'शोले' के 'सूरमा भोपाली' जगदीप से मिलने आ पहुंचे असली 'सूरमा भोपाली'

आज एक्टर जगदीप अपना जन्मदिन मना रहे हैं। 29 मार्च 1939 को जन्में जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक़ है, जिन्होंने फिल्मों में आने के बाद खुद का नाम बदल लिया और जगदीप रख दिया। आज उनके सालगिरह पर जुड़े कुछ रोचक क़िस्से आपसे साझा करते हैं।

jagdeep as soorma bhopali in sholey
अपने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट करने वाले जगदीप ने हिन्दी सिनेमा में अपना एक खास मुकाम बनाया है। 29 मार्च 1939 को मध्यप्रदेश के दतिया में सैयद इश्तियाक़ के नाम से जन्में जगदीप आजादी के बाद मुंबई आ गए थे।

दरअसल, जगदीप के पिताजी वकील थे, लेकिन महज जगदीप जब सिर्फ आठ साल के थे, तो उनके पिताजी का निधन हो गया। फिर देश का विभाजन हुआ, तो परिवार तितर-बितर हो गया। ऐसे में जगदीप अपनी मां के साथ अकेल रह गए। 

पढ़ाई में पहले से ही मन नहीं लगता था, ऊपर से पैसों की तंगी ने पढ़ाई से उनका मन उचाट कर दिया। पढ़ाई छोड़ वो काम की तलाश में लग गए और सड़कों पर कंघी बेचना शुरू कर दिया। 

इसी बीच बीआर चोपड़ा 'अफसाना' नाम की फिल्म बना रहे थे और इसके एक सीन के लिए चाइल्ड आर्टिस्ट्स चाहिए थे। लिहाजा एक्स्ट्रा सप्लायर बच्चों को जमा कर लाया, जिनमें जगदीप भी थे। इस फिल्म में उन्होंने सिर्फ इसलिए काम किया, क्योंकि कंघी बेचकर दिनभर में वो कमा पाते थे, उससे डबल मिल रहा था। 

इस तरह सैयद इश्तियाक़ से मास्टर मुन्ना बने और अपने सिने करियर की। जगदीप ने खुद को उस दौर में स्थापित किया, जब जॉनी वॉकर और महमूद की तूती बोलती थी। ख़ैर, बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट कई फिल्मों में उन्होंने काम किया, लेकिन बिमल रॉय की 'दो बीघा ज़मीन' ने उनको सुर्खियां दिलवाईं। 

इसके बाद वो कई फिल्मों में नज़र आए। उन्होंने अपने करियर में तकरीबन 400 फिल्में की हैं। इन्हीं फिल्मों में से एक है 'शोले', जिसमें वो 'सूरमा भोपाली' के किरदार में दिखे थे। यह किरदार जगदीप के कुछ तरह चिपका की, उनकी पहचान ही बन गया। 

असली 'सूरमा भोपाली' से मुलाक़ात

फिल्म 'शोले' का 'सूरमा भोपाली' का सिर्फ नाम ही ले लो, तो लोग मुस्कुरा देते हैं। यह किरदार था ही इतना दिलचस्प। इस किरदार की कहानी भी बड़ी रोचक है। दरअसल, 'सूरमा भोपाली' का किरदार भोपाल के फॉरेस्ट ऑफिसर नाहर सिंह पर आधारित था। इनकी डींगे मारने की आदत थी। इस वजह से लोग उनका 'सूरमा' कहते थे। नाहर सिंह, सलीम-जावेद से अक्सर मिलता थे। 

इस राइटर जोड़ी ने जब फिल्म 'शोले' लिखना शुरू किया, जो कॉमेडी का पुट डालने के लिए नाहर सिंह से मिलता किरदार 'सूरमा भोपाली' तैयार कर दिया। अब फिल्म रिलीज़ हुई और 'सूरमा भोपाली' मशहूर हो गए, लेकिन इधर नाहर सिंह का काफी मज़ाक बनने लगा। 

नाहर सिंह सलीम-जावेद से खफा हो गए। एक तो उनका फिल्म में मज़ाक बनाया, ऊपर से फॉरेस्ट ऑफिसर को लकड़हारा बना दिया। ऐसे में नाहर सिंह सीधे मुंबई पहुंच गए और जगदीप के साने आकर खड़े हो गए। 

इस क़िस्से के बारे में जगदीप ने एक इंटरव्यू में कहा था, 'फिल्म 'शोले' के रिलीज होने के एक साल बाद मैं एक स्टूडियो में शूटिंग कर रहा था। तभी मेरी नज़र एक आदमी पर पड़ी, वो मुझे घूर रहा था। कुछ दिनों पहले ही डायरेक्टर शक्ति सामंता पर हमला हुआ था। ऐसे में मैं काफी डर गया था।' 

उन्होंने आगे बताया, 'मैं चुपचाप वहां से निकल रहा था, तभी उसने मुझे रोककर कहा-'कहां जा रहे हो खां। मुझे देखो मेरा रोल किया है और मुझे ही नहीं पहचानते हो। दो साल का बच्चा भी मेरा लकड़हारा कहकर मजाक बना रहा है।'

जगदीप को समझ नहीं आया कि किस तरह से नाहर सिंह को समझाया जाए, लेकिन बाद में जॉनी वॉकर ने उनकी मदद की और नाहर सिंह को समझा कर वापस भोपाल भेजा। 

जगदीप ने की 33 साल छोटी लड़की से तीसरी शादी

जगदीप अपनी तीसरी शादी को लेकर विवादों में घिर गए। दरअसल, मामला यह है कि जगदीप के दूसरे बेटे नावेद की शादी के लिए लड़की वाले आए थे, लेकिन नावेद ने शादी से मना कर दिया। दरअसल, नावेद उस वक्त अपनी ज़मीन तलाश रहे थे, तो वो अभी शादी नहीं करना चाहते थे। इस बीच जिस लड़की से नावेद की शादी होन वाली थी, उसकी बहन पर जगदीप का दिल आ गया। लगे हाथ उसे प्रपोज़ कर डाला और वो मान भी गई। 

वैसे, देखा जाए, तो कोई हर्ज़ नहीं है। कहते हैं, 'जब मियां बीवी राज़ी, तो क्या करेगा काज़ी'। फिर भी विवाद हुआ, क्योंकि उम्र में जगदीप से उनकी तीसरी पत्नी नाज़िमा 33 साल छोटी हैं। इस शादी से जगदीप के बेटे जावेद जाफरी के भी खफा होने की ख़बरें हैं, लेकिन फिलहाल सब ठीक-ठाक है। जगदीप की विरासत को उनके आर्टिस्ट बेटे जावेद जाफ़री और नावेद जाफ़री सिनेमा और टीवी की दुनिया में बड़े जोर-शोर से आगे बढ़ा रहे हैं।

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