इरफान खान की चिट्ठियां, पढ़कर इमोशनल हो जाएंगे आप

इरफान खान का 'चिट्ठियों' से गहरा नाता रहा है। फिल्म 'सलाम बॉम्बे' के 'लेटर राइटर' इरफान ने अपनी बीमारी से लेकर इलाज़ तक के बारे में अपने फैन्स और फॉलोवर्स को चिट्ठियों के जरिये एक ब्रिज बनाये रखा। कुल मिलाकर पांच चिट्ठियों में उन्होंने अपने हाल-ए-दिल बयां किया था।  

irrfan khan's 5 letters
इरफान खान को दो साल पता चला कि उन्हें न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर है। यह एक रेयरेस्ट रेयर डिसीज़ है। उनकी इस बीमारी के बारे में मीडिया में तरह-तरह की ख़बरें आने लगीं। ऐसे में इरफान ने अपने सोशल मीडिया पर आकर अपने बारे में जानकारी दी। 

इरफान की पहली चिट्ठी 

इरफान ने अपने ट्विटर पर 5 मार्च 2018 को एक चिट्ठी लिखी और इस चिट्ठी में उन्होंने अपने सेहत को लेकर आ रही ख़बरों के सच को बताया। साथ ही अपने लिए दुआ करने की गुज़ारिश भी की। 

इरफान लिखते हैं, 'कभी-कभी आप एक झटके से जागते हैं। पिछले 15 दिन मेरे जीवन की सस्पेंस स्टोरी है। मैं दुर्लभ बीमारी से पीड़ित हूं। मैंने जिंदगी में कभी समझौता नहीं किया। मैं हमेशा अपनी पसंद के लिए लड़ता रहा और आगे भी ऐसा ही करूंगा। मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं। हम बेहतर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे ही सारे टेस्ट हो जाएंगे। मैं आने वाले दस दिनों में अपने बारे में बात दूंगा। तब तक आप सब मेरे लिए दुआ करें।' 

इरफान की दूसरी चिट्ठी

इरफान की दूसरी चिट्ठी 16 मार्च 2018 को उनके ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट की गई। इस चिट्ठी की शुरुआत उन्होंने मारग्रेट मिशेल के एक दार्शनिक विचार से की थी।

इरफान लिखते है, 'मार्ग्रेट मिशेल-'जिंदगी पर इस बात का आरोप नहीं लगाया जा सकता कि इसने हमें वो नहीं दिया, जिसकी हमें इससे उम्मीद थी।' पिछले कुछ दिनों में मैंने सीखा है कि अचानक सामने आने वाली चीजें हमें जिंदगी में आगे बढ़ाती हैं। मुझे मेरे न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर होने का पता चला। इसे कबूल करना आसान नहीं है। लेकिन मेरे आसपास मौजूद लोगों के प्यार और मेरी इच्छाशक्ति ने मुझे उम्मीद दी है। बीमारी की वजह से मुझे विदेश जाना पड़ रहा है। आप सभी मेरे लिए दुआएं कीजिए। इस बीच उड़ी अफवाहों की बात करूं, तो 'न्यूरो' शब्द का इस्तेमाल हमेशा दिमाग़ के लिए ही नहीं होता और रिसर्च के लिए गूगल इसके लिए आसान रास्ता है। अब जिन लोगों ने मेरे लिखने का इंतजार किया। उम्मीद है उन्हें बताने के लिए कई कहानियों के साथ लौटूंगा।'

इरफान की तीसरी चिट्ठी

इरफान ने एक वेबपोर्टल पर 19 जून 2018 को एक चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर उन्होंने शेयर करते हुए लिखा, 'चिंता दरकिनार हुई और फिर विलीन होने लगी और फिर मेरे दिमाग से जीने-मरने का हिसाब निकल गया।'

चिट्ठी की शुरुआत कुछ इस तरह करते हैं, 'कुछ महीने पहले अचानक मुझे पता चला था कि मैं न्यूरोएन्डोक्राइन कैंसर से ग्रस्त हूं। मैंने पहली बार यह शब्द सुना था। खोजने पर पाया कि मेरी इस बीमारी पर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं, क्योंकि यह एक दुर्लभ शारीरिक अवस्था का नाम है और इस वजह से इसके उपचार की अनिश्चितता ज्यादा है। अभी तक अपने सफर में मैं तेज-धीमी गति से चलता चला जा रहा था। मेरे साथ मेरी योजनाएं, आकांक्षाएं, सपने और मंजिलें थीं।'

