Nimmi:'अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया' निम्मी के कुछ दिलचस्प क़िस्से

बीते ज़माने की अदाकारा निम्मी का 25 मार्च को 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राज कपूर की खोज निम्मी को विदेशी मीडिया ने 'अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया' का तमगा दिया था। यही नहीं, बल्कि जब उनको हॉलीवुड फिल्म का ऑफर मिला, तो इंटीमेट सीन्स या 'किस' सीन के डर के चलते उस ऑफर को ठुकरा दिया था। डायरेक्टर के लाख समझाने के बाद भी लीड रोल की बजाय सेकेंड लीड को चुना और फिर इस तरह उनके करियर के लिए एक घातक फैसला साबित हो गया। ऐसे ही कई क़िस्से यहां जानिए।

nimmi's debut film is "Barsaat'
अभिनेत्री निम्मी 18 फरवरी, 1933 में आगरा में जन्मीं और जन्म के समय इनका नाम नवाब बानो रखा गया था। इनके पिता मिलिट्री कॉन्ट्रैक्टर थे, तो मां वाहिदन सिंगर और एक्ट्रेस थीं। महबूब खान की कुछ फिल्मों में काम किया था, उनसे अच्छी पहचान भी थी। निम्मी ने ग्यारह साल की उम्र में अपनी मां को खो दिया था, जिसके बाद वो अपनी नानी के साथ पाकिस्तान एबटाबाद चली गईं। हालांकि, बाद में वो नानी के साथ मुंबई लौट आईं। 

मुंबई में निम्मी की मौसी ज्योति रहती थीं, जिनका नाम ज्योति था। ज्योति का असली नाम सितारा बेग़म था और वो सिंगर-एक्ट्रेस थीं। ज्योति ने गुलाम मुहम्मद दुर्रानी से शादी की थी, जो उस समय के मशहूर गायक और संगीतकार थे। 

अब मुंबई आई निम्मी ने सोचा फिल्मकार महबूब खान, जो कि उनकी मां के पुराने जान-पहचान वाले हैं, से मुलाकात की जाए, तो पहुंच गईं उनके स्टूडियो। महबूब खान का स्टूडियो सेंट्रल स्टूडियो जीएम दुर्रानी के घर के नज़दीक ही था। उस समय महबूब खान फिल्म 'अंदाज़' की शूटिंग कर रहे थे, जिसमें दिलीप कुमार, राजकपूर और नर्गिस मुख्य भूमिका में थे। 

फिल्म की शूटिंग देखने के लिए भी महबूब खान ने अपने स्टूडियो में एक बालकनी बनवाई थी, जहां पर खड़े होकर वो शूटिंग देखा करते थे। उस दिन भी वो बालकनी में बैठे थे और पास की कुर्सी पर जद्दन बाई भी बैठी थीं, वहीं कुछ कुर्सियां खाली थी, लेकिन संकोची निम्मी खड़ी रही, क्योंकि उनसे किसी ने बैठने के लिए नहीं कहा था। 

जद्दन बाई, जो कि मशहूर अभिनेत्री नर्गिस की मां थीं, ने जब उस लड़की को काफी देर खड़े देखा, तो खुद ही बोल पड़ीं, 'बिटिया खड़ी क्यूं हो? बैठ जाओ।' निम्मी चुपचाप बैठ गईं। उस दिन का शूट पूरा हुआ, तो जद्दन बाई से दुआ-सलाम करने राज कपूर आ पहुंचे। वहां पर निम्मी को देखा, तो पूछ बैठे, 'ये लड़की कौन है?'

दरअसल, उन दिनों राज कपूर को अपनी फिल्म 'बरसात' के लिए सेकेंड लीड की तलाश थी और काफी ऑडिशन्स के बाद भी उनको मनमुताबिक चेहरा नहीं मिल पा रहा था, लेकिन जब निम्मी को देखा, तो उनकी तलाश पूरी हुई। एक सप्ताह बाद निम्मी को मेहबूब खान की तरफ से बुलावा आया था, जो ऑफिस बॉय लेकर आया था। 

ऑफिस पहुंचते ही महबूब खान ने निम्मी को राज कपूर से मिलवाया और कहा, 'ये राज कपूर हैं, पृथ्वीराज कपूर के बेटे। ये तुम्हें अपनी फिल्म में लेना चाहते हैं।' हालांकि, ऑडिशन देने के लिए उनसे कहा गया। 

अब वो तैयारी कर के नहीं आईं थी, तो घबरा गईं। फिर भी उनको जो लाइन्स दी गईं उनको रट गईं और उर्दू ज़बान के चलते अच्छी तरह से बोल भी गईं, लेकिन ऑडिशन मे मारे घबराहट के आंसू निकल आए, और लोगों को लगा कि इंटेंस एक्टिंग के चलते आंसू आए हैं। सबने उनको स्टैंडिंग ओवेशन दिया और 'बरसात' के लिए कास्ट कर लिया गया। 

