'रामायण' के राम-सीता-लक्ष्मण के कास्टिंग की कहानी

भारतीय टेलीविज़न के इतिहास में धारावाहिक 'रामायण' एक अहम स्थान रखता है। हाल ही में इस धारावाहिक ने 33 साल पूरे किए हैं और पूरे भारत में लॉकडाउन के चलते पब्लिक डिमांड पर एक बार फिर से इसका प्रसारण शुरू कर दिया गया है। 28 मार्च से दोबारा शुरू हुए इस धारावाहिक के मुख्य किरदारों की कास्टिंग की कहानी लेकर हम आए हैं।

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रामानंद सागर के 'रामायण' का प्रसारण एक बार फिर से दूरदर्शन पर शुरू हो गया। पहले एपिसोड को देखने के बाद दर्शकों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर शेयर की। साथ ही कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। 

बता दें कि हाल ही में इस धारावाहिक ने 33 वर्ष पूरे किए हैं और इस उपलक्ष्य में इस धारावाहिक को मुख्य कलाकार अरूण गोविल, दीपिका चिखलिया और सुनील लहरी 'द कपिल शर्मा शो' में पहुंचे थे। बता दें कि इन तीनों ने राम, सीता और लक्ष्मण की भूमिका निभायी थी। 

कपिल शर्मा के शो पर तीनों ने अपनी कास्टिंक को लेकर दिलचस्प खुलासे किए थे। अब जब फिर से 'रामायण' का प्रसारण शुरू हुआ है, तो आइए जानत हैं इनकी कास्टिंग की दिलचस्प दास्तां। 

ऐसे बनी दीपिका 'सीता'

दीपिका चिखलिया ने कपिल शर्मा के शो में बताया कि वह सागर कैंप के धारावाहिक 'विक्रम बेताल' का हिस्सा थीं, जो रामानंद सागर के बंगले पर ही हुआ करती थी। दीपिका आगे कहती हैं, 'एक दिन जब मैं बंगले पर पहुंची, तो देखा कि बहुत सारे बच्चे वहां आए हुए हैं। मेरी समझ में नहीं आया क्या हो रहा है। तब मैंने पूछा कि क्या घर की किसी भाभीजी ने नर्सरी शुरू की है?...तब जाकर पता चला कि 'रामायण' की शूटिंग शुरू होन वाली है, जिसके लिए पहले 'लव-कुश' का कास्टिंग हो रही है।'

फिर वो कहता हैं, ' इसके बाद मैंने पूछा कि क्या राम-सीता की कास्टिंग हो गई? तो जवाब मिला कि नहीं राम-सीता अभी बाकी हैं, लेकिन पहले लव-कुश फाइनल होंगे।'

दीपिका ने आगे बताया, 'एक दिन पापा जी यानी रामानंद सागर का उनको फोन आया और उन्होंने कहा, 'कुड़ी तू भी आजा, चल सीता के लिए टेस्टिंग कर लेते हैं।' फिर मैंने कहा कि 'विक्रम-बेताल' और 'दादा-दादी की कहानियां' में तो मैं काम कर ही रही हूं और आप अभी भी आप स्क्रीन टेस्ट करना चाहते हैं? मैं तो राजकुमारी का ही किरदार करती रहती हूं। पूरे समय मैं मुकुट पहन कर ही सेट पर घूमती हूं।'

हालांकि, तब उनको जवाब मिला था कि सीता जब स्क्रीन पर आए, तो किसी को बताना न पड़े कि वो सीता है। दर्शक बताये कि यही सीता है। दीपिका ने कहा कि उनके 4-5 स्क्रीन टेस्ट हुए और आखिरकार वो थक गईं और कह दिा कि लेना है तो लो वर्ना कोई बात नहीं। 

ख़ैर, आख़िरी स्क्रीन टेस्ट में उन लोगों ने कहा, 'मिल गई हमारी सीता।' 


ऐसे बने अरुण गोविल 'राम'

'राम' की भूमिका को लेकर अरुण गोविल कहते हैं, 'मैं कुछ शोज़ और फिल्मों में रामानंद सागर के कैंप में काम कर चुका था। जब मुझे ख़बर मिली कि सागर साहब 'रामायण' बनाने जा रहे हैं, तो मुझे लगा कि 'राम' की भूमिका तो मुझे ही मिलनी चाहिए।'