वो आगे लिखते हैं, 'इनमें लीन मैं बढ़ा जा रहा था कि अचानक टीसी ने पीठ पर टैप किया, ‘आपका स्टेशन आ रहा है, प्लीज उतर जाएं।’ मेरी समझ में नहीं आया, ‘ना ना मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है। जवाब मिला, ‘अगले किसी भी स्टॉप पर आपको उतरना होगा। आपका गंतव्य आ गया।अचानक अहसास होता है कि आप किसी कॉर्क की तरह अनजान सागर में, अप्रत्याशित लहरों पर बह रहे हैं... लहरों को काबू कर लेने की गलतफहमी लिए।

कुछ हफ्तों के बाद मैं एक अस्पताल में भर्ती हो गया। बेइंतहा दर्द हो रहा है। यह तो मालूम था कि दर्द होगा, लेकिन ऐसा दर्द... अब दर्द की तीव्रता समझ में आ रही है। कुछ भी काम नहीं कर रहा है। ना कोई सांत्वना, ना कोई दिलासा। पूरी कायनात उस दर्द के पल में सिमट आई थी। दर्द खुदा से भी बड़ा और विशाल महसूस हुआ।'

अपने अस्पताल के बारे में उस खत में लिखते हैं, ' मैं जिस अस्पताल में भर्ती हूं, उसमें बालकनी भी है। बाहर का नज़ारा दिखता है। कोमा वार्ड ठीक मेरे ऊपर है। सड़क की एक तरफ मेरा अस्पताल है और दूसरी तरफ लॉ‌र्ड्स स्टेडियम है... वहां विवियन रिच‌र्ड्स का मुस्कुराता पोस्टर है। मेरे बचपन के ख्वाबों का मक्का, उसे देखने पर पहली नज़र में मुझे कोई अहसास ही नहीं हुआ। मानो वह दुनिया कभी मेरी थी ही नहीं।

मैं दर्द की गिरफ्त में हूं- और फिर एक दिन यह अहसास हुआ... जैसे मैं किसी ऐसी चीज का हिस्सा नहीं हूं, जो निश्चित होने का दावा करे। ना अस्पताल और ना स्टेडियम। मेरे अंदर जो शेष था, वह वास्तव में कायनात की असीम शक्ति और बुद्धि का प्रभाव था। मेरे अस्पताल का वहां होना था। मन ने कहा- केवल अनिश्चितता ही निश्चित है।'

वो आगे लिखते हैं, 'इस अहसास ने मुझे समर्पण और भरोसे के लिए तैयार किया। अब चाहे जो भी नतीजा हो, यह चाहे जहां ले जाए, आज से आठ महीनों के बाद, या आज से चार महीनों के बाद या फिर दो साल। चिंता दरकिनार हुई और फिर विलीन होने लगी और फिर मेरे दिमाग से जीने-मरने का हिसाब निकल गया।'

इरफान लिखते हैं, 'पहली बार मुझे शब्द ‘आज़ादी‘ का अहसास हुआ, सही अर्थ में! एक उपलब्धि का अहसास। इस कायनात की करनी में मेरा विश्वास ही पूर्ण सत्य बन गया। उसके बाद लगा कि वह विश्वास मेरी एक एक कोशिका में पैठ गया है। वक्त ही बताएगा कि वह ठहरता है या नहीं। फिलहाल मैं यही महसूस कर रहा हूं।'

आगे लिखते हैं, 'इस सफर में सारी दुनिया के लोग... सभी मेरे सेहतमंद होने की दुआ कर रहे हैं। प्रार्थना कर रहे हैं, मैं जिन्हें जानता हूं और जिन्हें नहीं जानता, वे सभी अलग-अलग जगहों और टाइम जोन से मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं। मुझे लगता है कि उनकी प्रार्थनाएं मिल कर एक हो गई हैं। एक बड़ी शक्ति, तीव्र जीवन धारा बन कर मेरे स्पाइन से मुझमें प्रवेश कर सिर के ऊपर कपाल से अंकुरित हो रही है।'