फिल्म 'बरसात' उस समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी। नर्गिस और राज कपूर के अलावा सेकेंड लीड निम्मी ओवरनाइट सेंसेशन बन गईं। इस वाकये के बारे में एक इटरव्यू में निम्मी ने कहा था, ' कुदरत को जब कुछ मंज़ूर होता है, तो हालात वैसे ही हो जाते हैं। अब राज कपूर, जद्दनबाई से दुआ-सलाम करने न आते, तो मुझे देखते भी नहीं।'

'ड्रीम सीक्वेंस' से बढ़ाया निम्मी का रोल

ऐसा किसी एक्ट्रेस के करियर में कम ही मौक़े आते हैं, जब उसके छोटे रोल को बढ़ाने के लिए नई तरक़ीबे भिड़ाई जाती हैं। क़िस्सा फिल्म 'आन' से जुड़ा है। फिल्म 'आन' भारत की पहली फुल टेक्नीकलर फिल्म थी। 

ख़ैर, प्रोड्यूसर-डायरेक्टर महबूब खान की फिल्म में 'आन' में निम्मी ने 'मंगला' नाम का किरदार निभाया था, जो सेकेंड लीड थी। अब फिल्म बन कर तैयार हुई, तो डिस्ट्रीब्यूटर को फिल्म दिखाई गई, तो उसने फिल्म को ख़रीदने से मना कर दिया। दरअसल, डिस्ट्रीब्यूटर को निम्मी के किरदार के जल्दी मर जाने से शिकायत थी। उसका कहना था कि निम्मी के किरदार के जल्दी मर जाने से दर्शकों की दिलचस्पी फिल्म से चली जाएगी और फिर कोई फिल्म नहीं देखेगा। 

डिस्ट्रीब्यूटर की इस शिकायत को महबूब खान ने गंभीरता से लिया और फिर फिल्म के पूरी होने के बाद भी 'मंगला' का ड्रीम सीक्वेंस शूट किया और फिल्म में डाला, जिससे फिल्म की लंबाई बढ़ गई। लेकिन तब डिस्ट्रीब्यूटर ने फिल्म को ख़रीद लिया। 

'अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया' का तमगा

फिल्म 'आन' बिग बजट फिल्म थी, जिसके हर सीन को पहले कलर कैमरे के साथ ब्लैक एंड वाइट कैमरे से शूट किया जाता था। दरअसल, महबूब खान ऐसा इसलिए कर रहे थे, क्योंकि यदि कलर किसी को पसंद न आई, तो ऐसे में ब्लैक एंड वाइट फिल्म रिलीज़ कर दी जाएगी। 

इस बिग बजट मूवी को रिलीज़ भी बड़े पैमाने पर किया गया था। लंदन के आलिशान 'रिआल्टो थिएटर' में इसका प्रीमियर किया गया था। वहां 'आन' को 'सेवेज प्रिंसेस' नाम से रिलीज़ किया गया था। इस प्रीमियर पर महबूब खान, उनकी पत्नी और निम्मी मौजूद थे। 

इस प्रीमियर में कई हॉलीवुड सेलेब्रिटीज़ और फिल्म एक्टर्स आए थे। उनमें से एरल लेज़ली थॉमसन फ्लिन भी एक थे। ये उस दौर के बेहतरीन हॉलीवुड अभिनेताओं में से एक थे। अब जैसे कि वेस्टर्न कंट्रीज़ में रिवाज़ है, जब मिलते हैं, तो उनका हाथ चूमते हैं या फिर गाल से गाल मिलाकर अभिवादन करते हैं। ऐसा ही कुछ फ्लिन करने आगे बढ़े, तो निम्मी पीछे हटते हुए बोली, 'मैं एक हिंदुस्तानी लड़की हूं, आप मेरे साथ ये सब नहीं कर सकते'। 

यह क़िस्सा एक मूवी प्रीमियर के दौरान का है, तो जाहिर तौर पर मीडिया भी वहां होगी। निम्मी के इस बर्ताव को पत्रकारों ने देखा और अगले दिन अख़बारों में हैडिंग थी, 'अनकिस्ड गर्ल ऑफ इंडिया' यानी हिन्दुस्तानी लड़की, जिसको चूमा नहीं जा सका। 

ठुकराई हॉलीवुड फिल्म

साल 1952 में आई फिल्म 'आन' न सिर्फ न केवल पहली फुल टेक्नीकलर फिल्म थी, बल्कि वर्ल्डवाइड रिलीज होने वाली पहली भारतीय फिल्म भी थी। लंदन में इस फिल्म के प्रीमियर के बाद निम्मी को हॉलीवुड फिल्म में काम करने का ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने तुरंत ठुकरा दिया। दरअसल, निम्मी हॉलीवुड फिल्म इसलिए नहीं करना चाहती थी, क्योंकि उसमें इंटिमेट सीन और 'किसिंग' सीन होते हैं और उनको इससे ऐतराज़ था। 

