आने वाले दिनों में सिल्वर स्क्रीन पर छाएगी ‘सियासत’

इन दिनों मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ को लेकर काफी विरोध हो रहा है। इमरजेंसी के बैकड्रॉप पर बेस्ड इस फिल्म को लेकर कहा जा रहा है कि इससे कई बड़े नताओं की छवि को नुकसान पहुंचेगा। अब चाहे जो भी हो, फिलहाल इस फिल्म ने ‘सियासत’ को तो गर्मा ही दिया है, लेकिन आने वाले दिनों और भी कई फिल्में कतार में हैं, जो सियासी गलियारों में गर्माहट लेकर आने वाली हैं।

मधुर भंडारकर की इंदु सरकार, मिलन लुथरिया की बादशाहो, जॉन अब्राहम की पोखरण, अनुपम खेर की द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, सैफ अली खान की बाटला हाउस एनकाउंटर सियासत पर आ रही फिल्में हैं।
मुंबई। इमरजेंसी के बैकड्रॉप पर बुनी गई मधुर भंडारकर की फिल्म ‘इंदु सरकार’ को लेकर आपत्तियां जताई जा रही हैं। विरोध के स्वर इतने कड़े और आक्रमक हैं कि कई जगहों पर फिल्म के लिए रखी गई प्रेस वार्ता भी रद्द करनी पड़ी।

जहां इस फिल्म को लेकर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि इस फिल्म में कांग्रेस नेता जैसे किरदार दिखाने की हम भर्त्सना करते हैं। वहीं ज्योतिरादित्य के इस भर्त्सना का जवाब देते हुए मधुर ने कहा कि बिना फिल्म देखे कोई भी मेरी फिल्म के बारे में कुछ भी कैसे कह सकता है। 

इसके अलावा कुछ कांग्रेसी नेताओं ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखने की मांग भी की थी। इस मांग को मानने से इंकार करते हुए मधुर ने कहा कि मैं किसी भी नेता को फिल्म नहीं दिखाऊंगा। किसी भी नेता के लिए स्पेशल स्क्रीनिंग रखने का सवाल ही पैदा नहीं होता। 

वैसे, यह सो सिर्फ बानगी है। आने वाले दिनों में कई फिल्में रिलीज़ होने वाली हैं, जो राजनीतिक गलियारों में गर्माहट लाने वाली हैं। इतिहास के कई पन्ने इन फिल्मों में कुछ-कुछ खुलने वाले हैं।

मिलन लुथरिया की ‘बादशाहो’

मधुर भंडारकर की ही तरह मिलन लुथरिया की फिल्म भी साल 1975 की इमरजेंसी के बैकड्रॉप पर बुनी गई है। हालांकि, इसमें राजनीतिक पहलू को सिर्फ छुआ ही गया है, या फिर किसी नेता के किरदार को भी शामिल किया गया है, यह तो फिल्म रिलीज़ होने बाद ही पता चलेगा। मिलन की यह फिल्म एक्शन थ्रिलर है, जिसमें अजय देवगन, इमरान हाशमी, इलियानी डिक्रूज़, ईशा गुप्ता, विद्युत जामवाल और संजय मिश्रा मुख्य भूमिकाओं में हैं। 

जॉन अब्राहम का ‘पोखरण’

साल 1998 में हुए पोखरण परीक्षण के बैकड्रॉप पर बुनी गई कहानी पर आधारित फिल्म ‘पोखरण’ बनाई जा रही है। इसमें मुख्य भूमिका में जॉन अब्राहम हैं। जॉन इससे भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या पर आधारित ‘मद्रास कैफे’ में काम कर चुके हैं। वहीं फिल्म ‘पोखरण’ को लेकर निर्माताओं का कहना है कि यह फिल्म पोखरण परीक्षण जुड़े लोगों को ट्रिब्यूट है। लेकिन इस परीक्षण के दौरान गरमाई राजनीति को पर्दे पर उतारा तो जाएगा ही। अब देखने वाली बात यह है कि कितना और कैसे माहौल फिल्ममेकर रचते हैं। 

अनुपम खेर की ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइज़र रहे संजय बारू ने ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ नाम से किताब लिखी थी। इस किताब पर ही आधारित फिल्म की घोषणा कुछ दिनों पहले की गई है। इस फिल्म में मनमोहन सिंह के किरदार को अनुपम खेर निभाते नज़र आएंगे। मनमोहन सिंह के किस हिस्से को फिल्म में दिखाया जाएगा, यह तो रिलीज़ के बाद ही पता चलेगी। फिलहाल इस फिल्म के आने पर हंगामा होना तो तयशुदा है। 

सैफ अली खान की ‘बाटला हाउस एनकाउंटर’

निर्देशक निखिल आडवाणी यूपीए सरकार के दौरान हुए बाटला हाउस एनकाउंटर पर फिल्म बनाने जा रहे हैं। निखिल की इस विवादास्पद एनकाउंटर फिल्म में मुख्य भूमिका में सैफ अली खान होंगे। सैफ इस फिल्म में इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के किरदार में नज़र आएंगे। इस फिल्म को लेकर भी सियासी गलियारों में हलचल बढ़ेगी। वैसे इससे पहले निखिल ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ पर फिल्म बनाना चाहते थे। 

मेघना गुलज़रा की ‘राजी’

फिल्मकार मेघना गुलज़ार की अगली फिल्म घाटी पर केंद्रित होगी। आलिया भट्ट और विक्की कौशल की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘राजी’ में कश्मीर के माहौल को दिखाया जाएगा। कश्मीर के माहौल को पूरी तरह दिखाने के लिए राजनीति के रंग को भी दिखाना लाजमी है। ऐसे में सियासत के कौन-कौन दांव-पेंच सामने आते हैं, वो देखना मज़ेदार होगा। 

राजनीतिक विषयों की तपिश

बॉलीवुड में यह पहली दफा नहीं होगा, जब राजनीतिक मसलों के इर्द-गिर्द कहानी को बुना जा रहा होगा। इससे पहले भूतपूर्व राजीव गांधी की हत्या पर ‘मद्रास कैफे’, साल 2002 के गोधरा दंगों पर ‘परजानिया’, साल 1984 के सिख दंगों पर ‘अमु’ बनी थी। वहीं गुलज़ार की फिल्म ‘आंधी’ को लेकर काफी हंगामा हुआ था। कहा गया कि फिल्म ‘आंधी’ की लीड कैरेक्टर भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से प्रेरित है। वहीं डाकू फूलन देवी के जीवन पर बनी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ भी उन फिल्मों में शुमार है, जिनसे राजनीतिक गलियारों में हलचल मची थी।

कामयाबी तो उसी फिल्म के हिस्से आएगी, जो मनोरंजन के साथ संदेश का संतुलन बनाए रखेगा। लेकिन इसके इतर इन फिल्मों के जरिये दर्शक बीते कल में ताक-झांक कर सकेंगे।

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