प्रवासियों के 'मसीहा' सोनू सूद करते थे लोकल ट्रेन से सफर

लॉकडाउन में मुंबई में फंसे मजदूरों को उनके घर का पहुंचाने का जिम्मेदारी को अपने कंधे पर उठाने वाले सोनू सूद कभी लोकल ट्रेन से सफर किया करते थे। 420 रुपये में वो महीने भर सफर किया करते थे। 23 साल पुराना रेल्वे पास सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। 

sonu sood 23 years old railway monthly pass goes viral
कोरोना वायरस के संकट के चलते देश भर में लॉकडाउन लगा दिया गया। ऐसे में कई प्रवासी मजदूर मुंबई में फंस गए। इन प्रवासियों को अपने-अपने घर पहुंचाने की जिम्मेदारी सोनू सूद ने उठी ली। अब तक हज़ारों को वो घर तक पहुंचा चुके हैं। 

उनके इस काम की काफी तारीफ हो रही है। साथ वो इन प्रवासियों का मदद के लिए अपने सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं। जहां एक तरफ लोग उनसे अपने घर जाने के लिए संपर्क कर रहे हैं, तो वहीं कई लोग उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। 

वहीं कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो मज़ाकियां अंदाज़ में उनसे मदद मांग रहे हैं, जिनके दिलचस्प जवाब भी सोनू सूद उसी अंदाज़ में दे रहे हैं। 

ख़ैर, सोनू सूद इन प्रवासियों को न सिर्फ घर पहुंचा रहे हैं, बल्कि रास्ते के लिए भोजन आदि की भी व्यवस्था भी बखूबी कर रहे हैं। 

वहीं एक समय ऐसा भी था, जब सोनू खुद की ज़मीन तलाशने मुंबई पहुंचे थे और इस दौरान वो लोकल ट्रेन से सफर किया करते थे। एक महीने के लिए वो 420 रुपये दे कर पास बनवाया करते थे और फिर पूरी मुंबई में जहां भी जाना होता था, वो सफर किया करते थे। 

अपने इस सफर की जानकारी सोनू सूद ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिये दी थी और उस वक्त उन्होंने अपना रेल्वे पास भी शेयर किया था। अब एक बार फिर से उनका वो रेल्वे पास वापस वायरल हो गया है। 

दरअसल हाल ही में सोनू सूद के एक फैन ने उनका 23 साल पुराना लोकल पास शेयर करते हुए लिखा, 'जिसने सच में संघर्ष किया हो उसे दूसरे लोगों की पीड़ा समझ में आती है, सोनू सूद कभी ₹420 वाली लोकल का पास लेकर सफर किया करते थे।'

इसे रीट्वीट करते हुए सोनू ने लिखा, 'जिंदगी एक पूरा चक्कर है'। पास सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।


बता दें वायरल हुआ पास साल 1997 का है, जब वो महज 24 साल के थे। सोनू सूद पंजाब के मोगा के रहने वाले हैं। सोनू का परिवार वहीं रहता था। मोगा में उनके पापा की कपड़े की दुकान थी, जिसका नाम बॉम्बे क्लॉथ हाउस था। सोनू की मम्मी प्रोफेसर थीं।

सोनू के घर वाले चाहते थे कि वो इंजीनियरिंग करें, लेकिन सोनू को तो एक्टर बनना था। घरवालों की इच्छा के चलते उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में डिग्री ली और अपने सपने के चलते मोगा से मुंबई आ गए। यहां आकर सोनू ने कई सालों तक संघर्ष किया था, जिसके बाद सोनू को तमिल फिल्म में साल 1999 में ब्रेक मिला। उनके टैलेंट को देखते हुए उन्हें लगातार काम मिलने लगा। 'शहीद-ए-आजम' से बॉलीवुड में एंट्री लेने वाले सोनू की संघर्ष बहुत मुश्किल रहा, लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे अपनी ज़मीन बना ली। 

प्रवासिय मजदूरों को घर पहुंचाने से पहले सोनू ने जुहू स्थित अपना छह मंजिला होटल शिव सागर को डॉक्टरों, नर्सों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को सेवा के लिए दे चुके हैं।

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