‘नेपोटिज़्म’ पर आया कंगना रनौत का ‘ओपन लेटर’

आईफा 2017 के मंच से कंगना रनौत पर तंज कसते हुए सैफ अली खान, वरुण धवन और करण जौहर ने ‘नेपोटिज़्म रॉक्स’ क्या कहा, सोशल मीडिय पर घेर लिए गए। हालत पतली होती देख, तुरंत-फुरत में माफी भी मांग ली, लेकिन छोटे नवाब यानी सैफ अली खान को यह बात गहरी चुभ गई और उन्होंने एक ओपन लेटर लिख ‘नेपोटिज़्म’ पर कई सवाल उठाए। अभी तक इस मामले पर चुप्पी साधे बैठी कंगना ने भी ओपन लेटर लिख कर कईयों के मुंह पर ताले लगाने का प्रबंध कर दिया है। 

कंगना रनौत ने नेपोटिज़्म पर ‘ओपन लेटर’ लिखा है
मुंबई। करण जौहर, वरुण धवन और सैफ अली खान का आईफा 2017 के मंच से बोला गया ‘नेपोटिज़्म रॉक्स’ उनके गले की फांस बनता चला जा रहा है। अभिनेत्री कंगना रनौत की एक टिप्पणी पर उनका मज़ाक उड़ाने की नियत से कसी गई फब्ती पर जब सोशल मीडिया पर यह तीनों घिरने लगे, तो एक-एक करके माफी मांग ली। 

जहां वरुण ने ट्विटर पर मांफी मांग कर बात को छोड़ दिया था, वहीं छोटे नवाब को अपनी जिल्लत महसूस हुई, तो उन्होंने शुक्रवार को एक ‘ओपन लेटर’ लिख डाला। इस पूरे मसले पर चुप्पी साधे बैठी कंगना रनौत भी सामने आ गई हैं। अब कंगना ने भी इस मसले पर एक ‘ओपन लेटर’ लिखा है, जिसे एक अंग्रेज़ी अख़बार ने छापा गया है। 

कंगना लिखती हैं, ‘बीते कई दिनों से नेपोटिज़्म (भाई-भतीजावाद) पर काफी बहस हो रही है, लेकिन यह स्वस्थ बहस है। इस बहस के दौरान कई अच्छे नजरिए भी सामने आए हैं, तो कई ने मुझे परेशान किए हैं। आज सुबह मेरी नींद एक ऐसे खत से खुली, जो सुबह से इंटरनेट पर घूम रहा है, जिसे सैफ अली खान ने लिखा है।’

कंगना आगे लिखती हैं,‘इस खत को पढ़कर मैं थोड़ी परेशान हूं। इससे पहले मैंने जब करण जौहर का ब्लॉग पढ़ा था, तब हैरान हुए थी...एक इंटरव्यू में करण ने फिल्म बिजनेस में रहने के लिए कई ज़रूरी बातें बताई थी, लेकिन उसमें टैलेंट कहीं नहीं था।’

कंगना ने सैफ को आड़े हाथों लेते हुए लिखा, ‘सैफ ने अपने ओपन लेटर में लिखा था कि मैंने कंगना से माफी मांग ली और अब मुझे किसी को कोई स्पष्टीकरण देने की ज़रूरत नहीं है। लेकिन यह मेरे अकेले का विषय नहीं है। ‘नेपोटिज़्म’ एक प्रैक्टिस है, जहां लोग तार्किक सोच की जगह मानवीय भावनाओं के आधार पर काम करते हैं। कोई व्यापार, जो मानवीय भावनाओं से चले, न कि मूल्यों पर वह सतही लाभ तो पा सकता है, लेकिन वह कभी भी वास्तविक तौर पर रचनात्मक नहीं हो सकता। 1.3 बिलियन लोगों के इस देशक की क्षमता पर रो लगा देता है।’

आगे कंगना ने लिखा, ‘दिलीप कुमार, के. आसिफ, बिमल रॉय, सत्यजीत रॉय और गुरु दत्त सरीखों ने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई थी।’

