रणवीर शौरी ने कहा, 'मन करता था फिल्में छोड़ दूं'

बॉलीवुड में नेपोटिज़्म, फेवरेटिज़्म, गुटबाजी, आउटसाइडर जैसे तमाम मुद्दों पर जमकर बहस हो रही है। इसी मामले पर रणवीर शौर ने भी अपनी राय रखी है। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने कि फिल्म पुरस्कारों में मुझे जानबूझ कर अनदेखा किया जाता था। इन अवॉर्ड शोज़ में होने वाले नेपोटिज़्म के चलते लगता था कि फिल्में ही छोड़ दूं। 

Ranvir Shorey
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में इन दिनों नेपोटिज़्म के मुद्दे ने सुर्खियां बटोर रखी हैं। कुछ सितारे मुखर होकर अपने खिलाफ हुए दोहरे बर्ताव को लेकर सीधे मैदान में उतर चुके हैं। 

वहीं बॉलीवुड में दिए जाने वाले फिल्म पुरस्कारों में सबसे बड़ा पुरस्कार फिल्म फेयर को माना जाता है, लेकिन इसकी निषपक्षता की खुलासा ऋषि कपूर की आत्मकथा में पढ़ने को मिल जाता है। ऋषि ने लिखा था कि फिल्म 'बॉबी' के लिए उन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कार की 'बेस्ट एक्टर' की ट्रॉफी को खरीदा था। 

वहीं अब इन पुरस्कारों पर रणवीर शौरी भी ने भी सीधा निशाना साथा। वह कहते हैं,'इन पुरस्कारों में हमेशा नेपोटिज़्म हावी रहा है और कई बार इसके चलते मैंने फिल्में छोड़ देने का भी मन बना लिया था।'

रणवीर कहते हैं, 'आप खुद ही देख सकते हैं। बीते 10-15 साल के अवॉर्ड फक्शन को देखिए और मेरी फिल्मोग्राफी पर भी गौर कीजिए। तब आपको पता चलेगा कि उन्होंने मेरी कौन-सी परफॉर्मेंस को बिलकुल अनदेखा किया है। अवॉर्ड की बात छोड़िए, नॉमिनेशन तक नहीं मिला।'

अपनी बात में आगे कहते हैं, 'आपको एक अंदाजा लग जाता है। जब आप अपने काम के बारे में दर्शकों से बात करते हैं, तो आपको महसूस होता है कि आपकी फिल्म ने कितना अच्छा प्रदर्शन किया है।'

रणवीर कहते हैं, 'उस फिल्म में आपका किरदार कितना बेहतरीन रहा है, लेकिन पुरस्कार समारोहों में तो मेरी जगह ही नहीं है। कई बार तो मुझे इंडस्ट्री छोड़ देने जैसे विचार आए, लेकिन मेरे काम के प्रति मेरे प्रेम ने मुझे ऐसा करने से रोक लिया।'

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