वेब सीरीज़ 'असुर' रिव्यू

अरशद वारसी, बरुन सोबती, शारीब हाशमी और अनुप्रिया गोयनका स्टारर वेब सीरीज़ 'असुर' वूट सिलेक्ट पर रिलीज़ हो चुकी है। इस सीरीज़ की काफी चर्चा है। तकरीबन पांच सौ विज्ञापनों का निर्देशन कर चुके ओनी सेन के निर्देशन में बनी इस वेब सीरीज़ को यदि आप अभी तक नहीं देख पाए हैं, तो फिर देखने से पहले यहां पढ़िए उसका रिव्यू।

Asur web series reviewवेब सीरीज़ : असुर
निर्देशक : ओनी सेन
कलाकार : अरशद वारसी, बरुन सोबती, शारीब हाशमी, अनुप्रिया गोयनका
रेटिग्स : 4/5

इन दिनों अरशद वारसी अपनी वेब सीरीज़ 'असुर' को लेकर चर्चा में हैं। वूट सिलेक्ट पर रिलीज़ हुई इस वेब सीरीज़ में लॉजिक और मान्यता दोनों एक साथ आगे बढ़ते हैं। इस सस्पेंस थ्रिलर में साइंस और माइथालॉजी दोनों को मिलाकर बनाया गया है। 

हिन्दू धर्म में 'असुरों' का एक अलग स्थान है। इस वेब सीरीज़ उनकी उत्पत्ति और अस्तित्व की कहानी दिखाने की कोशिश की गई है। यह कहानी विज्ञान और धर्म के बीच के संबंध को दिखाती है। कुल-मिलाकर इस सीरीज़ को देखने के बाद लगा कि सही और ग़लत कुछ नहीं होता, बल्कि यह तो एक सिक्के के दो पहलू हैं, जिसे अपने हिसाब से सब पलट लेते हैं। 

कहानी

इस वेब सीरीज़ की कहानी तीन किरदारों के इर्द-गिर्द बुनी गई है। पहली है 'असुर'। बनारस के एक पंडित के यहां बच्चा पैदा होता है, लेकिन उसका बाप उसे 'असुर' कहता है, क्योंकि एक तो वो मनचाहे नक्षत्र में पैदा नहीं हुआ और दूसरा पैदा होते ही उसकी मां का निधन हो गया। हालांकि, बच्चे का आईक्यू लेवल बहुत तेज़ है, लेकिन बड़े होकर वो सीरियल किलर बन जाता है। उसके किलर बनने के कारणों में पहला उसका मुश्किल बचपन, तो दूसरा शास्त्रों, वेदों को पढ़कर विकसित हुई एक अजीब सी आइडियोलॉजी। 

इस वेबसीरीज़ का तीसरा किरदार है निखिल नायर, जो कभी सीबीआई की फोरेंसिक टीम में काम करता था, लेकिन अब अमेरिका में पढ़ाता है। इसे वापस इंडिया आना पड़ता है, क्योंकि कोई है, जो इसे इंडिया वापस बुला रहा है। एत जाल बुन रहा है। 

तीसरे हैं डॉक्टर धनंजय राजपूत, जो सीबीआई की फोरेंसिक टीम में टॉप पोस्ट पर है, लेकिन पहले ही एपिसोड में अपनी पत्नी, संध्या के कत्ल के इल्ज़ाम में वो जेल में पहुंच गए हैं। 

'असुर' जो कि पास्ट में हुई कुछ चलते निखिल और धनंजय से जुड़ा हुआ है, वो उनसे संपर्क करने की कोशिश करता है। 'असुर' निखिल को अपना दोस्त और धनंजय को अपना दुश्मन मानता है। हालांकि, धनंजय और निखिल दोनों 'असुर' की इस सोच से अनजान हैं। ऐसे में 'असुर' इन दोनों को अपने पास बुलाने की योजना बनाता है, जिसमें सबी उलझ जाते हैं। फिर शुरू होता है सीरियल किलिंग का सिलसिला।

इस सीरीज़ को देखते हुए की सवाल आएंगे, जैसे- असुर, निखिल और डॉक्टर धनंजय राजपूत के बीच क्या रिश्ता है?...असुर, उनको क्यों मार रहा है, जिनको मार रहा है? पैटर्न क्या है? मकसद क्या है?.. क्या असुर आसपास का ही कोई है? टीम मेंबर या फिर रिश्तेदार?... क्या डॉक्टर धनंजय राजपूत ने ही संध्या का कत्ल किया है? और यदि नहीं, तो फिर किसने किया?...क्या है इन तीन लीड कैरेक्टर्स का पास्ट, जो सिर्फ सीरियल मर्डर के चलते ही नहीं, पर्सनली भी इनको कनेक्ट करता है....सारे सवालों के जवाब धीरे-धीरे खुलेंगे। 

समीक्षा

इस वेब सीरीज़ को गौरव शुक्ला, विनय चावला और निरेन भट्ट ने लिखा है और ओनी सेन ने इसे निर्देशित किया है। बतौर निर्देशक उन्होंने उम्दा काम किया है। इस सीरीज़ ने सस्पेंस थ्रिलर जॉनर में अपनी एक अलग जगह बनाने की क्षमता है। इस सीरीज़ को देखते हुए दर्शक इस तरह बंध जाता है, जैसे गोंद की तरह चिपक गया है। कहानी की जटिलताओं और किरदारों को बेहतरीन तरीके से जोड़ा गया है। ओनी को इसके लिए फुल मार्क्स मिलते हैं। 

एक्टिंग की बात करें, सभी कलाकारों का काम अच्छा रहा। अरशद वारसी ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है, जबकि बरुन सोबती ने अपने किरदार में जान डाल दी है। शारीब हाशमी बेहतरीन अभिनेता हैं और एक बार फिर से वो यह बात साबित करते हैं। 

ख़ास बात

हिन्दी में इस तरह के सस्पेंस थ्रिलर कम ही देखने को मिलते हैं, लेकिन यदि आपको यह जॉनर पसंद है, तो फिर इस सीरीज़ को 'मिस' मत कीजिए। बस देख लीजिए। यह आपको स्टार्ट टू एंडिंग खुद से बांदें रखेगी। कलाकारों की जबरदस्त परफॉर्मेंस और बेहतरीन स्टोरीलाइन वाली इस सीरीज़ को देखने का मौका न गंवाएं।