फिल्म समीक्षा : बैंक चोर

एक बार फिर पर्दे पर रितेश देशमुख-विवेक ओबेरॉय दर्शकों को हंसाने के लिए तैयार हैं। फिल्म के प्रमोशन में नायाब तरीक़ों को आज़मा कर फिल्म ने पहले ही काफी ध्यान आपनी तरफ आकर्षित कर लिया था। वैसे, तो यह फिल्म एक साल देरी से रिलीज़ हुई है, लेकिन थिएटर में क्या होगा इसका हाल, आइए करते हैं, समीक्षा...

बैंक चोर के पोस्टर में रितेश देशमुख
फिल्म : बैंक चोर
निर्माता : आशीष पाटिल, वाय फिल्म्स 
निर्देशक : बम्पी 
कलाकार : रितेश देशमुख, विवेक ओबेरॉय, रिया चक्रवर्ती और विक्रम थापा
संगीत : श्रीराम, कैलाश, बाबा सहगल, रोचक कोहली 
जॉनर : कॉमेडी ड्रामा 
रेटिंग : 3/5

कॉमेडी-ड्रामा जॉनर की इस फिल्म से निर्देशक बम्पी अपने सिने करियर का आगाज़ कर रहे हैं। निर्देशक बम्पी और निर्माता आशीष पाटिल की यह फिल्म सिनेमा घरों में रिलीज़ हो चुकी है, जिसमें रितेश देशमुख और विवेक ओबेरॉय मुख्य भूमिका में हैं।

कहानी

अब शुरू करते हैं फिल्म की कहानी। यह कहानी है चंपक और उसके दो साथियों गेंदा और गुलाब की। चंपक का किरदार रितेश देशमुख निभा रहे हैं। अब यह तीनों यानी चंपक, गेंदा और गुलाब बैंक लूटने की योजना बनाते हैं। ये तीनों जब बैंक में लूट ही रहे होते हैं कि तभी पुलिस और मीडिया को इसकी ख़बर लग जाती है। नतीज़तन, बैंक के बाहर भीड़ जमा हो जाती है।

अब इन बैंक चोरों से निबटने का जिम्मा अमज़द खान यानी विवेक ओबेरॉय को सौंपा जाता है। बैंक को लूटने की योजना आखिर चोर क्यों बनाते हैं?...क्या अमज़द खान इस चोरी को रोक पाते हैं। इन सभी सवालों के जवाब फिल्म में देखने को मिलेंगे। निर्देशन/ पटकथा

नए-नवेले निर्देशक बम्पी ने फिल्म का निर्देशन कमाल का किया है। साथ ही फिल्म के डायलॉग्स भी काफी अच्छे बन पड़े हैं। दर्शकों को डायलॉग के जरिये हंसाने में वो कामयाब दिखते हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग भी काबिल-ए-तारीफ़ है।

अभिनय

रितेश देशमुख की कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है और वो इस बार भी देखने को मिली। उनकी एक्टिंग भी कमाल की रही। वहीं पत्रकार बनी रिया चक्रवर्ती भी ठीक लगीं। अरसे बाद पर्दे पर दिखे विवेक ओबेरॉय भी ठीक रहे। हालांकि, कुछ जगहों पर उनके किरदार में कसर दिखाई देती थी। बाकी कलाकार भी अच्छे रहे हैं। संगीत

फिल्म में इंटरवल तक कोई गाना नहीं था और सही मायनों में गाने की ज़रूरत नज़र भी नहीं आई। वहीं बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है।

ख़ास बात

ये फिल्म मनोरंजन के हिसाब से वन टाइम वॉचर की कैटेगरी में आती है। वीकेंड पर फैमिली के साथ इसे देखा जा सकता है। सबसे ख़ास बात यह कि फिल्म देखने जाने से पहले दिमाग़ को घर छोड़ कर जाएं।

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