'रामयण' के 'भरत' संजय जोग बनना चाहते थे पायलट

रामानंद सागर की 'रामायण' में 'भरत' का किरदार निभाने वाले संजय जोग को उनकी गुजराती फिल्म 'मायाबाजार' की वजह से मिला। पहले उनके 'लक्ष्मण' की भूमिका का भी प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन व्यस्तता के चलते 'भरत' का किरदार निभाना स्वीकार किया। संजय का चालीस वर्ष की उम्र में साल 1995 में लीवर फेल होने से निधन हो गया था। 

sanjay jog as 'Bharat' in ramanand sagar's 'ramayana'
दूरदर्शन पर एक बार फिर 'रामायण' का प्रसारण शुरू हो चुका है और दर्शकों को आज भी यह धारावाहिक उतना ही पसंद आ रहा है, जितना पहले आता था। इसलिए यह धारावाहिक टीआरपी की रेस में बाकी धारावाहिकों से काफी आगे है। 

रामानंद सागर ने 'रामायण' का निर्माण किया था, जिसका प्रसारण साल 1987-1988 के बीच दूरदर्शन पर किया गया था। इसमें 'राम' की भूमिका अरुण गोविल, 'लक्ष्मण' का किरदार सुनील लहरी और 'सीता' की भूमिका दीपिका चिखलिया ने निभाया था। इन कलाकारों के अलावा और भी कलाकार रहे हैं, जिन्होंने प्रमुख भूमिकाएं निभाई हैं। 

इन्हीं में से एक 'भरत' का किरदार निभाने वाले संजय जोग हैं। संजय जोग मराठी फिल्मों और गुजराती फिल्मों के लोकप्रिय अभिनेता थे, लेकिन आज वो हमारे बीच नहीं हैं। 27 नवंबर 1995 में लीवर फेल हो जाने की वजह से उनका निधन हो गया था। 

एक्टर के रूप में लोकप्रिय हुए संजय जोग एयरफोर्स में पायलट बनना चाहते थे, लेकिन साल 1971 में भारत-पाक युद्ध के दौरान एक रिश्तेदार की मौत के बाद घरवालों ने उनको एयरफोर्स में जाने से मना कर दिया था।

संजय का बचपन पुणे और नागपुर में बीता और स्कूलिंग भी वहीं की, लेकिन ग्रेजुएशन उन्होंने मुंबई के एलफिन्स्टन कॉलेज से किया था। बता दें कि संजय साइंस से ग्रेजुएट थे। इसके बाद उन्होंने फिल्माया स्टूडियो से एक्टिंग का कोर्स किया था।

एक्टिंग कोर्स के दौरान ही इनको मराठी फिल्म 'सापला' में मुख्य भूमिका के लिए चुना गया। इस फिल्म ने कुछ ख़ास काम नहीं किया। इसलिए संजय वापस नागपुर चले गए और खेती-बाड़ी में ध्यान लगा लिया। 

एक बार खेत से संबंधित कुछ सामान लेने वो मुंबई आए और यहां उनको मराठी फिल्म 'ज़िद' में काम करने का मौका मिला। संजय ने एक्टिंग करियर को एक मौका और देने का मन बनाया और इस फिल्म को कर लिया। 

संजय का 'ज़िद' करने का फैसला सही साबित हुआ। इस मल्टीस्टारर फिल्म को दर्शकों का काफी प्यार मिला और फिर यहां बतौर एक्टर उनका करियर शुरु हुआ। संजय ने अपने करियर में कई मराठी हिट फिल्में दी हैं। 

'रामायण' के 'भरत' की कहानी

संजय के करियर का लैंडमार्क रहा 'रामायण' में 'भरत' का किरदार। हालांकि, कम लोगों को पता है कि संजय को पहले 'लक्ष्मण' की भूमिका का प्रस्ताव मिला था, लेकिन तब वो काफी व्यस्त अभिनेता थे। कई मराठी और गुजराती के साथ हिन्दी फिल्मों में भी काम कर रहे थे। 

ख़ैर, 'भरत' के किरदार की बात करें, तो एक इंटरव्यू में संजय ने बताया था कि गुजराती फिल्म 'मायाबाज़ार' की वजह से उनको यह भूमिका मिली थी। दरअसल, फिल्म 'मायाबाज़ार' में संजय ने 'अभिमन्यु' की भूमिका निभाई थी। फिल्म में रीता भादुड़ी भी अहम किरदार में थीं। 

फिल्म 'मायाबाज़ार' के मेकअप मैन गोपाल दादा था, जो 'रामायण' के मेकअप डिपार्टमेंट को संभाल रहे थे। ऐसे में रामानंद सागर को गोपाल दादा ने संजय के बारे में बताया। रामानंद सागर ने उनको मिलने के लिए बुलाया और देखते ही 'लक्ष्मण' की भूमिका का प्रस्ताव दे दिया। 

संजय पशोपेश में थे कि आखिर क्या किया जाए, क्योंकि वो उन दिनों काफी व्यस्त थे। रामानंद सागर को अपनी परेशानी बताई, तो तुरंत हल निकल आया। 'लक्ष्मण' की जगह 'भरत' की भूमिका उनको दे दी गई। इस तरह से 'रामायण' धारावाहिक को 'भरत' मिल गया। 

संजय की हिन्दी फिल्में

संजय जोग अपने समय में मराठी और गुजराती फिल्मों में लोकप्रिय अभिनेता थे। उन्होंने अपने करियर में तकरीबन 28-30 मराठी फिल्मों में काम किया और साथ में कई गुजराती फिल्में भी उनके खाते में दर्ज है। 

मराठी और गुजराती के अलावा संजय जोग ने कई हिन्दी फिल्मों में भी एक्टिंग की है। संजय की पहली हिन्दी फिल्म 'दर्द की आवाज़' थी। इस फिल्म में संजय के अलावा दीपिका चिखलिया मुख्य भूमिका में थी। इसके बाद उन्होंने टीना मुनीम और अनिल कपूर की फिल्म 'जिगरवाला' भी अहम भूमिका निभाई थी। इसके बाद 'दर्द की आवाज़' 'नसीबवाला', 'हमशक्ल' जैसी कुछ फिल्मों दिखे। वहीं उनकी आखिरी फिल्म 'बेटा हो तो ऐसा' थी, जो साल 1994 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में गोविंदा मुख्य भूमिका में थे। 

नागपुर में 24 सितंबर 1955 में जन्मे संजय जोग ने 27 नवंबर 1995 को लीवर फेल हो जाने के कारण आखिरी सांस ली।

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