फिल्म समीक्षा : रेस 3

अब्बास-मस्तान की साल 2008 में फिल्म 'रेस' ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया था। फिर 2013 में आई इसकी दूसरी कड़ी ने भी ठीक-ठाक कारोबार किया। अब इस फिल्म की तीसरी कड़ी 'रेस 3' के रूप में इस शुक्रवार को सिनेमाघरों में उतरी। स्टारकास्ट से लेकर निर्देशक तक सब नए हैं। हां, 'रेस' में अनिल कपूर ही कॉमन फैक्टर हैं। फिर आइए करते हैं फिल्म की समीक्षा...

फिल्म समीक्षा रेस 3
फिल्म का नाम : रेस 3 
निर्माता : रमेश तौरानी 
निर्देशक : रेमो डिसूज़ा 
कलाकार : सलमान खान, जैकलीन फर्नांडिज़, साकिब सलीम, डेज़ी शाह, बॉबी देओल, अनिल कपूर, फ्रेडी दारूवाला
जॉनर : एक्शन ड्रामा 
रेटिंग : 2 स्टार 

इस सप्ताह रेमो डिसूज़ा के निर्देशन में बनी फिल्म 'रेस 3' सिनेमाघरों में उतरी है। इस फिल्म में कलाकारों की अच्छी-खासी फौज़ जमा है। जहां पहले इस फ्रेंचाइज़ी की दो फिल्मों 'रेस' और 'रेस 3' को अब्बास-मस्तान की जोड़ी ने निर्देशित किया था, वहीं इस बार रेमो को फिल्म के निर्देशन का मौका दिया गया। कैसी बनी है, सफल फ्रेंचाइज़ी की तीसरी कड़ी करते हैं समीक्षा...

कहानी 

फिल्म की कहानी शुरू होती है शमशेर सिंह यानी अनिल कपूर से। शमशेर आईलैंड अलशिफा में अवैध तरीके से हथियार सप्लाय करने का काम करता है। शमशेर के दो बच्चे हैं। संजना यानी डेजी शाह और सूरज यानी साकिब सलीम। शमशेर का सपना है कि वो भारत में भी अपने इस कारोबार को शुरू करे, लेकिन अपने अपराधिक रिकॉर्ड के चलते वो ऐसा करने में असमर्थ है। 

वहीं अवैध हथियारों के कारोबार को शमशेर का सौतेला बेटा सिकंदर यानी सलमान खान भी देखता है। सिकंदर का बॉडी गार्ड यश यानी बॉबी देओल है। यश की गर्लफ्रेंड जेसिका यानी डैकलीन फर्नांडिज़ है। 

अब कहानी में ट्विस्ट राणा यानी फ्रेडी दारूवाला की एट्री के बाद आता है। राणा, शमशेर के कारोबार को तबाह करना चाहता है। ड्रग्स, हथियार, चेस सीक्वेंस और इलाहाबाद से अलशिफा तक का सफर शमशेर कैसे तय करता है, उसके पीछे की वजहें क्या होती हैं। इन सबके लिए थिएटर का रूख करना होगा। 

समीक्षा

एक फिल्म के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूर कहानी होती है, जो इस फिल्म में काफी कमज़ोर है। किसी भी किरदार को राइटर शिराज अहमद जस्टिफाई ही नहीं कर पाए हैं। फिल्म के दो अहम पिलर नायक और खलनायक। इस फिल्म में यह दोनों ही नदारत रहे। न तो फिल्म में कोई नायक दिखा, और ना ही खलनायक की भूमिका में कोई दमदार उपस्थिति नज़र आई। रिपीट होते डायलॉग आपको इरीटेट कर सकते हैं। 

अवैध हथियारों के कारोबार की कहानी में कब ड्रग्स समा जाता है और फिर कब वेश्यवृत में लिप्त मंत्रियों तक पहुंच जाता है। इस एक्शन थ्रिलर फिल्म के कुछ सीन्स को छोड़ दिया जाए, तो बाकी काफी स्लो हैं। फर्स्ट पार्ट तो काफी बोर है, जिसे सेकेंड पार्ट में कवर करने की कोशिश की गई है। 

फिल्म का म्यूज़िक बोझिल है। ख़ासतौर से सलमान का लिखा गाना 'सेल्फिश' तो बकवास है। 'रेस' फ्रेंचाइज़ी का नाम आते ही ट्विस्ट एंड टर्न्स दिमाग़ में घूमने लगता है, लेकिन 'रेस 3' में यह नदारत है। फिल्म को बेजा स्टाइलिश दिखाने की कोशिश की गई है और रेमो ने फिल्म को लंबा खींचने की बेवजह कोशिश की है। अभिनय में अनिल कपूर ही बाजी मारते दिखे, बाकी कलाकार बस ठीक-ठाक ही रहे हैं। 

ख़ास बात

यदि आप सलमान खान के फैन हैं और उनकी फिल्म देखे बगैर रह नहीं पाते, तो आप कोशिश कर सकते हैं। यदि ऐसा नहीं है, तो फिर सिनेमाहॉल का रुख ना ही करें। 

संबंधित ख़बरें