फिल्म समीक्षा : राज़ी

हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित फिल्म ‘राज़ी’ ने इस शुक्रवार सिनेमाघरों में दस्तक दी है। मेघना गुलज़ार के निर्देशन में बनी इस फिल्म में आलिया भट्ट, विक्की कौशल, रजित कपूर, सोनी राजदान सरीखे कलाकार है। पाकिस्तान में जासूसी करने वाली एक भारतीय लड़की की कहानी है। आइए करें समीक्षा... 

फिल्म राजी में सहमत बनी आलिया
फिल्म : राज़ी
निर्माता : विनित जैन, करण जौहर, हीरू यश जौहर, अपूर्व मेहता
निर्देशक : मेघना गुलज़ार 
कलाकार : आलिया भट्ट, विक्की कौशल, रजित कपूर, जयदीप अहलावत, सोनी राजदान
संगीतकार : शंकर-अहसान-लॉय
जॉनर : पीरियड थ्रिलर
रेटिंग : 4/5

‘फिलहाल’, ‘जस्ट मैरिड’ और ‘तलवार’ के बाद मेघना गुलज़ार ‘राज़ी’ लेकर आई हैं। एक भारतीय जासूस लड़की की कहानी है, जो पाकिस्तान के एक आर्मी ऑफिसर से शादी करके पाकिस्तान चली जाती है। हरिंदर सिक्का के उपन्यास ‘कॉलिंग सहमत’ पर आधारित फिल्म दर्शकों को कितना लुभाती है, वो समय ही बताएगा। 

कहानी

फिल्म की कहानी शुरू होती है, साल 1971 से, उस दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए थे। उस दौरान कश्मीर का कारोबारी हिदायत खान यानी रजित कपूर अपने कारोबार के सिलसिले में अक्सर पाकिस्तान जाया करता था। वहीं उसे भनक लगती है कि पाकिस्तान भारत को तबाह करने के मंसूबे बना रहा है। 

हिदायत की दोस्ती पाकिस्तानी आर्मी के ब्रिगेडिर परवेज सैय्यद यानी शिशिर शर्मा से है। इसी दोस्ती का फायदा उठाते हुए, अब वो अपने देश को बचाने का फैसला करता है। इसी के तहत परवेज के बेटे इकबाल यानी विक्की का रिश्ता अपनी बेटी सहमत यानी आलिया के लिए मांगता है। इकबाल भी एक आर्मी ऑफिसर है। परवेज को हिदायत की बात जंच जाती है और फिर सहमत और इकबाल की शादी के लिए हामी भर देता है। 

भारत वापस आने के बाद हिदायत अपनी पत्नी तेजी यानी सोनी राजदान और सहमत से पूरी बात बताता है। अपने देश के लिए सहमत इस फैसले को मानने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद शुरू होती है, सहमत की जासूस बनने की ट्रेनिंग। 

रॉ एजेंट खालिद मीर यानी जयदीप अहलावत, सहमत को ट्रेनिंग देते हैं। अब इकबाल से शादी करते समहत पाकिस्तान जाती है। पति और ससुराल में खुद के लिए जगह बनाने के साथ वो वहां से खुफिया जानकारी भारत को मुहैया करवाती है। 

सहमत के दिल में देशप्रेम के साथ इकबाल के लिए भी प्रेम जगता है। एक छोटी सी प्रेमकहानी भी फिल्म में नज़र आएगी। लेकिन क्या सहमत पकड़ी जाती है, उसका क्या अंजाम होता है, इकबाल और सहमत की प्रेमकहानी क्या मोड़ लेती?....सबके लिए थिएटर जाना होगा। 

समीक्षा 

निर्देशक के मामले में मेघना गुलज़ार को पूरे मार्क मिलेंगे। कहानी और किरदार पर उन्होंने एक पल को भी अपनी पकड़ नहीं छोड़ी है। फिल्म कुछ इस तरह आपको बहा कर ले जाती है कि अपने आस-पास की दुनिया को आप भूल-बैठते हैं। कई बार ऐसा महसूस होता है कि आप उन किरदारों के करीब ही कहीं हैं। कुछ होने पर डरना, घबराना सब महसूस होता है। 

अब अभिनय की बात करें, तो आलिया पूरी तरह से फिल्म में छाई रहीं। हालांकि, उनके किरदार के इर्द-गिर्द ही कहानी बुनी गई है। खैर, आलिया ने न सिर्फ फिल्म में अपने अभिनय का जौहर दिखाया है, बल्कि उनकी सादगीभरी खूबसूरती ने भी मन मोह लिया। 

वहीं विक्की कौशल भी आर्मी ऑफिसर की भूमिका में काफी जंचे। संतुलित और संजीदा शख्स के किरदार को बखूबी निभा गए हैं। रॉ एजेंट की भूमिका में जयदीप अहलावत, पिता और देशभक्त कारोबारी के किरदार में रजित कपूर, शिशिर शर्मा, आरिफ जकारिया और बेबस-लाचार मां की भूमिका में सोनी राजदान के काम को देख कर दिल खुश हो जाता है।

फिल्म के संगीत की बात करें, तो उम्दा के सिवा कोई शब्द नहीं है। गुलज़ार के लिखे गीतों को संगीत से शंकर-अहसान-लॉय ने सजा कर जीवंत कर दिया है। 

ख़ास बात 

उम्दा अदाकारी, बेहतरीन निर्देशन, मनोरंजक-रोमांचक कथानक वाली यह फिल्म ‘मस्ट वॉच’ कैटेगरी में जाती है। यह परिवार के साथ देखी जानी वाली फिल्मों में से है।

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