निर्माता-निर्देशक शैलेंद्र पांडेय ने प्रसून जोशी को लिखा ‘ओपन लेटर’

सेंसर बोर्ड के चीफ तो बदले जा चुके हैं, लेकिन नए अध्यक्ष के काम-काज के रवैये को लेकर फिल्ममेकर कुछ संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे हैं। हाल ही में फिल्म ‘भूमि’ को बारह कट मिले, साथ ही आइटम नंबर पर भी कैंची चली। वहीं फिल्म ‘जेडी’ के निर्माता-निर्देशक भी सेंसर के काम करने के तरीक़े से ख़ासे खफा हैं। अपनी परेशानी को सेंसर बोर्ड चीफ प्रसून जोशी तक पहुंचाने के लिए उन्होंने एक ‘ओपन लेटर’ लिखा है।

गीतकार और सीबीएफसी चीफ

मुंबई। फिल्म ‘जेडी’ के निर्माता-निर्देशक शैलेंद्र पांडेय ने सेंसर बोर्ड अध्यक्ष प्रसून जोशी को ओपन लेटर लिखा है। दरअसल, शैलेंद्र इस बात से परेशान हैं कि बोर्ड बिना किसी कारण बताए, उनकी फिल्म को सर्टिफिकेट देने से मना कर रहा है।

सीबीएफसी के काम करने के रवैये से आहत शैलेंद्र ने प्रसून जोशी तक अपनी आवाज़ पहुंचाने के लिए उनको खुला खत का रास्ता चुना। ताकि वो जिस परेशानी से गुजर रहे हैं, उसकी जानकारी प्रसून को हो। अपनी परेशानी बताने के साथ कुछ सवाल भी उन्होंने पूछे हैं। आप भी पढ़िए, यह ओपन लेटर...


श्री प्रसून जोशी,
अध्यक्ष, सीबीएफसी

नमस्कार,

आपको जानकर खुशी होगी कि मेरी फिल्म ‘जेडी’ 22 सितंबर, शुक्रवार को सिनेमाघरों में लग रही है। यह मेरी पहली फिल्म है, जो मेहनत की गाढ़ी कमाई से बनाई है, लेकिन दुख की बात यह है कि फिल्म का ट्रेलर/प्रोमो किसी टीवी चैनल पर कोई नहीं देख पाया। इसकी वजह है कि सेंसर बोर्ड ने बिना कोई कारण बताए इसे पास नहीं किया। बीती 14 सितंबर को सेंसर बोर्ड की वेबसाइट पर दिखाया गया कि इसे चेयरमैन ने रिजेक्ट कर दिया है। मैंने आपके दफ्तर के चक्कर काटे, तो एक अधिकारी दूसरे अधिकारी के पास भेजता रहा। फुटबॉल की तरह किक करता हुआ। अंत में आपसे मुलाक़ात हुई, तो आपने कहा कि मैं दिखवाता हूं। आपने क्या दिखवाया, उसकी अभी तक कोई ख़बर नहीं।

मैं एक श्रमजीवी फोटो जर्नलिस्ट हूं। कैमरे की आंख से स्टिल फोटोग्राफी करते हुए फिल्म बनाने का सपना सच करने के लिए किस तरह अपना सब कुछ दांव लगा कर, मैंने हिम्मत जुटाई, एसी दफ्तरों में बैठ कर प्रोफेशल जिंगल और तुक-बेतुक कविताएं लिखने वाले नहीं समझ सकेंगे। फिल्म जेडी पिछले साल श्री पहलाज निहलानी के अध्यक्षीय कार्यकाल में सेंसर हुई थी। आप जानते हैं कि फिल्म रिलीज करना कितना मुश्किल है। जीवन की आपाधापी में सैकड़ों बाधाएं पार करके अंततः 22 सितंबर रिलीज डेट फिक्स की। आगे की कहानी रोचक है।

ट्रेलर/प्रोमो सेंसर करवाने का नंबर आया तो पता चला कि अब सब ऑनलाइन है। लगा कि अच्छा है, फटाफट पारदर्शिता से काम हो जाएगा। मैं गलत साबित हुआ। एक महीने से ऊपर केवल रजिस्ट्रेशन कराने में लग गया वो भी बड़ी मुश्किल से हुआ। बड़े फोन करने पड़े, बड़े लोगों से मिलना पड़ा। सोचा अब ट्रेलर/प्रोमो सेंसर हो ही जाएंगे। अप्लाई करने में इतनी फॉर्मेलिटीज कि दिमाग ठिकाने आ गया। हारकर एक एजेंट लिया श्रीपति मिश्रा, उसने एक फीस के बदले सब कुछ ठीक करने का बोला। फिल्म सेंसर का अनुभव ठीक था इसलिए 30 अगस्त को उसके अकाउंट में पैसे भी ट्रांसफर कर दिए। उसने एक हफ्ते लगाए फॉर्मेलिटीज पूरी करने में और 6 सितंबर को अप्लाई किया, बोला 2 दिन में मिल जाएगा, लेकिन आज तक कुछ नही हुआ। अब भी ऑनलाइन दिख रहा है कि प्रोमोज रिजेक्टेड बाई चेयरमैन। 15 सितंबर को आपसे मिला, आपने भी आश्वासन दिया परंतु सब ढाक के तीन पात वाली कहावत साबित हुआ। 22 सितंबर को फिल्म रिलीज होने को है, आप देखें कि आपकी और सेंसर बोर्ड की कार्यपद्धति फिल्म निर्माता-निर्देशकों के लिए कितनी दोस्ताना है।

ये बातें लिखते हुए मुझे अफसोस है कि सारा कुछ तब हो रहा है, जब फोटो जर्नलिस्ट के रूप में मेरे काम से आप वाकिफ हैं। मैं यह नहीं कहता कि मेरा-आपका कोई गाढ़ा परिचय है। फिर भी यह कहने में मुझे संकोच नहीं कि मेरे द्वारा शूट किए गए आपके फोटो शायद अब तक की आपकी सबसे बेहतरीन तस्वीरों में है। इसलिए आपने वो फोटो मुझसे लिए और उनका असीमित इस्तेमाल किया। गौर से देखें कि आपके व्हाट्सएप पर लगी डीपी मेरी ही खींची हुई है। आपके फैमिली फोटो भी मेरे द्वारा शूट किए गए शायद सबसे शानदार होंगे। आप जब भी मिले, मैंने दिल से आपको रिस्पेक्ट दी। फोन पर भी कभी बात हो जाया करती थी। तब मैं फोटो संपादक था और आप गीतकार-कहानीकार। आपके लिए वह सम्मान मेरे दिल में हमेशा बना रहेगा। जेडी 22 सितंबर को मुंबई के सिनेमाघरों में भी लगेगी। देख कर अपनी राय जरूर दीजिएगा। निवेदन है कि भविष्य है में कम से कम किसी नए फिल्मकार के साथ ऐसा मत कीजिएगा, जो मेरे साथ किया।

आपका
शैलेंद्र पांडेय
निर्माता-निर्देशक, जेडी


एक पत्रकार पर आधारित फिल्म ‘जेडी’ 22 सितंबर को रिलीज़ हो रही है। इसमें वेदिता प्रताप सिंह, गोविंद नामदेव, अमन वर्मा, अरविंद गौर और ललित बिष्ट अहम भूमिकाओं में हैं।

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