मिले बराबर मेहनताना- राधिका आप्टे

सुजॉय घोष की शॉर्ट फ़िल्म 'अहल्या' को लेकर इनदिनों अभिनेत्री राधिक आप्टे चर्चा में हैं। उनके अभिनय की तारीफ़ चारो तरफ हो रही है। एक ओर जहां अभिनेत्री इस तारीफ से खुश हैं, तो वहीं अभिनेत्रियों को मिलने वाले पारिश्रमिक से वे दुखी भी हैं।

राधिका का मानना ​​है कि मनोरंजन की दुनिया अभिनेत्रियां भी अभिनेताओं के बराबर ही मेहनत करती हैं। साथ ही सफलता और असफलता में वे बराबर की हक़दार भी होती हैं। ऐसे में पारिश्रमिक के मामले में उनसे भेदभाव क्यों?
राधिका का मानना ​​है कि मनोरंजन की दुनिया अभिनेत्रियां भी अभिनेताओं के बराबर ही मेहनत करती हैं। साथ ही सफलता और असफलता में वे बराबर की हक़दार भी होती हैं।

ऐसे में पारिश्रमिक के मामले में उनसे भेदभाव क्यों? वे इसे ग़लत ठहराते हुए कहती हैं कि अभिनेत्रियों को भी अभिनेताओं के बराबर ही पारिश्रमिक मिलना चाहिए। बनी बनाई लक़ीर पर चलने की आदत बॉलीवुड को छोड़ देना चाहिए।

राधिका का मानना ​​है कि भेदभाव की यह लकीर सिर्फ़ मनोरंजन जगत में ही नहीं, समाज के हर प्रोफ़ेशन में खींचा गया है। इन्हीं लकीरों की वजह से महिलाएं मेहनत ज़्यादा करती हैं और फल कम मिलता है।

ग़ौरतलब हो कि राधिका कई महिला प्रधान फ़िल्मों का हिस्सा रह चुकी हैं। उनकी 'बदलापुर', 'हंटर' और 'अहल्या' जैसी फ़िल्मों ने दर्शकों के बीच एक अलग छाप छोड़ी है।

उनकी आगामी फ़िल्म केतन मेहता की 'मांझी- दि माउंटन मैन' है। इसमें वे नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ दिखाई देंगी। यह 21 अगस्त को रिलीज़ होगी। इसके अलावा नीला माधव पांडा की फ़िल्म 'कौन कितने पानी में' में कुणाल कपूर के साथ नज़र आएंगी। यह फ़िल्म 28 अगस्त को रिलीज़ होनी है।

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