Jaya Bhaduri Bachchan: यादगार भूमिकाओं पर नज़र

जया बच्चन आज अपना जन्मदिन मना रही हैं। हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में ख़ास मुकाम रखने वाली जया भादुड़ी बच्चन ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक भूमिकाएं निभाई हैं। फिर आइए डालते हैं उनकी कुछ यादगार भूमिकाओं पर एक नज़र। 
jaya bachchan's best role in film
पत्रकार और लेखक तरुण भादुड़ी के घर 9 अप्रैल 1948 में एक बच्ची ने जन्म लिया, जिसका नाम रखा गया जया। सत्यजीत रे की फिल्म 'महानगर' में मात्र 15 साल की उम्र में ही अभिनय करने का मौका क्या मिला, कैमरे से लगाव हो गया। यह लगाव एफटीआईआई तक लेकर आया और फिर जब इस इंस्टीट्यूट से जया बाहर निकलीं, तो वो गोल्ड मेडलिस्ट थीं। 

बेहतरीन अभिनेत्री ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक भूमिकाएं निभाई हैं। तभी तो नौ फिल्मफेयर अवॉर्ड्स के साथ पद्मश्री से भी सम्मानित की जा चुकी हैं। फिलहाल एक्टिंग को बैक सीट पर रखकर राजनीति की पिच पर जमी हुई हैं। समाजवादी पार्टी से सांसद जया राजनीति में रमी हुई हैं। 

ऐसे में जया भादुड़ी बच्चन की सालगिरह पर उनकी द्वारा निभाई गई यादगार भूमिकाओं को एक बार फिर से याद कर लेते हैं। चलिए शुरू करते हैं। 

'गुड्डी' की 'कुसुम/गुड्डी'

गुलज़ार की लिखी और ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म 'गुड्डी' को जया बच्चन की बतौर लीड पहली फिल्म कहा जाता है। साल 1971 में रिलीज़ हुई इस फिल्म में वो 'गुड्डी' नाम की स्कूलगर्ल की भूमिका दिखीं, जिसे उस समय के सुपरस्टार धर्मेंद्र से प्यार हो जाता है। फिल्म की कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ती है, तो 'गुड्डी' को अहसास हो जाता है कि असल ज़िंदगी, सिनेमा की दुनिया से बिलकुल अलग है। इस फिल्म के लिए जया भादुड़ी को काफी तारीफें मिली थी और बेस्ट एक्ट्रेस का नॉमिनेशन भी मिला था। इस फिल्म का तमिल में रीमेक भी बना है। 

'कोशिश' की 'आरती माथुर'

गुलजार की लिखी और निर्देशित फिल्म 'कोशिश', जो कि साल 1972 में सिनेमाघरों में उतरी थी। इस फिल्म में जया भादुड़ी ने 'आरती माथुर' नाम की गूंगी-बहरी लड़की की भूमिका निभाई है। फिल्म में संजीव कुमार 'चरण माथुर' बने हैं, जो गूंगे-बहरे रहते हैं। आरती और चरण शादी कर लेते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे यह गूंगा-बहरा कपल अपनी मोहब्बत और जीजीविषा के बल पर पूरे समाज और परिस्थितियों से डट कर मुकाबला करते हैं। इस फिल्म की कहानी साल 1961 में आई जापानी फिल्म 'हैप्पीनेस ऑफ अस अलोन' से प्रभावित थी। इस फिल्म के लिए भी जया बच्चन को बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नॉमिनेट किया गया था। 

'परिचय' की 'रमा'

साल 1972 में ही एक और फिल्म आई 'परिचय'। इस फिल्म में जया भादुड़ी ने 'रमा' नाम की लड़की का किरदार निभाया था, जिसके माता-पिता का देहात हो गया था और वो पांच भाई-बहन थे। माता-पिता के देहांत के बाद कड़क मिजाज़ दादाजी के यहां आकर रहना, जिनसे वो मन ही मन नफरत करती है, क्योंकि अपने पैरेंट्स की मौत की जिम्मेदार उन्हें मानती है। गुलज़ार की लिखी और निर्देशन में बनी इस फिल्म में जया के साथ जितेंद्र अहम भूमिका में दिखाई दिए थे। इस फिल्म के लिए भी जया भादुड़ी की काफी तारीफें हुईं। 

'अभिमान' की 'उमा'

