दीना पाठक : पर्दे की वो मां जिसे आंसू बहाती मज़लूम मां बनने से था इंकार

हिन्दी सिने जगत की कुछ कलाकार अपनी एक विशेष छाप छोड़ जाते हैं, जिसकी जगह कोई नहीं ले सकता। आज वैसे ही एक अदाकारा की हम बात करने जा रहे हैं। पर्दे पर भले ही उन्होंने 'मां' के किरदार निभाए हों, लेकिन वो मज़लूम आंसू बहाती 'मां' नहीं बनीं। एक अलग तरह की 'मां' की छवि उन्होंने गढ़ी।

Actress Dina Pathak
गुजरात के अमरेली में 4 मार्च 1922 में जन्मी दीना पाठक गुजराती थिएटर की मशहूर एक्ट्रेस और डायरेक्टर रही हैं। मैलोड्रामा के बजाय वो रियलिस्टिक एक्टिंग को ज्यादा तरजीह देती थीं। काफी कम उम्र में ही उन्होंने एक्टिंग से अपने मन के तार जोड़ लिए थे। 

साल 1966 में उन्होंने अपने करियर की पहली हिन्दी फिल्म की। यह फिल्म थी बासु भट्टाचार्य की 'उसकी कहानी'। इसके बाद 'सात हिन्दुस्तानी' और 'सत्यकाम' में वो नज़र आईं। सत्तर का दशक आते-आते वो अपनी अलग छाप छोड़ने लगी थीं। 

साल 1972 में आई फिल्म 'कोशिश', जिसमें उन्होंने गूंगी-बहरी लड़की आरती (जया भादुड़ी) की मां का किरदार निभाया। वहीं साल 1975 में आई 'मौसम', साल 1977 में 'किताब' और 'किनारा' में भी वो सशक्त भूमिका में दिखीं। यह सभी फिल्में गुलज़ार की हैं। 

'मौसम' की 'गंगूरानी' जो 'कजली' (शर्मिला टैगौर) से अपने उसे नाचने-गाने वाली का काम छोड़ कर संजीव कुमार के साथ जाने के लिए कहती है। वो अपने साथ काम करने वाली लड़कियों को आपनी बच्चियों की तरह रखती है। 

श्याम बेनेगल की साल 1977 में आई फिल्म 'भूमिका' ने दीना पाठक को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित अदाकारा का दर्जा दिलवाया, लेकिन फिल्म 'चित्तचोर' में उनका किरदार दिल को जीत लेता है। खुशमिजाज़ मां, जो अपनी बेटी का घर किसी भी तरह से बसा देना चाहती है। इस किरदार में कहीं भी दीना पाठक 'ओवर' नहीं लगती है। वह इतनी सहज लगती हैं कि उनके साथ ही दर्शक बह लेता है। 

इसके बाद नंबर है फिल्म 'गोलमाल' का। साल 1979 में आई फिल्म 'गोलमाल' आज भी लोगों को उतनी ही पसंद है। अमोल पालेकर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म में दीना पाठक 'नकली मां' की जबरदस्त एक्टिंग करती दिखती हैं। अमोल पालेकर के बॉस बने जब उत्पल दत्त घर आते हैं, तो किचन की खिड़की से दीना पाठक, जो कि नकली मां बनी है, वो आती हैं। उनकी कॉमिक टाइमिंग और वो सीन बस सोचने भर से ही हंसी आ जाती है। 

साल 1980 में आई 'खूबसूरत' में वो एक कड़क मां के किरदार में दिखीं। बता दें कि 'खूबसूरत' और 'गोलमाल' दोनों ही ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म हैं। 

फिल्म 'खूबसूरत' की बात करें, तो इसमें वो गुप्ता फैमिली की मुखिया निर्मला गुप्ता बनी हैं और उनके पति की भूमिका में अशोक कुमार थे। निर्मला गुप्ता के कड़क मिजाज़ और अनुशासन का डंडा पूरे घर पर चलता है। 

आर्ट हो या फिर कमर्शियल सिनेमा दोनों में ही दीना पाठक की धाक रही है। साल 1997 में आई फिल्म 'परदेस' में गंगा (महिमा चौधरी) की दादी की भूमिका में थीं, जो अमरीश पुरी की मां रहती हैं। बस अपनी आंखों के इशारे से अमरीश पुरी को फिल्म में धमका देती हैं। साल 2002 में आई 'देवदास' और साल 2003 में रिलीज़ हुई 'पिंजर' उनकी आखिरी फिल्में रहीं। 

बता दें कि 11 अक्टूबर 2002 में उनका निधन हो गया।


दीना पाठक के बारे में रोचक तथ्य

  • दीना पाठक का जन्म 4 मार्च 1922 को अमरेली, गुजरात में हुआ था। उनके पिता इंजीनियर थे। वो कम उम्र में ही इंडियन नेशनल थियेटर से जुड़ गईं साथ ही वो स्टूडेंट एक्टिविस्ट रहीं। बंबई में पढ़ते हुए ही जमकर थियेटर किया और इप्टा से जुड़ीं रहीं।
  • -दीना की शादी बलदेव पाठक से शादी हुई थी, जिनकी बंबई में गेटवे ऑफ इंडिया पर अपोलो बंडर के पास कपड़े सिलने की दुकान थी। बलदेव पाठक राजेश खन्ना और दिलीप कुमार के कपड़े डिजाइन किया करते थे। वो खुद को इंडिया का पहला डिजाइनर कहते थे, लेकिन जब राजेश खन्ना की फिल्में चलनी बंद हो गईं थी तो उनका कारोबार चलना भी बंद हो गया। 52 साल की उम्र में वे चल बसे।
  • दीना ने अपने इन नाटकों के जरिए लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूक किया। उनके प्ले ‘मेना गुर्जरी’ के लिए तो लोग सुबह 4 बजे से लोगों की लाइन लगनी शुरू हो जाया करती थी और टिकट लेने के लिए लोग घंटों कतार में लगे रहते थे। उनका यह प्ले आज भी परफॉर्म किया जाता है। साल 1957 में राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सामने राष्ट्रपति भवन में इस नाटक को प्रस्तुत किया था।
  • केतन मेहता की फिल्म ‘मिर्च मसाला’में दीना के साथ उनकी दोनों बेटियों रत्ना और सुप्रिया के साथ और दामाद नसीरुद्दीन शाह ने काम किया था। उसी साल 1985 में शुरू हुई कॉमेडी टीवी सीरीज ‘इधर उधर’ में भी वे नजर आईं। 
  • बॉलीवुड ही नहीं हॉलीवुड फिल्मों में भी दीना पाठक ने काम किया है। साल 1969 में मर्चेंट आइवरी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘द गुरु’, फिर 1984 में आई निर्देशक डेविड लीन की ‘अ पैसेज टू इंडिया’ और आखिरी साल 2002 में उन्होंने दीपा मेहता की फिल्म ‘बॉलीवुड हॉलीवुड’ में नज़र आईं।