शॉर्ट फिल्म 'देवी' रिव्यू

काजोल के करियर की पहली शॉर्ट फिल्म रिलीज़ हो गई है। 'देवी' नाम की इस शॉर्ट फिल्म में अलग-अलग तबके की महिलाएं हैं, जो आपस में एक ही कड़ी से जुड़ी हैं। 13 मिनट की इस फिल्म के बारे में और कुछ लिखना, पूरी कहानी बताना हो जाएगा। ज़रा वक्त निकालिए और देख लीजिए। 
kajol in short film devi
शॉर्ट फिल्म : देवी

राइटर-डायरेक्टर : प्रियंका बैनर्जी 

कलाकार : काजोल, मुक्ता बर्वे, नीना कुलकर्णी, नेहा धूपिया, रमा जोशी, संध्या म्हात्रो, शिवानी रघुवंशी, श्रुति हसन, यशस्विनी दायमा

यू-ट्यूब चैनल : लार्ज शॉर्ट फिल्म्स

रेटिंग : 4/5

यूं तो भारत में नारी को देवी माना जाता है, लेकिन सच्चाई यह है कि देश में औशतन 90 बलात्कार के केस भी दर्ज होते हैं। इन केस में अभियुक्तों को सजा मिलने के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि एक तिहाई से भी कम दोषियों को सजा मिल पाती है, बाकी सबूतों की कमी या पर्याप्त गवाही न मिलने कारण छूट जाते हैं। यह सारे आंकड़े लार्ज शॉर्ट फिल्म्स के यूट्यूब चैनल पर फिल्म 'देवी' के खत्म होने पर दिखाया जाता है। 

कहानी

एक कमरा है, जिसमें कुछ औरतें रह रही हैं। ये सभी डिफरेंट एज-ग्रुप्स और बैकग्राउंड्स की हैं। एक मराठी है, जिसकी शादी 12 साल में हो गई थी और वो अब उम्र दराज है, वहीं दूसरी बोल-सुन पाने में अक्षम है। तीसरी को अंग्रेज़ी में ही बात करने में सुविधा होती है। चौथी खुद को शराब में डूबोए हुए है। एक मुस्लिम है, एक हिन्दू है, तो एक स्टूडेंट है।

उस कमरे में मौजूद महिलाएं आपस में बात कर रही होती हैं कि अचानक डोरबेल बजती है। डोरबेल बजते ही ये महिलाएं आपस में बहस करने लगती हैं। बहस, इस बात पर होती है कि जो बाहर आया है, उसे भीतर आने दे या नहीं?...क्योंकि कमरा छोटा है और किसी और के आने से भीड़ और बढ़ जाएगी। 

सबकी अपनी दलीलें हैं। सब अपनी-अपनी बातों पर अटल है। फैसले पर पहुंचने के लिए अलग-अलग सुझाव आते हैं और इसी बीच डोलबेल बजती रहती है। इसी के साथ आता है इस फिल्म का क्लाइमेक्स, जो आपको भीतर हिला देता है। अबकी बार जो इनके साथ रहने के लिए आया है, उसे देखकर बाकी महिलाओं के साथ दर्शकों को भी कलेजा मुंह को आ जाता है। 


समीक्षा

शॉर्ट फिल्म्स में दिक्कत यह होती है कि इनको किरदार को स्थापित करने का समय नहीं मिलता है, लेकिन प्रियंका बैनर्जी ने जिस तरह से मात्र तेरह मिनट में इस कहानी को कहा है, वो काबिल-ए-तारीफ है। प्रियंका ने कहानी को जिस संजीदगी के साथ लिखा है, उतनी ही संवेदनशीलता के साथ इसे फिल्माया है। कहीं से भी नहीं लगता कि फिल्म को सिर्फ दो दिन में फिल्माया गया है।

अभिनय के मामले में भी यह फिल्म मैदान मार ले गई है। काजोल के साथ श्रुति हसन, नीना कुलकर्णी, मुक्ता बर्वे और नेहा धूपिया सरीखें कलाकारों से भरी इस शॉर्ट फिल्म में सभी सहज लगे। हालांकि, काजोल का मराठी एक्सेंट मारक है। 

अब बारी है यक्ष प्रश्न की फिल्म देखी जाए या नहीं....अब यदि यह फीचर फिल्म होती तो इस सवाल का जवाब देना वाजिब था, लेकिन सिर्फ तेरह मिनट की फिल्म के लिए यह सवाल सही नहीं है। देख लीजिए। दिन के 24 घंटों में से सिर्फ तेरह मिनट निकालिए और देख लीजिए। पक्का आपको पसंदी आएगी।