साल 1973 में आई इस म्यूज़िकल ड्रामा फिल्म के लिए जया भादुड़ी को पहली बार फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड मिला था। फिल्म में जया के अलावा अमिताभ बच्चन, असरानी और बिंदु अहम किरदारों में नज़र आए थे। फिल्म में अमिताभ बच्चन 'सुबीर' नाम के सफल गायक रहते हैं, जिसे गांव की एक लड़की 'उमा' यानी जया बच्चन से प्यार हो जाता है। 'उमा' भी काफी अच्छा गाती है। अब 'उमा' की सुंदरता के साथ गायिकी पर मुग्ध 'सुबीर' उस से शादी कर लेता है। दोनों मुंबई आ जाते हैं। दोनों संगीत की दुनिया में किस्मत आजमाते हैं और 'उमा' सफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगती है और 'सुबीर' उम्मीद मुताबिक सफलता नहीं मिलता, जिसका असर दोनों की निजी ज़िंदगी पर भी पड़ने लगता है। उतार-चढ़ाव से भरी इस फिल्म को दर्शक आज भी देखना पसंद करते हैं। फिल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था। यह फिल्म अपने गानों के लिए भी खूब सराही गई जिसे एस डी बर्मन ने कंपोज किया था।

'अनामिका' की 'अनामिका/ अर्चना/कंचन'

साल 1973 में आई फिल्म 'अनामिका' में एक बार फिर संजीव कुमार के साथ जया भादुड़ी की जोड़ी बनी थी। इस फिल्म को रघुनाथ झलानी ने निर्देशित किया था। फिल्म में संजीव कुमार 'देवेंद्र दत्त' नाम के लोकप्रिय लेखक की भूमिका में रहते हैं, तो वहीं जया भादुड़ी का किरदार काफी रहस्यमयी रहता है। सड़क पर बेहोशी की हालत में मिलती है, नाम तक याद नहीं रहता है, तो उनको 'अनामिका' नाम दे दिया जाता है। फिर धीरे-धीरे लेखर 'देवेंद्र' को उनसे प्यार होता है और फिर जया के किरदार के बारे में एक के बाद एक खुलासे होते हैं और फिर एक दिन अचानक वो गायब हो जाती हैं। आखिरकार फिल्म के अंत में इस रहस्यमयी किरदार की पहेली सुलझ जाती है, लेकिन 'अनामिका' में जो 'अनाम' रहकर उलझाती हैं, वो कमाल है। इस फिल्म में आरडी बर्मन का म्यूज़िक है और गाने मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे हैं। 'बाहों में चले आओ' या फिर 'मेरी भीगी-भीगी सी पलकों' को आज भी लिसनर्स बड़े चाव से सुनते हैं। 

'कोरा कागज़' की 'अर्चना गुप्ता'

साल 1974 में आई फिल्म 'कोरा कागज' में जया बच्चन की जोड़ी विजय आनंद के साथ बनी। फिल्म में दिखाया गया है कि जया बच्चन और विजय आनंद के किरदारों की मुलाकत बस में होती है और फिर दोनों में प्यार हो जाता है। फिर दोनों शादी कर लेते हैं, लेकिन इनकी शादीशुदा ज़िंदगी जल्दी ही भंवरों में फंस जाता है और फिर ये दोनों तलाक ले लेते हैं। इस फिल्म में अपने जीवंत अभिनय के लिए उनको करियर का दूसर फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। 

'चुपके-चुपके' की 'वसुधा'

साल 1975 में आई ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'चुपके-चुपके' में जया बच्चन ने 'वसुधा कुमार' की भूमिका निभाई थी। फिल्म में धर्मेंद्र, शर्मिला टैगोर, अमिताभ बच्चन, असरानी, ओम प्रकाश, डेविड भी अहम भूमिका में थे। फिल्म में जया बच्चन का किरदार बड़ा ही दिलचस्प रहता है। कॉमेडी से भरपूर इस फिल्म को आज भी दर्शक देखना पसंद करते हैं। 

'मिली' की 'मिली'

ऋषिकेश मुखर्जी के निर्देशन में बनी फिल्म 'मिली' में जया बच्चन टाइटल भूमिका में थीं, जबकि अमिताभ बच्चन ने 'शेखर दयाल' नाम के युवक की भूमिका में हैं। फिल्म में 'मिली' एक गंभीर बीमारी से ग्रसित है, लेकिन फिर भी वो दिलखुश लड़की है। हंसना-हंसाना, खिलखिलाना और सकारात्मकता से भरपूर है। वहीं शेखर दयाल, जो घनघोर निराशा से भरे और दिनभर शराब में डूबे रहने वाला शख्स है। लेकिन मिली, शेखर का ज़िंदगी देखने का नज़रिया बदल देती है। शेखर को मिली से प्यार हो जाता है, लेकिन जैसे ही उसकी बीमारी के बारे में पता चलता है, तो वो टूट जाता है और फिर वहां जाने का मन बना लेता है, क्योंकि वो जिस मिली से प्यार करता है, उसे मरते नही देख सकता। हालांकि, किसी के समझाने पर वो रूक जाता है और मिली से शादी कर लेता है और इलाज के लिए स्विटज़रलैंड ले जाता है। फिल्म का म्यूज़िक एसडी बर्मन और आरडी बर्मन ने मिलकर तैयार किया था। जया बच्चन को इस फिल्म के लिए फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस का नॉमिनेशन मिला था। 

