'सूरमा भोपाली' ही नहीं, और भी हैं जगदीप के दमदार किरदार

अपने सिने करियर में तकरीबन 400 फिल्में कर चुके जगदीप आज अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं। अपने करियर में उन्होंने एक से बढ़कर एक किरदार निभाये हैं और उनके कुछ किरदार तो आज भी आपके ज़ेहन में ताजे हैं। इन दिनों फिल्मों से रिटायर होकर, भरे-पूरे परिवार के साथ सुकूनपरस्त ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। ऐसे में आइए उनके द्वारा निभाये गए कुछ ख़ास किरदारों पर एक नज़र डालते हैं। 
Jagdeep's iconic roles
मध्यप्रदेश के दतिया में 29 मार्च 1939 को सैयद इश्तियाक़ जाफरी के नाम से जन्में शख़्स को सिनेप्रेमी जगदीप के नाम से जानते हैं। आठ साल की उम्र में पिता को खो देने वाले इश्तियाक़ अपनी मां के साथ विभाजन के दौरान मुंबई आ गया। 

अपनी मां को गुज़र-बसर करते देख इश्तियाक़ से रहा न गया। पढ़ाई-लिखाई में तो यूं भी मन नहीं लगता था, ऊपर ग़रीबी ने पढ़ने की इच्छा एकदम ख़त्म कर दी। गुज़र-बसर के लिए मां का हाथ बंटाना था, सो इसने कंघी बेचनी शुरू कर दी। 

कंघी बेचते इस बच्चे को एक फिल्म में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट्स के रूप में मौका मिला। पहले तो ये सिर्फ भीड़ का हिस्सा था, लेकिन चाइल्ड आर्टिस्ट जिसे डायलॉग बोलना था, वो अकबका सा गया। फिर मौक़ा मिला इश्तियाक़ को। उर्दू ज़बान के उस डायलॉग को फर्राटे से बोल गया। 

इस तरह बीआर चोपड़ी की फिल्म 'अफसाना' में इश्तियाक़ चाइल्ड आर्टिस्ट 'मास्टर मुन्ना' बन गया और शुरू हुआ सिने करियर। हालांकि, फिल्म में रूचि के कारण नहीं, बल्कि पैसों के कारण यह बच्चा आया और फिर जगदीप बन कर जगमगा गया। 

जगदीप ने अपने करियर में लगभग 400 से ज्यादा फिल्में की हैं, लेकिन फिल्म 'शोले' के 'सूरमा भोपाली' ने उनको एक अलग स्थान दिलवाया। कॉमेडी का उस्ताद जगदीप को ‘स्लो रिएक्शन एंड डबल टेक’ का मास्टर कहते हैं। 

जगदीप उन गिने-चुने कलाकारों में से हैं, जिन्हें बिमल रॉय ने अपनी फिल्म में काम करने के लिए खुद बुलाया हो। साथ ही वो सपोर्टिंग आर्टिस्ट हैं, जिनकी प्रतिभा के कायल पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू हुए और गोल्ड मेडल दिया। 

फिर आज जगदीप की सालगिरह पर उनके निभाये कुछ दमदार किरदारों की करते हैं बात। 

'दो बीघा ज़मीन' के 'लालू उस्ताद'

जगदीप ने बीआर चोपड़ा की फिल्म 'अफसाना' से सिने करियर शुरू किया था, लेकिन बिमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा ज़मीन' ने उनको सुर्खियां दिलवाईं। साल 1953 में आई 'दो बीघा ज़मीन' के लिए खुद बिमल रॉय ने जगदीप का बुलवाया था। दरअसल, बिमल रॉय ने फणि मजुमदार की फिल्म 'धोबी डॉक्टर' में जगदीप को देखने के बाद ही उन्होंने यह फैसला लिया था। बिमल रॉय ने अपनी इस फिल्म में जूते पॉलिश करने वाले का किरदार दिया था, जिसमें जगदीप लोगों को चुटीले संवाद बोलकर जूते पॉलिश करवाने के लिए बुलाते हैं। साथ ही अपनी बिरादरी वालों पर रौब भी जमाते हैं।


'आर पार' का 'इलायची'

गुरुदत्त के निर्देशन में बनी फिल्म 'आर पार' में जगदीप ने 'इलायची' नाम का किरदार निभाया था। नाम से ही जाहिर हैं कि इस फिल्म में उनका किरदार कॉमेडी से ओत-प्रोत होगा। साल 1954 में आई इस फिल्म में जगदीप, गुरु दत्त पार्टनर की तरह ही रहे। फिल्म के शुरू से अंत कर दोनों साथ ही दिखे। दिलचस्प बात यह है कि जहां गुरुदत्त वयस्क थे, वहीं जगदीप किशोरवय थे और बड़े-बूढ़ों की तरह बात करते ते। 

