सोहम शाह ने बताया कि आखिर कैमरे के पीछे कैसा था इरफान खान का बर्ताव?

सोहम शाह ने मेघना गुलज़ार की फिल्म 'तलवार' में दिवंगत अभिनेता इरफान खान के साथ स्क्रीन शेयर किया था। इरफान खान के साथ काम करने के अपने अनुभव को सोहम शाह ने साझा किया है। इस दौरान सोहन ने बताया कि इरफान कैमरे के पीछे किस तरह का बर्ताव करते थे, उनकी किन बातों ने सोहम को प्रेरित किया है।

sohum shah and irrfan khan in film 'talvar'
'तुम्बाड़' से लाइमलाइट बटोरने वाले सोहम शाह ने मेघना गुलज़ार की फिल्म 'तलवार' में भी अहम भूमिका निभाई है। इस फिल्म में इरफान खान के साथ सोहम को काम करने का मौका मिला। इरफान के साथ ऑन-स्क्रीन और ऑफ-स्क्रीन काम करने के अपने अनुभवों को सोहम ने साझा किया। 

'तलवार' में इरफान खान के साथ काम करने पर सोहम शाह ने कहा, 'मुझे उनके साथ काम करने का बहुत अच्छा अनुभव मिला। वह सेट पर सबसे अधिक चिल्ड-आउट एक्टर रहे। वह शॉट्स के बीच सुझाव देते थे। इसलिए मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। वह कैमरे के पीछे एक अलग व्यक्ति होते थे।'

सोहम हमेशा इरफान की सोच से इंस्पायर्ड रहे हैं, उनका कहना है कि इरफान दुनिया को अलग नज़रिये से देखते थे। 

सोहम कहते हैं, ' एक चीज जो मैंने उनसे सीखी है, वह है इस क्षण में रहना। वह आराम से रहते थे और चीजों पर चिंता या तनाव नहीं करते थे, उन्हें लगता था कि एक बार जब आप आराम कर लेते हैं, तो आप स्थिति पर नियंत्रण रखते हैं, उनका अपने दिमाग़ पर अद्भुत नियंत्रण था।'

सोहम का कहना है कि उनकी इरफान खान से पहली मुलाकात 'लंच बॉक्स' की पार्टी में हुई थी। पहली बार मिलने पर दोनों ने एक-दूसरे के काम की तारीफ की थी। 

वो कहते हैं, 'सबसे प्रतिभाशाली और बहुमुखी अभिनेताओं में से एक होने के बावजूद भी वह खुद को बेहतर बनाने के तरीकों की तलाश में रहते थे। वह एक अभिनेता के रूप में ही नहीं बल्कि एक इंसान के रूप में भी बहुत आगे थे।'

सोहम, इरफान खान के निधन की खबर मिलते ही निराश और आवाक् रह गए थे। सोहम का कहना था कि इरफान ने अपनी आखिरी रिलीज़ फिल्म से सबको चौंका दिया था। कैंसर से जूझने के बावजूद भी वो मजबूती से खड़े रहे। 

इरफान के बारे में सोहम कहते हैं, 'मैंने उनके साथ काम किया है और उनके साथ कुछ समय बिताया है। मैंने एक महान अभिनेता के रूप में उन्हें देखा। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। यह फिल्म उद्योग के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।'

सोहम कहते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री ने रत्न को खो दिया है। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है। 

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