‘चरित्र’ से बड़ी नहीं है फिल्म : कंगना रनौत

कंगना रनौत के ‘पुराने अफेयर्स’ का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है और इस बार इसके बाहर आने का आरोप भी कंगना के मत्थे ही है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कंगना अपनी फिल्म के प्रमोशन के चलते इस मुद्दे को हवा दे रही हैं। इसके अलावा इंडस्ट्री से जुड़ी कुछ हस्तियों ने यह तक कह दिया कि वो ‘वुमन कार्ड’ खेल रही हैं।

फिल्म सिमरन में कंगना रनौत
मुंबई। बेबाक बयानी के मशहूर अदाकारा कंगना रनौत ने खुद पर लग रहे आरोपो का एक बार फिर मुंहतोड़ जवाब दिया है। फिल्म ‘सिमरन’ के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान जब पत्रकारों ने उन पर लग रहे आरोपो के बारे में पूछा, तो कंगना ने कहा, ‘कोई फिल्म, मेरे ‘चरित्र’ से बढ़कर नहीं हो सकती। मैं महिला हूं और अपनी गरिमा को बचाने का मुझे पूरा अधिकार है। कोई भी ऊल-जलूल आरोप मुझ पर मढ़कर चुपचाप नहीं बैठ सकता। मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाया गया है, तो उसके लिए आवाज़ उठाऊंगी।’

वो आगे कहती हैं कि मेरी फिल्म आ रही है, तो क्या मैं अपना चरित्र हनन होने दूं। ‘सिमरन’ मेरी आखिरी फिल्म नहीं है। इसके बाद भी कई फिल्में आएंगी। मेरा फर्ज़ बनता है कि मुझ पर लगे आरोपों की सच्चाई सबके सामने लेकर आऊं। 

कंगना नहीं हैं आउट साइडर

वहीं जब कंगना से पूछा गया कि क्या वो अभी भी खुद को फिल्म इंडस्ट्री में ‘आउट साइडर’ मानती हैं, तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘बिलकुल भी नहीं। मैं इस इंडस्ट्री का अहम हिस्सा हूं। मुझे तो लीडिंग फेस ऑफ इंडियन सिनेमा कहा जाता है। मेरी फिल्मों ने कई रिकॉर्ड तोड़े हैं। तीन राष्ट्रीय पुरस्कार तक प्राप्त किए हैं।’

स्थापित कलाकारों से दूरी 

कंगना स्थापित कलाकारों के साथ फिल्में करने से कतराती क्यों है? जवाब में उन्होंने कहा कि हिंदी फिल्मों में अभिनेत्रियों को ऑब्जेक्ट के रूप में रखा जाता रहा है। मैं इस बात से इत्तेफाक़ नहीं रखती। वहीं दूसरी बात यह है कि दर्शक मुझे किसी स्थापित कलाकार के साथ शायद देखना नहीं चाहते, क्योंकि जब भी मैंने ऐसा कुछ किया है, फिल्म असफल ही रही है। मेरी ऐसी फिल्मों में ‘कट्टी बट्टी’ हो या फिर ‘रंगून’ फिल्म पिट ही गई। 

हालांकि वो आगे कहती हैं कि सच मानिए, बड़े कलाकारों के साथ स्क्रीन न शेयर कर पाने का मुझे अफसोस भी नहीं है।

‘रंगून’ की असफलता से लगा झटका

कंगना ने बताया कि उनको फिल्म ‘रंगून’ को लेकर काफी उम्मीदें थीं, लेकिन वो सभी ध्वस्त हो गईं। उसकी असफलता ने उनको झटका लगाया। 

कंगना कहती हैं कि मुझे रिएलिटी चेक करने का मौक़ा मिला। फिर मैंने सोचा, मैंने अपना वजूद बनाने के लिए ही घर छोड़ा था, जो मैं बना चुकी हूं। इसके बाद किस अंधी दौड़ में दौड़ी जा रही हूं। ब्रेक पर गई, फिर खुद को समझाया कि जितना मिलता जाएगा, उससे ज्यादा की उम्मीद तो जागती ही रहेगी। 

वो आगे बताती हैं कि उसके बाद मैंने खुद से और उम्मीदें लगाना बंद कर दिया है क्योंकि वो उम्मीदें ही आपको दुख पहुंचाती हैं। इसलिए कई बार खुद से कम उम्मीदें भी करना सीखना चाहिए। इस फिल्म की असफलता ने मुझे यही सिखाया है। इसके अलावा मुझे साहस भी आ गया है। असफलता सहने का साहस।

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