धर्मेंद्र-अमिताभ बच्चन की 'चुपके-चुपके' को हुए 45 साल

धर्मेंद्र के करियर की पहली कॉमेडी फिल्म कही जाने वाली 'चुपके-चुपके' को रिलीज़ हुए 45 साल हो गए हैं। ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त कामयाबी हासिल की थी। बता दें फिल्म 'चुपके-चुपके', उत्तम कुमार की बंगाली फिल्म 'छद्मभेशी' की रीमेक है।

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ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म 'चुपके-चुपके' को रिलीज़ हुए आज 45 साल हो गए हैं, लेकिन इस फिल्म को आज की पीढ़ी भी उतनी ही चाव से देखती है, जितनी तब की पीढ़ी ने इसे देखा होगा। 

धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, असरानी, ओम प्रकाश, डेविड सरीखे कलाकारों से सजी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता के नए कीर्तिमान रच दिए थे। दस लाख से कम बजट में तैयार इस फिल्म ने 2.22 करोड़ रुपये का कारोबार किया था। 

एस डी बर्मन ने फिल्म को संगीत से सजाया था, तो वहीं फिल्म के डायलॉग गुलज़ार ने लिखे थे। धर्मेंद्र और अमिताभ की कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया था। इसे धर्मेंद्र की पहली कॉमेडी फिल्म के रूप में भी जाना जाता है। 

'चुपके-चुपके' का बंगाली फिल्म की रीमेक 

ऋषिकेश मुखर्जी इस फिल्म की प्लानिंग साल 1971 से करने लगे थे। दरअसल, इसी साल उत्तम कुमार की मुख्य भूमिका वाली बंगाली फिल्म 'छद्मभेशी' रिलीज़ हुई थी। उपेंद्रनाथ गांगुली की कहानी पर यह फिल्म आधारित थी। फिल्म में उत्तम कुमार ने 'ड्राइवर' की भूमिका निभाई है, जो 'चुपके चुपके' में धर्मेंद्र ने निभाया था। अब इस फिल्म को देखने के बाद हिन्दी में इसे बनाने की योजना बनाने लग गए थे ऋषिकेश मुखर्जी। हालांकि, उनकी योजना साल 1975 में जाकर प्रतिफलित हुई। 

ऋषिकेश मुखर्जी इससे पहले कई सफल फिल्में बना चुके थे, जैसे दिलीप कुमार के साथ 'मुसाफिर', राज कपूर के साथ 'अनाड़ी', देव आनंद के साथ 'असली नकली', धर्मेंद्र के साथ 'सत्यकाम', राजेश खन्ना के साथ 'आनंद' और अमिताभ बच्चन के साथ 'अभिमान' बना चुके थे।

दाम कम, काम में दम

यह लाइन ज़रूर आपको किसी विज्ञापन की याद दिलाते होंगे, लेकिन ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'चुपके-चुपके' के लिए यह पंक्तियां बिलकुल सटीक हैं। यह फिल्म 10 लाख रुपये से भी कम लागत में बनी और इसने बॉक्स ऑफिस पर 2.22 करोड़ रुपये की कमाई की थी। 

धर्मेंद्र की 'इंग्लिश' क्लासेस

फिल्म में धर्मेंद्र बॉटनी के प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी की भूमिका में रहते हैं, जिनकी पत्नी सुलेखा (शर्मिला टैगोर) अपने जीजा जी (ओमप्रकाश) से काफी प्रभावित रहती है। अब जीजा जी को तंग करने के लिए वह ड्राइवर (प्यारे मोहन) बन कर उनके घर जाता है, जिसे अंग्रेज़ी बिलकुल नहीं आती है। अब जीजा जी से अंग्रेजी सीखने के बहाने ड्राइवर उनको खूब तंग करता है। धर्मेन्द्र के डायलॉग्स से लेकर अदाकारी को दर्शकों ने काफी पसंद किया था। 

जया बच्चन थीं प्रेग्नेंट

इस फिल्म की शूटिंग के समय जया बच्चन गर्भवती थीं। इसलिए फिल्म के शॉट बड़ी सावधानी से लिए गए हैं। धर्मेंद्र और अमिताभ बच्चन की केमिस्ट्री इस फिल्म की यूएसपी है। दोनों ने अपने-अपने किरदारों को इतने उम्दा तरीके से निभाया है कि इनकी जगह अभी किसी और की कल्पना नहीं की जा सकती। हालांकि, ऋषिकेश मुखर्जी, अमिताभ वाले किरदार में किसी नए एक्टर की तलाश कर रहे थे। 

वहीं जब जया और अमिताभ बच्चन को इस फिल्म के बारे में जानकारी हुई, तो उन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी से फिल्म में काम करने की इच्छा जताई। ऋषिदा ने उनको समझाया कि जो दो किरदार हैं, वो एक्टेंडेट कैमियो की तरह हैं। ऐसे में तुम दोनों के लिए फिल्म में कुछ खास है नहीं। लेकिन जया और अमिताभ फिर भी न माने, बल्कि वो छोटी भूमिका बिना किसी फीस के करने को तैयार थे। दोनों की ज़िद के आगे ऋषि दा की एक न चली और इस तरह फिल्म को 'वसुधा' और 'सुकुमार' मिल गए। 

रफ़ी के गाने को किशोर कुमार ने गाया

फिल्म को संगीत एस डी बर्मन ने दिया था और इसके लिए किशोर कुमार, मुकेश, लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी ने प्लेबैक सिंगिंग की थी। फिल्म बन कर तैयार हुई, तो डबिंग की प्रक्रिया शुरू हुई। लेकिन गाना 'सा रे गा मा' के दौरान मोहम्मद रफी नहीं थे और इस छंद कम पड़ गया। ऐसे में इसे किशोर कुमार ने गाया। 

सूर्यग्रहण में फिल्म को किया प्रसारित

फरवरी 1980 के सूर्य ग्रहण के समय भारत सरकार ने 'चुपके चुपके' का प्रसारण दूरदर्शन पर किया था। इसका मकसद यह था कि लोग ग्रहण के दौरान अपने घरों में ही रहें और घर से बाहर निकलकर अपनी खुली आंखों से ग्रहण को न देखें। 

अगली बार फिल्म देखें, तो इस ट्रिविया को ध्यान में ज़रूर रखिएगा।

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