Birth Anniversary : सिल्क स्मिता का आख़िरी कॉल

साउथ फिल्म इंडस्ट्री में सेक्सी सायरन कही जाने वाली सिल्क स्मिता ने शोहरत की बुलंदियों को छूआ और जब सिल्क का सामना असफलता से हुआ, तो वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और फानी दुनिया से विदा हो चली। बताया जाता है कि असफलता से बुरी तरह टूट चुकी सिल्क किसी से बात करना चाहती थी और मरने से पहले कई दफ़ा कॉल भी किया, लेकिन वो कॉल ‘मिस कॉल’ बन कर रह गया।

जन्मदिन स्पेशल सिल्क स्मिता

मुंबई। एक ऐसी अदाकारा जो गोरी नहीं थी, छरहरी नहीं थी, जिसकी अदाओं में शराफत नहीं थी और जिसकी आंखें आम लड़कियों की तरह शर्म से झुकती नहीं थी, जी हां हम बात कर रहे हैं साउथ फिल्म इंडस्ट्री की सेक्सी सायरन कही जाने वाली सिल्क स्मिता की।

आंध्र प्रदेश में राजमुंदरी के एल्लुरू में 2 दिसंबर 1960 में जन्मी विजयालक्ष्मी पहले स्मिता बनी और फिर वो सिल्क स्मिता बन गई। अस्सी के दशक तक आते-आते सिल्क स्मिता ऐसा मुकाम बना लिया था कि तब डिस्ट्रीब्यूटर फिल्म तभी ख़रीदा करते थे, जब फिल्म में सिल्क का एक गाना हो।

वो एक ऐसी एक्ट्रेस थी, जिसने महज चार सालों में तकरीबन दो सौ फिल्में कीं। हालांकि, वो कैरेक्टर एक्टर बनना चाहती थी, लेकिन फिल्ममेकर्स ने उसे ग्लैमरस रोल ही दिए। ऐसे रोल को वो खुशी-खुशी कर लिया करती थी।

शोहरत के रास्ते में जहां कुछ दोस्त बनते हैं, तो कुछ दुश्मन भी बन ही जाते हैं। ऐसा ही कुछ सिल्क के साथ भी हुआ। जब समय ने सिल्क का साथ छोड़ा, तो मौक़ापरस्तों ने भी अपनी पल्ला झाड़ लिया। धीरे-धीरे वो अवसाद में घिरने लगी और फिर एक दिन उसकी आत्महत्या की ख़बरें सुर्खियां बन गईं।

सिल्क की अचानक मौत से साउथ फिल्म इंडस्ट्री हिल गई। आज भी सिल्क के आत्महत्या की गुत्थी अनसुलझी ही है। लेकिन कहा जाता है कि सिल्क मरने से पहले किसी से बात करना चाहती थीं। वो ख़ास दोस्त कन्नड़ एक्टर रविचंद्रन थे।

रविचंद्रन ने साल 2014 में एक कन्नड़ चैनल को दिए इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था, ’23 सितंबर 1996 की बात है। मैं उस वक्त किसी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त था। फ्री होने के बाद मैं यह देख कर चौंक गया कि सिल्क ने कई बार मुझे फोन किया है। मैंने तुरंत उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन ख़राब नेटवर्क की वजह से उससे बात नहीं हो पाई। तब मुझे लगा कि हर रोज की तरह ही वो मुझे आज भी कॉल कर रही होगी, लेकिन अगले दिन उसकी सुसाइड की ख़बर मिली। मैं यह सुनकर स्तब्ध रह गया था।’

सिल्क के कॉल, मिस कॉल में बदलने का मलाल हमेशा रविचंद्रन को रहेगा। वो कहते हैं कि जाने क्या सिल्क मुझसे कहना चाहती थीं। किस बात से वो परेशान थी। कई सवाल हैं, लेकिन जवाब आज तक नहीं मिलें।

कई मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि वैसे तो सिल्क ने शोहरत की बुलंदियां छूई थीं, लेकिन उस कामयाबी के जश्न के लिए उसके पास कोई नहीं था। प्यार और अपनेपन की तलाश करती रहीं और लोग उनका फायदा उठाते रहे। घर वाले उनके काम से खुश नहीं थे, तो घर वालों से भी नाता टूट चुका था। प्यार में धोखे मिले। लिहाजा शराब को गले से लगा लिया। तमाम मुश्किलों से जूझती हुई आखिरकार एक दिन सिल्क ने खुद को ख़त्म कर लिया।

