैनर हॉरर जॉनर की फिल्में नहीं बनाएगा। इसलिए धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म 'भूत : द हॉन्टेड शिप-1' बनाई गई है, जिसे शशांक खेतान के असिस्टेंट रह चुके भानु प्रताप सिंह ने निर्देशित किया है। विक्की कौशल की केंद्रिय भूमिका वाली फिल्म की आइए करते हैं समीक्षा। 

फिल्म- भूत: द हॉन्टेड शिप (पार्ट 1) के एक सीन में
फिल्म : भूत : द हॉन्टेड शिप (पार्ट-1)

निर्माता : धर्मा प्रोडक्शन

निर्देशक : भानु प्रताप सिंह 

कलाकार : विक्की कौशल, भूमि पेडनेकर, आशुतोष राणा 

संगीत : अखिल सचदेवा, खेतान सोढ़ा

जॉनर : हॉरर

रेटिंग : 2/5

हिन्दी सिनेमा जगत यानी बॉलीवुड में अभी भी कुछ ऐसे जॉनर हैं, जिन पर काफी काम होना बाकी है। उनमें से एक है हॉरर। कमरे में रखे सामान का यकबयक हिलने लगना, अचानक से हलचल के साथ तेज़ आवाज़, शीशे में किसी साये का दिखन...ये कुछ तयशुदा चीजें हैं, जो बॉलीवुड की हॉरर फिल्मों में दिखाई जाती हैं। 

अब ऐसे में धर्मा प्रोक्शन क्या कुछ नया करने वाली इस हॉरर जॉनर की फिल्म में। भानु प्रताप सिंह के निर्देशन में बनी फिल्म में विक्की कौशल मुख्य भूमिका में हैं। 

कहानी 

यह कहानी है पृथ्वी (विक्की कौशल) की, जो एक शिपिंग ऑफिसर है। पृथ्वी एक हादसे में अपनी पत्नी सपना (भूमि पेडनेकर) और बेटी को खो चुका है। इन दोनों की मौत का जिम्मेदार वो खुद को मानता है और यह हादसा इस कदर उसके दिमाग में बसा है कि उसे अपनी बेटी और पत्नी दिखाई देते हैं। वह डॉक्टर से अपने इस हैलोसिनेशन का इलाज़ तो करवा रहा है, लेकिन दवाइयां नहीं खाता, क्योंकि दवाई खाने से उसे उसकी बेटी और पत्नी दिखाई नहीं देतीं। पृथ्वी को ऐसा करने से उसका दोस्त काफी रोकता है, लेकिन वो कभी नहीं मानता। अब अपने भीतर के गिल्ट से उबरने के लिए पृथ्वी हर वो काम करता है, जिससे वो किसी बच्ची या औरत की मदद कर सके। 

सब कुछ इसी चल रहा होता है कि एक दिन अचानक जुहू बीच पर एक सुनसान जहाज सी-बर्ड आकर खड़ा हो जाता है। सी-बर्ड के बारे में कई किस्से हैं, जिससे मुंबई की जनता में खलबली मच जाती है। अब चूंकि, पृथ्वी शिपिंग ऑफिसर है, तो उसे इस जहाज के मुआयने के लिए भेजा जाता है। पृथ्वी के जहाज पर जाने के बाद अजीब-ओ-गरीब हरकते होने लगती हैं। जांच-पड़ताड़ के दौरान कई राज खुलते हैं, जो काफी डरावने सच को सामने लाते हैं। इसी पड़ताल में पृथ्वी की निजी जिंदगी का दुखद पहलू भी सामने आता है।

आखिर सी-बर्ड का वो क्या राज है, पृथ्वी इससे निजाद पा पाता है या नहीं, यह सब जानने के लिए फिल्म देखनी होगी। 

समीक्षा

अभिनय के मामले में कहीं-कहीं विक्की कौशल बढ़ियां अभिनय कर ले जाते हैं, लेकिन अधिकतर समय उनका चेहरा सपाट सा ही दिखाई देता है। वहीं भूमि काफी कम समय के लिए पर्दे पर रहीं, लेकिन वो अच्छी रहीं। वहीं आशुतोष राणा के अभिनय में वो धार नजर नहीं आई। फिल्म 'राज' के प्रोफेसर 'अग्नि' याद हैं न, कमोबेश किरदार वैसा ही, लेकिन प्रोफेसर 'अग्नि' का सा जादू नहीं जगा पाए। 

स्क्रीनप्ले में कोशिश की गई है कि दर्शकों के लिए फिल्म बोझिल न हो जाए, इसलिए कहीं-कहीं जोक्स भी डाले गए हैं। कमजोर स्क्रीनप्ले रिपीटेशन का अहसास देते हैं। फिल्म में ग्रॉफिक्स और वीएफएक्स भरपूर इस्तेमाल किए गए हैं, लेकिन अभी-भी कुछ पुराने और घिसे-पिटे तरीके भी फिल्म में दिखते हैं। छत पर छिपकली की तरह रेंगती चुड़ैल उनमें से एक है। वहीं फिल्म में भूत का मेकअप, डराने के बजाय हंसाने का काम ज्यादा कर रहा था। हालांकि, बैकग्राउंड म्यूज़िक ने 'डर' बनाए रखने का अच्छा-खासा काम किया। 

वहीं निर्देशक भानु प्रताप सिंह ने फिल्म की शुरुआत में पकड़ अच्छी बनाए रखी थी, लेकिन फिल्म के आगे बढ़ने के साथ पकड़ कमजोर पड़ गई। कुल मिलाकर फिल्म के ट्रीटमेंट को भले की इंटरनेशनल लेवल का कहा जा रहा है, लेकिन क्लाइमैक्स बिलकुल देसी रखा गया है। फिल्म के आखिर में 'पार्ट-2' की तरफ भी इशारा कर जाते हैं।

खास बात

यदि आपको हॉरर जॉनर की फिल्में देखने का शौक़ है, तो फिर जाइए करण जौहर की सौगात आपके लिए ही है।