फिल्म समीक्षा: हिंदी मीडियम

इरफान खान अभिनीत फिल्म एक ऐसे विषय की बात करती है, जो होने के बावजूद भी ‘गैरमौजूद’ सी है। भारत में अंग्रेज़ी सिर्फ एक ‘भाषा’ नहीं है, बल्कि ‘क्लास’ है। अंग्रेज़ी वो ‘पैमाना’ बनता जा रहा है, जिससे काबिलियत जांची जाने लगी है। सारी कामयाबी अंग्रेज़ी न आने पर बेकार है। इरफान खान और सबा कमर अभिनीत फिल्म ‘हिंदी मीडियम’ इसी गंभीर मुद्दे को मनोरंजक अंदाज़ में पेश करती है।

Irrfan Khan , Saba Qamar im Movie Hindi Midium
फिल्म : हिंदी मीडियम
निर्माता : भूषण कुमार, किशन कुमार, दिनेस विजन
निर्देशक : साकेत चौधरी
कलाकार : इरफान खान, सबा क़मर, दीपक डोबरियाल, दिशिता सहगल, यशपाल शर्मा, देवांश शर्मा
संगीतकार : सजिन-जिगर, अमर मोहिले
क्रिटिक रेटिंग : 4 / 5
जॉनर : कॉमेडी ड्रामा 


भारत में हिंदी और अंग्रेज़ी के बीच बहस छिड़ी रहती है। कई बार तो अंग्रेज़ी को ‘बेहतर’ बताया जाता है और महत्वपूर्ण भी बताया जाता है। इस फिल्म के जरिए उस बहस पर रोशनी डालने की कोशिश की गई है। आइए करते हैं समीक्षा...

कहानी

यह कहानी राज बत्रा(इरफान खान) और मीता(सबा कमर) की है। ये दोनों शादीशुदा हैं और एक बेटी के अभिभावक भी हैं। राज दिल्ली में कपड़ों का व्यापारी है। वो अमीर तो है, लेकिन उसका अंग्रेज़ी में हाथ तंग है।

इस वजह से मीता चाहती है कि उनकी बेटी पिया का अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में एडमिशन हो जाए। इसके लिए सबसे पहले ये कपल चांदनी चौक से हाई सोसाइटी वसंत विहार में शिफ्ट होता है और बेटी के एडमिशन के लिए जुगत लड़ाने लगता है, लेकिन हर बार पेरेंट्स इंटरव्यू में यह कपल फेल हो जाता है।

आखिरकार इनको एक उपाय पता चलता है कि बेटी का एडमिशन गरीबी कोटे से हो सकता है। इसके लिए ये गरीब बन जाते हैं। अब जहां ये गरीब होकर रहने जाते हैं, वहां उनकी मुलाकात श्याम (दीपक डोबरियाल) और उसके परिवार से होती है। कहानी में कई ट्विस्ट एंड टर्न्स आते हैं और कहानी का अंत क्या होता है इसके लिए तो थिएटर में जाना होगा।

निर्देशन

फिल्म का निर्देशन उम्दा है, साथ ही रियल लोकेशन पर बेहतरीन तरीक़े से शूट किया गया है। सिनेमैटोग्राफी और ड्रोन कैमरा के शॉट्स भी बढ़िया हैं। साकेत चौधरी ने बेशक बेहतरीन काम किया है। फिल्म की कहानी काफी सरल और सुलझी हुई है, लेकिन उसमें कॉमेडी के पुट को समझदारी से पिरोया गया है।

इसके संवाद दर्शक के चेहरे पर बार-बार मुस्कान ला रहे थे। फिल्म में कई सारे ऐसे पल आते हैं, जो आपको अंत तक याद रह जाते हैं जैसे दीपक डोबरियाल का मच्छर और मकान मालिक वाला सीन, सबा कमर का पानी भरने वाला सीन, पिया का जेरी वाला सीन, इरफान का आखिर में और समय-समय पर आने वाला कॉमेडी-सीरियस सीन्स। यह फिल्म बेहतरीन कॉमेडी ड्रामा फिल्मों में शुमार की जाएगी।

कलाकार

फिल्म में सबसे पहले बात इरफान खान की। वो एक बार फिर साबित करते हैं कि आखिर क्यों उनको संपूर्ण अभिनेता कहा जाता है। इरफान ने एक पिता और पति का किरदार बहुत सटीक निभाया है। इरफान के चेहरे के हर भाव को दर्शक खुद से जोड़ता है।

वहीं सबा कमर ने बिलकुल भी यह महसूस नहीं होने दिया कि यह उनकी पहली हिंदी फिल्म है। वहीं दीपक डोबरियाल ने काफी सहज और उम्दा प्रदर्शन किया है और अभिनय की अलग अलग विधाओं को कैमरे के सामने पेश किया है। बाकी कलाकारों का काम भी उम्दा रहा है। 

संगीत

फिल्म का संगीत के साथ बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और कहानी के संग-संग चलता है। 

ख़ास बात

यह फिल्म मस्टवॉच कैटेगरी में शामिल फिल्म है। इसे सप्ताहांत में परिवार के साथ देखी जा सकती है।

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