जन्मदिन के इस रिवाज़ के खिलाफ़ अमिताभ बच्चन

अपनी खुशी, नाराज़गी, झुंझलाहट सब कुछ अमिताभ बच्चन सोशल मीडिया पर लेकर आ जाते हैं। ऐसी ही एक और पोस्ट उन्होंने साझा की है। अमिताभ ने ट्विटर पर जन्मदिन मनाने के तरीक़े पर सवाल उठाते हुए कहा कि हैप्पी बर्थडे की परंपरा अंग्रेज़ हमारे देश में छोड़ गए और हम आज भी उसके गुलाम हैं। 

बर्थडे मनाने के तरीके पर ऐतराज़
मुंबई। अमिताभ बच्चन ने सोशल मीडिया के माध्यम से मोमबत्तियां बुझाकर, केक काटकर जन्मदिन मनाने के चलन को अग्रेज़ों की गुलामी बताई है। इस रिवाज़ पर कई सवाल भी खड़े किए हैं। 

अपने विचारों को लेकर अमिताभ बच्चन काफी मुखर हैं, लेकिन वो सिर्श सोशल मीडिया पर। आए दिन अपनी खुशी, खीझ सबकुछ जाहिर करते रहते हैं। 

इसी कड़ी में उन्होंने एक बर्थडे मनाने के तरीक़े पर सवाल खड़ा कर दिया है। वो अपने ट्वीट में लिखते हैं कि हमारी संस्कृति और सभ्यता में दीप प्रज्वलित किया जाता है, न कि उसे बुझाया जाता है। 

अमिताभ आगे लिखते हैं कि अंग्रेज़ हैप्पी बर्थडे की प्रथा छोड़ गए और हम अभी भी उसके गुलाम हैं। यह केक क्यूं? ये कैंडल क्यूं? ये फूंक कर बुझाना क्यूं? हमारी सभ्यता में दीप प्रज्वलित करते हैं, ये उसे फूंक कर बुझाने को कहते हैं। और यह गाना क्यूं? ये गाइए: वर्ष नव, हर्ष नव ...’

बता दें कि वर्ष नव, हर्ष नव...को अमिताभ बच्चन के पिता कवि हरिवंश राय बच्चन ने लिखा है, जो हर जन्मदिन पर उनके परिवार में गाया जाता है। 


अमिताभ बच्चन के द्वारा बर्थडे मनाने के इस तरीक़े पर ऐतराज़ को ट्विटर पर काफी सराहा जा रहा है। एक यूज़र ने लिखा कि जन्मदिन पर केक की जगह खीर जरूर बनाई जानी चाहिए। वहीं एक अन्य यूज़र लिखता है कि उसके घर जन्मदिन पर हलुआ बनाया जाता है, जिसमें बादाम, किशमिश, नारियल और इलायची भी चाला जाता है। 

एक अन्य यूज़र लिखता है कि उसके जन्मदिन पर घर में भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है और सुंदरकांड का पाठ होता है।

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