सिल्क स्मिता के जीवन पर मिलन लुथिरया ने ‘डर्टी पिक्चर’ नाम की फिल्म बनाई, जिसमें सिल्क का किरदार विद्या बालन ने निभाया था। इसके लिए विद्या को बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था।

सिल्क स्मिता के अननोन फैक्ट

आंध्र प्रदेश में राजमुंदरी के एल्लुरू में 2 दिसंबर 1960 में जन्मी थी और तब उनका नाम विजयालक्ष्मी रखा गया था। बाद में उन्होंने अपना नाम स्मिता रखा और फिर सिल्क स्मिता कर लिया।

सिल्क ने साउथ फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा मुकाम बना लिया था कि उस दौर की कोई भी फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर तभी फिल्म ख़रीदते थे, जब उसमें सिल्क का कम से कम एक गाना तो हो ही।

दस साल के छोटे से करियर में करीब पांच सौ में काम करने वाली सिल्क के परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि घर वाले उसे सरकारी स्कूल में भी भेजने का खर्चा नहीं उठा पाए।

सिल्क की पढ़ाई चौथी कक्षा में ही छूट गई। वहीं उसको मेकअप असिस्टेंट के रूप में पहला काम मिला। स्मिता शूटिंग के दौरान हीरोइन के चेहरे पर शॉट्स के बीच टचअप का काम किया करती और यहीं से उसकी आंखों में ग्लैमर के सपने पलने लगे।

सिल्क जिस हीरोइन का टचअप करती थी, उसके करीबी फिल्ममेकर से दोस्ती की और साल 1979 में मलयालम फिल्म ‘इनाये थेडी’ से डेब्यू किया।

स्मिता को करियर का सबसे बड़ा ब्रेक मिला साल 1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘वांडी चक्रम’ में। इस फिल्म में उन्होंने अपने किरदार को खुद ही डिज़ाइन किया। इस फिल्म तक उनका नाम सिर्फ स्मिता ही था, लेकिन अपने किरदार ‘सिल्क’ को मिला शोहरत को उन्होंने अपने साथ ही जोड़ लिया। तब पूरा नाम बना सिल्क स्मिता।

साल 1983 में ‘सिल्क, सिल्क, सिल्क’ नाम की फिल्म में उन्होंने लीड रोल प्ले किया। साल 1980 से 1983 के बीच सिल्क की तकरीबन 200 फिल्में आईं।

सिल्क स्मिता तीन-तीन शिफ्ट्स में काम करती थीं। एक गाने की कीमत तब वो 50 हज़ार लिया करती थी। ये उस दौर की बात है, जब सिर्फ सिल्क के एक गाने के लिए निर्माता अपनी फिल्मों की रिलीज़ को महीनों तक रोके रखता था।

सिल्क स्मिता का एक गाना तब के स्टार शिवाजी गणेशन से लेकर रजनीकांत, कमल हासन और चिरंजीवी तक की फिल्मों की जरूरत बन चुका था। यहां तक कि लीक से हट कर फिल्में बनाने वाले निर्देशक बालू महेंद्रा और भारती राजा भी चपेट में आ गए।

बालू महेंद्रा ने सिल्क स्मिता को अपनी फिल्म ‘मूरनम पिराई’ में खास रोल दिया और इसे जब उन्होंने हिंदी में ‘सदमा’ के नाम से बनाया, तो सिल्क को उसमें भी रिपीट किया। जितेंद्र-श्रीदेवी और जितेंद्र-जया प्रदा अभिनीत फिल्मों में भी सिल्क को काम दिया गया।

सिल्क को उनके एक मित्र ने फिल्म निर्माण करने की सलाह दी और उस दोस्त की बात मानने के बाद सिल्क ने दो फिल्मों का निर्माण किया। ये दोनों फिल्मों में ही उनके दो करोड़ रूपए डूब गए। हालांकि, तीसरी फिल्म भी शुरू हो गई थी, लेकिन पूरी न हो सकी।

23 सितंबर 1996 को उनकी लाश उनके ही घर में पंखे से झूलती पाई गई। पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानते हुए केस बंद कर दिया। हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं, जो इसे हत्या मानते।

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