प्र‍ियंका हैं प्रकाश की 'मैडम सर'

तेज़ तर्रार और अनुशासित निर्देशकों में शुमार प्रकाश झा आखिर प्रियंका चोपड़ा को 'मैडम सर' के नाम से क्यों बुलाने लगे हैं। यह प्रगाढ़ता फ़िल्म 'जय गंगाजल' की शूटिंग के दौरान हुई। निर्देशन में अपना सिक्का जमाने के बाद अब अभिनय में हाथ आजमा रहे प्रकाश झा ने प्रियंका के इस नए उपनाम की जानकारी 'जय गंगाजल' के ट्रेलर लॉन्च में किया.उनके नाम के अलावा और भी दिलचस्प बातें हुईं ....

प्रकाश झा और प्रियंका फ़िल्म 'जय गंगाजल' के सीन की चर्चा करते हुए।
मुंबई। खुद को हर बार एक नई कसौटी पर कसती हैं, अपने ही खीचे लकीरों से आगे बढ़कर कुछ करने में इन्हें मज़ा आता है। हम बात कर रहे हैं प्रियंका चोपड़ा की। अभिनेत्री हैं, गायिका भी हैं और अब तो अमेरिकी शो कर के खुद को अंतरराष्ट्रीय कलाकारा में शुमार भी करवा चुकी हैं।

संजय लीला भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' की काशी बाई के कमाल के बाद अब वे तेज़ तर्रार पुलिस अफसर की भूमिका में अपना जादू चलाने को तैयार हैं। साल 2016 की पहली तिमाही में इनकी फ़िल्म 'जय गंगाजल' रिलीज़ होने को तैयार है। इसी फ़िल्म का ट्रेलर लॉन्च हुअा।

प्रकाश झा के निर्देशन में बनी फ़िल्म में प्रियंका एसपी आभा माथुर की भूमिका में नज़र आएंगी। प्रकाश ने ट्रेलर लॉन्च के दौरान इस फ़िल्म के बनने और प्रियंका के हामी भरने का दिलचस्प वाकया बयां करते हुए बताया, "पिछले चार साल से प्रियंका के साथ यह फ़िल्म बनाना चाह रहा था, लेकिन उनके पास समय ही नहीं था। एक दिन अचानक ही प्रियंका के मैनेजर का फोन आया और कहा कि मैडम आपसे मिलना चाहती हैं। मैंने कहा करेंगी मिलकर, उनके पास तो टाइम ही नहीं है। तब मैनेजर ने कहा कि नहीं मैडम ही आपसे मिलना चाहती हैं। "
प्रकाश आगे कहते हैं कि इतने आग्रह के बाद आखिरकार मैं प्रियंका के घर गया और बस पंद्रह मिनट का नरेशन दिया ही था कि प्रियंका झट से बोल पड़ी, "यह फ़िल्म तो कोई और कर ही नहीं सकता। इसे तो सिर्फ़ मैं ही करूंगी।"

ग़ौरतलब है कि जब प्रियंका ने इस फ़िल्म के लिए रजामंदी दी, तब उनके पास 'क्वांटिको' और 'बाजीराव मस्तानी' के अलावा डेट्स नहीं थी। लेकिन प्रियंका और प्रकाश ने काफ़ी गुणा भाग करके डेट्स निकाल ही ली। अब प्रियंका यहां का शूट ख़त्म कर अमेरिका जाती और अमेरिका से भारत आतीं। कठिन मेहनत और थोड़े से मैनेजमेंट से यह फ़िल्म तैयार भी हो गई।

इतनी जल्दी फ़िल्म तैयार होने पर हैरानी जताते हुए प्रियंका कहती हैं, "यह फ़िल्म जितनी जल्दी तैयार हुई, उतने में तो हम एक गाना शूट किया करते थे।"

लेकिन इसका पूरा श्रेय प्रकाश झा अपने स्टार कास्ट को देते हैं। वो कहते हैं, "मैं अपने कलाकरों को उनके किरदार पूरी तरह बैठा देता हूं। पूरा समय देता हूं कि वो उसमें समा जाए, उसके बाद सेट पर मुझे करना ही नहीं होता।"

खै़र प्रकाश की फ़िल्म के ट्रेलर को देखकर लग गया कि इस पर सेंसर की कैंची चलेगी। लेकिन जब प्रकाश से सेंसर के रवैये को लेकर सवाल किया तो वे बोले, "देखिए फ़िल्म को एक्ज़ामिन कमेटी ने पास नहीं किया, तो रिवाइज़िग कमेटी के पास गए। वहां पर यह फ़िल्म पास हो गई। अब फ़िल्म में आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग तो होगा ही। "

बात है पुलिस अफसर बनने की, तो इंडस्ट्री में और भी लोगों ने वर्दीधारी का किरदार निभाया है। ऐसे में पीसी का पसंदीदा पुलिसवाला कौन है, के जवाब में कहती हैं, '' वर्दी में मैं जितनी अच्छी लग रही थी, उसका किसी और से मुक़ाबला ही नहीं किया जा सकता। ''

प्रियंका इन दिनों अमरीकी शो 'क्वांटिको' में भी काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वो खुद को अंतरराष्ट्रीय कलाकार के रूप में देखती हैं। वो कहती हैं, '' कहीं भी काम मिलेगा और जब तक काम मिलेगा, मैं काम करती रहूंगी। ''

प्रकाश झा इससे पहले भी अपनी फ़िल्मों में किसी न किसी सीन में नज़र आया करते थे, लेकिन 'जय गंगाजल' से वो बतौर अभिनेता डेब्यू कर रहे हैं। इस बारे में प्रियंका ने चुटकी लेते कहा, '' अभिनय के मामले में तो मैं इनसे ज़्यादा अनुभवी हूं। ''

प्रियंका की इस चुटकी का जवाब देते हुए प्रकाश ने कहा, '' तभी तो आपको 'मैडम सर' कहता हूं और सेट पर आते ही आपके पैर छूता था। ''

वे आगे कहते हैं, "हमारे बीच शुरू में ही एक करार हो गया था कि हर सुबह सेट पर पहुंचने के बाद मैं उनके चरण स्पर्श करूंगा। वह मुझे आशीर्वाद देंगी और तभी मैं उनके साथ काम कर सकता हूं। अब अगर वह मेरी सीनियर हैं , तो मैं क्या कर सकता हूं। मैं उन्हें सीनियर ही मानूंगा ना। "

'जय गंगाजल' में प्रियंका को 'मैडम सर' बोलते झा को देखा जाएगा। इसमें दोनों के बीच कुछ तीखे संवाद और कुछ एक्शन सीन भी हैं।

याद दिला दें कि इससे पहले साल 2003 में आपको गंगाजल लेकर आए थे, जिसमें अजय देवगन लीड रोल में थे। पहली बार प्रकाश ने फीमेल लीड को अपनी फ़िल्म में लिया है, जो बिगड़ैल दबंगों की जमकर पिटाई करती नजर आ रही हैं।

मतलब प्रकाश की यह फ़िल्म भी समाजिक सरोकारों से सराबोर होगी। फ़िल्म का डॉयलॉग से ही कहानी के तेवर समझा जा सकता है, "जब खाकी का रंग सही हो न तो चाहे उसे मर्द पहने या औरत तुम जैसे नामर्दों को चुटकी में उसकी औकात दिखला देती है।"।

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