Coronavirus Outbreak:'क्वारंटाइन' थीम पर बनी बॉलीवुड की ये फिल्में

आजकल कोरोना वायरस का ख़तरा दिनों दिन बढ़ता जा रहे हैं, जिसके लिए प्रधानमंत्री से लेकर प्रशासन सभी आमजन से 'सोशल डेस्टेंसिंग' और 'क्वारंटाइन' होने की गुज़ारिश कर रहे हैं। कुछ वक्त घर में खुद को रखने की सलाह दे रहे हैं। कई राज्यों में 'लॉक डाउन' तक कर दिया गया है। वहीं बॉलीवुड में भी कुछ ऐसी फिल्में हैं, जिनमें फिल्म का मुख्य किरदार किसी न किसी परिस्थिति के चलते घर में अकेला रह जाता है। आइए जानते हैं उन फिल्मो के बारे में। 
rajkumar rao in film trapped
कोरोना वायरस अपने तीसरे चरण में है। तब यह और भी ज्यादा ख़तरनाक हो जाता है। विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कोरोना वायरस अब सोशल ट्रांसमीट करने की स्थिति में है। 

फिलहाल ताज़ा आंकड़ों के हिसाब से इस वक्त कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 400 के पार पहुंच गई है। ऐसे में इस वायरस से बचने के लिए आमजन को 'सोशल डिस्टेंसिंग' और 'क्वारंटाइन' होने की सलाह दी जा रही है। 

यहां तक कि कई राज्यों में 'लॉकडाउन' तक कर दिया गया है यानी बेवजह घर के बाहर जाने पर पाबंदी। वैसे बॉलीवुड में ऐसी कुछ फिल्में आ चुकी हैं, जिनमें 'सोशल डिस्टेंसिंग' और 'क्वारंटाइन' जैसी स्थितियां देखने को मिल चुकी है। इन फिल्मों के नायक या नायिका कहीं ऐसी जगह फंस जाते हैं, जहां से वो बाहर नहीं निकल पाते। 

राधिका आप्टे की 'फोबिया'

साल 2016 में राधिका आप्टे की फिल्म 'फोबिया' रिलीज़ हुई थी, जिसमें राधिका ने महक देव नाम का किरदार निभाया था। महक, किसी घटना के कारण एगोराफोबिया की शिकार हो जाती है। इस वजह से वो घर से बाहर नहीं निकलती है। इरोज़ इंरनेशन के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म को पवन कृपलानी ने निर्देशित किया था। 

राजकुमार राव की 'ट्रैप्ड'

साल 2018 में विक्रमादित्य मोटवाने के निर्देशन में बनी फिल्म 'ट्रैप्ड' आई थी। राजकुमार राव की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म की कहानी एक ऐसे शख्स की रहती है, जो अपनी ग़लती से फ्लैट में बंद हो जाता है। यह एक निर्माणाधीन फ्लैट रहता है, जहां कोई खास सुविधाएं नहीं रहती हैं। मोबाइल की बैटरी तक उसकी खत्म हो जाती है। अब बाहर निकलने के लिए कई सारे जुगत लगाता है, दरवाज़े के लॉक तक तोड़ता है, लेकिन असफल रहता है। एक सप्ताह तक घर में रहने के बाद जब खाने के लिए कुछ बचता नहीं है, तो वो कॉकरोच, चींटी और कबूतर तक खाने लगता है। दर्शकों को यह फिल्म काफी पसंद आई थी। 


विनोद कापड़ी की 'पीहू'

साल 2018 में विनोद कापड़ी के निर्देशन में बनी 'पीहू' ने फिल्म फेस्टिवल्स से लेकर फिल्म क्रिटिक्स की भी काफी तारीफें बटोरी थी। फिल्म की कहानी एक छोटी सी बच्ची 'पीहू' की थी, जिसके बर्थ-डे के बाद उनकी मां की मृत्यु हो जाती है। अब वह बच्ची पूरे घर में अकेली रहती है और इस दौरान वो गैस, बिजली और आदि उन चीज़ों को छूती है, जो ज़रा सी लापरवाही से ख़तरनाक हो सकती है। अकेली 'पीहू' कई बार दुर्घटना का शिकार होते-होते बचती है, लेकिन आखिर में उसके पिता घर पर आ जाते हैं और उसे बचाने कामयाब हो जाते हैं। 


तापसी पन्नू का 'गेम ओवर'

साल 2019 में ही 'गेम ओवर' नाम की फिल्म आई थी। इस साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म को काफी पसंद किया गया था। यह कहानी 'स्वपना' नाम की गेम डिज़ाइनर की है, जिसका एक बुरा पास्ट है, और इसी वजह से वो अंधेरे से डरती है। इतना ही नहीं 'स्वपना' को लगता है, जैसे कोई उसे देख रहा है। फिल्म में 'स्वपना' का किरदार तापसी पन्नू ने निभाया था और इसे अश्विन सारावनन ने निर्देशित किया था। 

अली फज़ल की 'हाउस अरेस्ट'

साल 2019 में नेटफ्लिक्स पर 'हाउस अरेस्ट' नाम की फिल्म रिलीज़ हुई थी, जिसमें अली फजल मुख्य भूमिका में थे। फिल्म जापानी कॉन्सेप्ट 'हिकिकोमोरी' पर बेस्ड थी। 'हिकिकोमोरी' में जापान के लोग ख़ासतौर पर युवा खुद को कई दिनों या महीनों या फिर सालों तक खुद को घर में बंद कर लेते हैं। 

अली फज़ल भी इसी तरह खुद को घर में 'हाउस अरेस्ट' कर लेते हैं। खुद को 'हाउस अरेस्ट' किए हुए छह महीने से ऊपर समय निकल जाता है। इस दौरान उनसे मिलने कुछ अनचाहे लोग भी आते हैं। इस फिल्म का निर्देशन शशांक घोष और समित बसु ने किया है।