मिलिंद सोमण ने कहा कि 'आर एस एस' ने कभी अपने विचार नहीं थोपे!

मॉडल-एक्टर मिलिंद सोमण ने अपनी किताब 'मेड इन इंडिया' में 'आर एस एस' की शाखा में जाने और वहां ट्रेनिंग करने के अनुभव को साझा किया, जिसके बाद वो ट्रेंड करने लगे हैं। बता दें मिलिंद ने इस किताब को रूपा राय के साथ मिलकर लिखी है। 

milind soman's book made in india
देश के फिटनेस आइकॉन माने जाने वाले मिलिंद सोमण सुर्खियों में हैं। अक्सर अपने वीडियोज़ और फोटोज़ को लेकर चर्चा में रहने वाले मिलिंद इस बार अपने विचार को लेकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। दरअसल, हाल ही में आई उनकी किताब 'मेड इन इंडिया' में उन्होंने खुलासा किया है कि बचपन में वो राष्ट्रीय स्वयं संघ यानी 'आर एस एस' की शाखा में जाया करते थे। 

मिलिंद ने अपनी किताब में लिखते हैं, 'एक चीज़ दो उस दौर में हुई थी, वो थी मेरी आर एस एस में जॉइनिंग। एक बार फिर से सारी चीज़ें लोकल थीं। लोकल शाखा, या शिवाजी पार्क का ट्रेनिंग सेंटर और बाबा को इस बात पर बहुत ज्यादा यक़ीन था कि इससे एक युवा लड़के में अनुशासन, जीने का तरीका, फिटनेस और सोचने के ढंक में बड़े बदलाव आते हैं। यह कुछ ऐसा था, जो कि उन दिनों हमारे आसपास के अधिकतर युवा किया करते थे। शिवाजी पार्क की एक रूटीन चीज़।'

वे आगे लिखते हैं कि इसे जॉइंन करने के काफी समय तक मैं साइडलाइन रहा। प्रतिभावान लोगों के पीछे छिपा रहा। मुझे इस बात से काफी चिढ़ होती थी कि मेरे माता-पिता ने मुझ जैसे अकेले खुश रहने वाले बच्चे को बिना मुझसे पूछे दमखम वाली चीजों में धकेल दिया, और मैं इसका हिस्सा बिलकुल भी नहीं बनना चाहता था।

मिलिंद ने इस किताब में बताया है कि उनके लिए रोज शाम को 6 से 7 बजे के बीच वॉक पर जाना एक आदत सी बन गई थी। यह मैं हमेशा से करता रहा हूं और इसने मेरी ज़िंदगी बदल दी। 

वहीं इस किताब में अपने पिता की सोच के बारे में भी मिलिंद ने जिक्र किया है, 'मेरे पिता भी आर एस एस का हिस्सा रहे हैं और वह एक बहुत गौरांवित हिंदू थे। हालांकि, मैंने यह कभी नहीं समझा कि इसमें गर्व करने जैसा क्या था, लेकिन मैंने यह भी नहीं देखा कि इसमें शिकायत करने जैसा क्या है।'

आर एस एस के बारे में विचार रखते हुए मिलिंद कहते हैं, 'आज जब मैं मीडिया द्वारा आरएसएस को कम्युनल और नुकसानदेह प्रोपैगैंडा वाला कहते देखता हूं, तो मैं सच में बहुत ज्यादा परेशान हो जाता हूं। शाखा के बारे में मेरी यादें पूरी तरह अलग हैं। हम अपनी खाकी शॉर्ट्स में मार्च करते थे और कुछ योग करते थे, आउटडोर जिम में कुछ फैन्सी इक्वीपमेंट के साथ थोड़ा वर्कआउट करते थे। हम गाने गाते थे, संस्कृत मंत्र पढ़ते थे, जिनका हमें मतलब भी नहीं पता होता था और अपने साथियों के साथ गेम्स खेलते थे, जिसमें बहुत मजा आता था।'

वो कहते हैं, 'मैं नहीं जानता कि मेरे शाखा से जुड़े नेता हिंदू के बारे में क्या सोच रखते थे, उन्होंने हम पर कभी भी अपने विचार नहीं थोपे। यदि अगर ऐसा होता, तो मैं उस पर अमल नहीं करता।'

बता दें कि मिलिंद सोमण तकरीबन दस साल की उम्र में आर एस एस की शाखा में जाया करते थे और इसे तकरीबन तीन साल तक उन्होंने जारी रखा। मिलिंद की माने, तो इससे उनको अनुशासनात्म जीवशैली मिली। हालांकि, वो खुद को शुरू से काफी डिसिप्लीन्ड मानते हैं। 

अब मिलिंद सोमण के इस खुलासे के बाद तो मानो सोशल मीडिया पर खलबली ही मच गई और मिलिंद ट्रेंड करने लगे। खुद के 'आर एस एस' से जुड़े होने के खुलासे के बाद ट्रेंड करने को मिलिंद ने अपने ट्विटर हैंडल पर चुटकी भी ली। 

मिलिंद अपने ट्विट में लिखते हैं, ''54 साल की उम्र में 10 साल की उम्र में हुए एक अनुभव के लिए ट्रेंड करना अच्छी बात है। काश मैं स्विमिंग के कारण चर्चा में होता, मैं उस वक्त स्विमिंग भी करता था।'