अरुण गोविल आगे बताते हैं, 'मैं उनसे मिलने पहुंचा और कहा कि मैं राम का किरदार करना चाहता हूं। उन्होंने चश्मा ठीक करते हुए मुझे देखा और कहा कि ठीक है, जब टाइम आएगा तब देखेंगे। टाइम आया और उन्होंने मेरा ऑडीशन लिया और आउटराइट रिजेक्ट कर दिया।'

वो आगे कहते हैं, 'एक दिन मुझे सागर साहब का फोन आया और उन्होंने पूछा कि क्या कर रहे हो? मैंने जवाब दिया कि कुछ नहीं। फिर वो बोले कि मुझसे मिलने घर आ जाओ। अब उन्होंने बुलाया था, तो लिहाजा मैं उनके घर पहुंचा, तो उन्होंने कहा कि हमारी सिलेक्शन कमेटी ने ये तय किया है कि तेरे जैसा राम नहीं मिल रहा है।'

खुद को 'राम' का किरदार मिलने के बारे में वो कहते हैं कि जीवन के हर मोड़ पर उसकी मर्ज़ी नहीं चलती और प्रभु की मर्ज़ी के आगे किसी और की नहीं चलती। 


सुनील लहरी बनें 'लक्ष्मण'

सुनील लहरी को पहले 'रामायण' में 'शत्रुघ्न' के किरदार के लिए चुन लिया गया था और 'लक्ष्मण' की भूमिका अभिनेता शशि पूरी करने वाले थे। इस पूरे उलट-फेर वाली कहानी को सुनील ने 'द कपिल शर्मा शो' में सुनाया था। 

सुनील कहते हैं, 'मैं भी अरुण जी और दीपिका जी की तरह 'विक्रम बेताल' और 'दादा दादी की कहानियां' में काम कर चुका था। मुझे 'रामायण' के बारे में पता चला, तो ऑडिशन दे दिया। हालांकि, इसे लेकर मुझे कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन लोगों ने फोर्स किया, तो मैंने भी ट्राय कर लिया। ऑडिशन मे मुझे 'शत्रुघ्न' की भूमिका के लिए चुन लिया गया था. जबकि 'लक्ष्मण' की भूमिका के लिए शशि पुरी जी को फाइनल किया गया था।'

सुनील ने आगे बताया, 'जाने क्या हुआ कि शशि पुरी ने उस किरदार को करने से मना कर दिया। कहते हैं कि किस्मत बहुत बड़ी चीज होती है। मैं सड़क पार कर रहा था, तो सागर साहब वहां से निकले। उन्होंने गाड़ी रोकी और पूछा कि क्या कर रहा है? मैंने कहा शूटिंग चल रही है। उन्होंने मुझसे ऑफिस चलने को कहा और मैंने कहा कि शूट कर रहा हूं फिर आता हूं। मैं बाद में जाना भूल गया। उन दिनों मोबाइल फोन नहीं होते थे, तो लोग लैंडलाइन चलाते थे। मेरे पास लैंडलाइन भी नहीं था, तो सागर साहब ने किसी को भेज कर मुझे बुलवाया।'

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, 'ऑफिस पहुंचते ही मुझे सागर साहब ने 'लक्ष्मण' का किरदार करने के लिए हा। मैंने कहा कि वो तो कोई और कर रहा है ना? उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि तुम 'लक्ष्मण' का किरदार करो।'

रामानंद सागर की बात सुन कर सुनील लहरी थोड़े सकपका गए, क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि वो किसी का रोल छीने। इस बारे में सुनील कहते हैं, 'मैंने बाहर आकर शशि पुरी को फोन किया और कहा कि देखो वो लोग मुझे 'लक्ष्मण' का किरदार ऑफर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देखो मैं तो वो किरदार नहीं करने वाला हूं, तो इससे पहले कि वो किसी और को ले लें, तुम उसके लिए 'हां' कह दो। मैंने तुरंत 'हामी' भर दी और बाकी का इतिहास है।'

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