वो फैसला जो करियर पर पड़ा भारी

50-60 दशक की लोकप्रिय अभिनेत्री निम्मी ने अपने करियर में एक ऐसा फैसला लिया, जो उनके लिए घातक साबित हुआ। दरअसल, क़िस्सा यह है कि निर्देशक हरमन सिंह रवैल 'मेरे महबूब' नाम की फिल्म बना रहे थे, जिसमें राजेंद्र कुमार के अपोज़िट वो निम्मी को कास्ट करना चाहते थे, लेकिन निम्मी फिल्म में राजेंद्र कुमार की बहन, जो कि सेकेंड लीड रोल था करना चाहती थीं। काफी मनाने पर भी जब निम्मी नहीं मानी, तो लीड रोल में साधना को कास्ट किया गया और निम्मी को सेकेंड लीड में ले लिया गया। 

यह फिल्म जहां साधना के लिए करियर बूस्टर बन कर आई, तो वहीं निम्मी को लीड रोल मिलना बंद हो गया और धीरे-धीरे करियर की गाड़ धीमी हो गई। 

नवाब बानो से 'निम्मी' तक

अधिकतर इस बात को जानते हैं कि निम्मी का असली नाम नवाब बानो था। नवाब बानो को निम्मी नाम राज कपूर ने दिया था। उनके नामकरण की दिलचस्प कहानी तब्बसुम ने अपने शो 'तब्बसुम टॉकीज़' में सुनाया था।

अपने इस शो में तबस्सुम बताती हैं कि उनको घर में सब 'किन्नी' पुकारत थे, जो उनको राज कपूर ने दिया था। दरअसल, राज कपूर का कहना था कि तब्बसुम बड़ा मुश्किल नाम है और इसलिए किन्नी नाम सही है। तबस्सुम को अपना नाम 'किन्नी' काफी पसंद था। 

ऐसे ही एक दिन तबस्सुम के घर राज कपूर आए और उनके पिता जी कहा कि मैं अपनी फिल्म ‘बरसात’में एक नई लड़की लॉन्च कर रहा हूं, जिसका नाम नवाब बानो है। नवाब बानो बड़ा मुश्किल नाम है, इसलिए मैं उसका नाम 'किन्नी' रख रहा हूं। 

यह बात सुनते ही तबस्सुम दहाड़े मार कर रोने लगीं, तो तय हुई कि 'किन्नी' सिर्फ तबस्सुम का नाम रहेगा, नवाब बानो को 'निम्मी' नाम दिया जाएगा। तबसे नवाब बानो 'निम्मी' बन गईं। 

बिन बताये महबूब खान की मदद

आज भी जब ऑस्कर अवॉर्ड्स की बात आती है, तो 'मदर इंडिया' का नाम आता है। इस नेशनल अवॉर्ड विनर फिल्म को भारत की ओर से ऑस्कर के लिए भेजी की पहली फिल्म का ख़िताब मिला है। हालांकि, जब फिल्म को ऑस्कर नहीं मिला, तो महबूब खान काफी दुखी हुए और उनको हार्ट अटैक भी आया। इस फिल्म को उस वक्त 40 लाख की लागत से तैयार किया गया था। यहां तक कि पैसों की तंगी से भी जूझना पड़ा था। जब निम्मी को यह बात पता चली, तो वो नोटों के बंडल को अपने आंचल में छुपा कर महबूब खान के ऑफिस पहुंची और उनके मैनेजर को चुपके से वो पैसे पकड़ा दिए और कहा, 'प्लीज़! महबूब साहब को न बताना कि निम्मी ने रुपये दिए हैं।'

स्कूल का मुंह नहीं देखा

निम्मी कभी स्कूल नहीं गईं। उन्होंने घर पर ही उर्दू सीखी और फिल्मों में काम करते-करते अंग्रेज़ी सीख गई। हालांकि, बातचीत वे हमेशा उर्दू में ही करती थीं। काम के दौरान दिन उनकी मुलाक़ात लेखक अली रजा से हुई। डायलॉग डिलीवरी के दौरान रज़ा ने उनकी मदद की और वो दोनों दोस्त बन गए। फिर दोस्ती प्यार में बदल गई और फिर दोनों ने साल 1965 में शादी कर ली। रज़ा का साल 2007 में निधन हो गया और निम्मी अकेली रह गईं। 

निम्मी की आख़िरी फिल्म

अली रज़ा से शादी के बाद यानी साल 1965 के बाद निम्मी ने कोई फिल्म साइन नहीं की, लेकिन उनकी आख़िरी फिल्म साल 1986 में रिलीज़ हुई थी। फिल्म का नाम था, 'लव ऑफ गॉड'। यह फिल्म 'मुगल-ए-आज़म' फेम डारेक्टर के आसिफ की थी। इसमें पहले लीड रोल में गुरुदत्त को साइन किया गया था, लेकिन गुरुदत्त के असमय निधन के चलते इस रोल को संजीव कुमार को दिया गया। 

साल 1971 में सिर्फ 48 साल की उम्र में के आसिफ भी गुज़र गए और यह फिल्म आधी रह गई। बाद में के आसिफ की पत्नी अख़्तर आसिफ ने डायरेक्टर के. सी. बोकाड़िया के साथ मिलकर जैसे-तैसे ‘लव ऑफ़ गॉड’ को पूरा किया और साल 1986 में इसे रिलीज़ कर दिया।

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