'हम पंछी एक डाल के' के 'महमूद'

साल 1957 में आई इस फिल्म ने फिल्मफेयर का बेस्ट चाइल्ड फिल्म का अवॉर्ड अपने नाम किया था। इस फिल्म में जगदीप ने मुख्य किरदार राजेंद्र मेहरा (मास्टर रोमी) के सहपाठी का किरदार निभाया है। राजेंद्र और महमूद अपने कई दोस्तों के साथ बाहर घूमने चले जाते हैं। इस ट्रिप में महमूद, राजेंद्र का काफी खयाल रखता है, क्योंकि वो घरवालों से नाराज़ होकर आया था। इस किरदार के लिए जगदीप की काफी तारीफ हुई थी और तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें खुद पुरस्कृत भी किया था। 

'शोले' के 'सूरमा भोपाली'

साल 1975 में आई रमेश सिप्पी की इस फिल्म को इसके किरदारों की वजह से ही याद किया जाता है। जय, वीरू, ठाकुर, गब्बर, रहीम चाचा, मौसी, बसंती, जेलर और सूरमा भोपाली...ये वो किरदार हैं, जो सबको याद होंगे। इस फिल्म ने जगदीप को एक नई पहचान दी थी और नाम था 'सूरमा भोपाली'। कई लोग तो आज भी उनको 'सूरमा भोपाली' ही कहते है। फिल्म 'शोले' में वो एक फेकूं आदमी हैं, जो लड़की का टाल चलाता है इसका नाम 'सूरमा भोपाली' रहता है और लोग उससे क़िस्से सुनने आते हैं और वो एक से बढ़कर एक डींगे हांकता है। 

'पुराना मंदिर' का 'मच्छर सिंह'

इस हॉरर फिल्म में जगदीप ने डाकू 'मच्छर सिंह' की भूमिका निभायी थी, जो 'शोले' के 'गब्बर सिंह' से प्रेरित था। साल 1984 में रिलीज़ हुई यह फिल्म थी तो हॉरर, लेकिन जगदीप ने कॉमेडी का भरपूर डोज़ दिया। 

'सूरमा भोपाली' में 'सूरमा भोपाली'

साल 1988 में जगदीप ने 'सूरमा भोपाली' नाम की फिल्म बनाई, जिसमें उन्होंने 'सूरमा भोपाली' का किरदार निभाया। इस फिल्म को खरीददार ही नहीं मिले। 

'निगाहें' के 'मुंशी जी'

श्रीदेवी और सनी देओल की साल 1989 में आई फिल्म 'निगाहें' में जगदीप 'मुंशी जी' की भूमिका मे थे। इस सुपरनैचुरल फिल्म में जगदीप ने हंसी का भरपूर डोज़ दिया। 


'अंदाज़ अपना अपना' के 'बांकेलाल'

साल 1994 में आई राजकुमार संतोषी की फिल्म 'अंदाज़ अपना अपना' में जगदीप ने सलमान खान के पिता 'बांकेलाल' की भूमिका निभायी थी, जो अपने नालायक बेटे 'प्रेम' से काफी परेशान रहता है। फिल्म में बाप-बेटे की नोक-झोंक काफी दिलचस्प है। 


'चाइना गेट' के 'सुबेदार रमैया'

साल 1998 में आई फिल्म 'चाइना गेट' में जगदीप सुबेदार रमैया के किरदार में नज़र आए थे। फिल्म में उन्होंने एक डरपोक आर्मी ऑफिसर की भूमिका निभायी थी, जिसकी शहादत काफी बहादुरी भरी होती है। 


'बॉम्बे टू गोवा' का 'लतीफ खेड़का' 

साल 2007 में आई फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में जगदीप ने आटा चक्की के मालिक लतीफ खेड़का का किरदार निभाया है। लतीफ जब अपनी खोई हुई बेटी की रिपोर्ट लिखवाने पुलिस स्टेशन पहुंचते हैं, तो कॉमेडी भरपूर होती है। वे अपनी बेटी की ऐसी फोटो थानेदार के सामने पेश करते हैं, कि उसमें उसका चेहरा ही नहीं दिख रहा होता है। सभी में बुर्का पहना होता है। उस छोटे से सीन से भी वे लोगों की नजर में आ जाते हैं।

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