सैफ अली खान ने अपने ओपन लेटर में ‘स्टार किड के जेनेटिक्स’ की बात की थी, जिसका जवाब देते हुए कंगना ने लिखा, ‘मैंने अपने जीवन का एक हिस्सा जेनेटिक्स पढ़ते हुए निकाला है, लेकिन मुझे समझ नहीं आया कि आपने हाइब्रिड रेस के घोड़ों की तुलना कलाकारों से कैसे कर सकते हैं। क्या आप साबित करना चाह रहे हैं कि रचनात्मकता, परिश्रम, अनुभव, ध्यान, जोश, जानने की इच्छी, अनुशासन और प्यार जैसे गुण परिवार से जींस के माध्यम से मिलते हैं। यदि आपका पॉइंट सही है, तो मुझे एक किसान होना चाहिए था।’

कंगना ने लिखा है कि आप यूजीनिक्स के बारे में भी बात करते थे- जिसका अर्थ है मानव जाति के प्रजनन को नियंत्रित करना। अब तक, मुझे विश्वास है कि मानव जाति ने डीएनए नहीं पाया है, जो महानता और उत्कृष्टता को पा सके।

यदि ऐसा होता है, तो हम आइंस्टीन, द विंची, शेक्सपियर, विवेकानंद, स्टीफन हॉकिंग, टेरेंस ताओ, डैनियल डे-लुईस, या गेरहार्ड रिक्टर की महानता को दोहराना पसंद करेंगे।

आपने यह भी कहा कि मीडिया को दोषी ठहराया जाना है, क्योंकि यह भाई-भतीजावाद का असली ध्वजारोहक है। यह एक अपराध की तरह लग रहा है, जो सच से बहुत दूर है।

‘नेपोटिजॉम’ मानवीय प्रकृति की एक कमजोरी है। ये हमारे आंतरिक प्रकृति से ऊपर उठने के लिए इच्छा शक्ति और ताकत के लिए एक चुनौती है, जिसमें हम कभी-कभी सफल हो जाते हैं और कभी नहीं भी होते है।

कोई किसी के भी सिर पर बंदूक रख कर ऐसे टैलेंट को हायर करने नहीं कह रहा, जिस पर उसे विश्वास ना हो। इसलिए आपको डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है।

असल में इस विषय पर मेरी सभी बातों का निचोड़ यह है कि मैं बाहरी लोगों को ऐसे रास्ते चुनने के लिए प्रोत्साहित करूं, जिसे बहुत ही कम लोगों ने चुना है। धमकाना, ईर्ष्या, पारिवारिकता और क्षेत्रीय मानव प्रवृत्तियों ये सब मनोरंजन उद्योग का हिस्सा हैं, जो किसी भी अन्य क्षेत्र की तरह है।

यदि आपको इस फील्ड में स्वीकृति नहीं मिलती है, तो ऑफ बीट चले जाइए-एक काम को करने के कई तरीके हैं।

मुझे लगता है कि जो कम प्रीविलेजवाले लोग हैं, उन पर इस चर्चा में सबसे कम इल्जाम लगाना चाहिए, क्योंकि वो एक ऐसे सिस्टम का पार्ट हैं, जो चैन रिएक्शन पर चलता है। बदलाव तो वो ही ला सकते है, जिसे बदलाव चाहिए। ये उस पर निर्भर करता है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए वो कमान उठाता है या नहीं।

आप बिलकुल सही हैं कि समृद्ध और प्रसिद्ध लोगों के जीवन के लिए सभी और से बहुत उत्साह और प्रशंसा है, लेकिन साथ ही, हमारे रचनात्मक उद्योग को हमारे देशवासियों से प्यार मिलता है, जिसके लिए हम उनके प्रति आभारी हैं।

आखिर में कंगना ने लिखा कि दुनिया एक आदर्श स्थान नहीं है, और यह कभी नहीं हो सकती। यही कारण है कि हमारे पास कला का उद्योग है। एक तरह से, हम आशा के ध्वजावाहक हैं।

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