अपने खत को समेटते हुए लिखते हैं, 'अंकुरित होकर यह कभी कली, कभी पत्ती, कभी टहनी और कभी शाखा बन जाती है। मैं खुश होकर इन्हें देखता हूं। लोगों की सामूहिक प्रार्थना से उपजी हर टहनी, हर पत्ती, हर फूल मुझे एक नई दुनिया दिखाती हैं. अहसास होता है कि जरूरी नहीं कि लहरों पर ढक्कन (कॉर्क) का नियंत्रण हो। जैसे आप कुदरत के पालने में झूल रहे हों।'

इरफान की चौथी चिट्ठी 

तीसरी चिट्ठी और चौथी चिट्ठी में तकरीबन नौ महीने का अंतर था। 3 अप्रैल 2019 में इरफान ने अपनी चौथी चिट्ठी लिखी थी। 

इस चिट्ठी में वो लिखते हैं, 'कई बार जीतने की दौड़ में हम यह भूल जाते हैं कि प्यार पाना कितना महत्वपूर्ण होता है। अब मैं जिंदगी के उन पड़ावों पर अपने पैरों के निशान छोड़ता हूं और आप सबके प्यार और सहयोग के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूं। आपकी दुआओं की वजह से मुझे ठीक होने में काफी मदद मिली। अब मैं आपके पास वापस आ गया हूं। सबको तह-ए-दिल से शुक्रिया कहना चाहता हूं।'

इरफान की पांचवी चिट्ठी 

इरफान ने मीडिया के नाम भी पाती लिखी।
इरफान लिखते हैं, ' पिछले कुछ महीने का वक्त धीरे-धीरे ठीक होने की राह में थकान से लड़ते, फिल्मी और वास्तविक दुनिया का सामना करते बीते। मैं आपकी उस चिंता को जानता हूं, जिसमें आप मुझसे बात करके अपने सफर को साझा करने के लिए कह रहे हैं, लेकिन मैं खुद को कुछ वक्त और देना चाहता हूं, ताकि मुझे पता चल सके कि मैं कहां पहुंचा हूं। काम के साथ अपने स्वास्थ्य को जोड़ने के लिए छोटे छोटे कदम उठा रहा हूं और दोनों को जोड़ने की कोशिश कर रहा हूं।'

वो आगे लिखते हैं, ' आपकी दुआएं, प्रार्थनाएं मुझ तक पहुंची हैं और मेरे और मेरे परिवार के लिए ये बहुत मायने रखती हैं। मैं आपका सम्मान करता हूं, जिस तरह से आपने मेरी यात्रा को सम्मान दिया और मुझे ठीक होने का समय दिया। इस यात्रा के दौरान आपके धैर्य, गर्मजोशी और प्यार के लिए धन्यवाद।'

इरफान की इस पांचवी और आखिरी चिट्ठी में ऑस्ट्रियन कवि रेनर मारिया रिल्क की कुछ पंक्तियां लिखी है। वो कहते हैं,'मुझे महसूस हो रहा है मैं आपके साथ कुछ साझा करूं- 'मैं अपना जीवन ऐसे बड़े और चौड़े छल्लों में जी रहा हूं जो पृथ्वी और आकाश में फैले हैं। मैं शायद आखिरी को भी पूरा नहीं कर सकता लेकिन मैं यही कोशिश करूंगा, मैं ईश्वर की पहली मीनार के चारों ओर चक्कर लगाता हूं, और ऐसा मैं दस हजार साल से कर रहा हूं। और मैं अभी तक नहीं जानता कि क्या मैं एक बाज़ हूं। या एक तूफान हूं या फिर कोई अधूरा गीत हूं- रिल्क।''

इरफान पिछले दो साल से हाई ग्रेड न्यूरोएंडोक्राइन कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे थे। साल 2018 में इस बीमारी का पता चलते ही इरफान लंदन में में अपनी इस बीमारी का इलाज करा रहे थे। फिर अचानक तबीयत खराब होने के कारण उन्हें मंगलवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था, जहाँ उन्होंने आखिरी सांस ली।

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