'नौकर' की 'गीता'

साल 1979 में आई फिल्म 'नौकर' में जया बच्चन ने 'गीता' नाम की लड़की की भूमिका निभाई है। इस फिल्म में एक बार फिर से संजीव कुमार के साथ जया बच्चन की जोड़ी बनी है। फिल्म की कहानी 'अमर' नाम के अमीर विधुर की है, जिसकी एक बेटी है और उसके लिए वो शादी करना चाहता है। ऐसे में उसकी बहन और जीजा ने लड़की देखने के लिए भेजा है। अमर अपने नौकर दयाल के साथ लड़की वालों के घर जाता है, लेकिन दयाल और अमर अपने-अपने रोल बदल लेते हैं। अब दयाल अमीर और अमर नौकर बन जाता है, ताकि सही लड़की को पहचाने। इसी बीच उस घर में अमर को 'गीता' मिलती है। गीता, असल में उस घर की रिश्तेदार है, लेकिन अनाथ होने के कारण उससे नौकरों जैसा बर्ताव किया जाता है। फिल्म में जया बच्चन का अभिनय इतना शानदार था कि उन्होंने करियर का तीसरा फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला। फिल्म का निर्देशन स्माइल मेमन ने किया था।

'सिलसिला' की 'शोभा मल्होत्रा'

साल 1981 में रिलीज़ हुई फिल्म 'सिलसिला' में जया बच्चन ने 'शोभा मल्होत्रा' की भूमिका निभाई थी। यश चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म में जया के अलावा अमिताभ बच्चन, रेखा, शशि कपूर और संजीव कुमार मुख्य किरदारों में दिखे। यश चोपड़ा ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि इस फिल्म के लिए पहले उन्होंने जया बच्चन और रेखा की जगह पहले स्मिता पाटिल और परवीन बॉबी को साइन किया था, लेकिन अमिताभ बच्चन की सलाह के बाद जया बच्चन और रेखा को चुना। यह रेखा और अमिताभ बच्चन की साथ में आखिरी फिल्म रही। यह फिल्म क्लासिक फिल्मों में शुमार है। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल साबित हुई थी।

'फिज़ा' की 'निशात बी'

खालिद मोहम्मद के निर्देशन में बनी और साल 2000 में रिलीज़ हुई फिल्म 'फिज़ा' में जया बच्चन ने 'निशात बी' का किरदार निभाया। फिल्म में जया बच्चन ने करिश्मा कपूर और ऋतिक रोशन की मां के किरदार में हैं। फिल्म की कहानी साल 1993 में हुए मुंबई दंगे में गायब हुए अमान (ऋतिक) के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे ढूंढने के लिए उसकी बहन और मां जी-जान लगा देते हैं। इस फिल्म के लिए जया बच्चन को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। 

'कभी खुशी कभी ग़म' की 'नंदिनी रायचंद'

करण जौहर के निर्देशन में बनी फिल्म 'कभी खुशी कभी ग़म' में जया बच्चन ने 'नंदिनी रायचंद' की भूमिका निभाई। साल 2001 में रिलीज़ हुई इस फिल्म में जया के अलावा अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, काजोल, ऋतिक रोशन और करीना कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं। करण जौहर निर्देशित यह फिल्म एक परिवार के बनते बिगड़ते रिश्ते पर आधारित है। फिल्म में जया बच्चन ने अमिताभ बच्चन की पत्नी और शाहरुख खान, ऋतिक रोशन की मां का किरदार निभाया है।

'कल हो न हो' की 'जेनिफर कपूर'

साल 2003 में आई करण जौहर की फिल्म 'कल हो न हो' में जया बच्चन 'जेनिफर कपूर' के किरदार में दिखीं। फिल्म में शाहरुख खान, प्रीति जिंटा और सैफ अली खान लीड रोल में हैं, जबकि जया ने प्रीति जिंटा की मां का किरदार निभाया है। फिल्म की कहानी से लेकर अभिनय और गानों को दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया हासिल हुई थी।

यह तो रही हमारी लिस्ट। यदि आपकी फेहरिस्त में इनके अलावा कोई और किरदार हैं, तो बिलकुल हमें बताइए।

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