रणबीर को सलाह ना ही दें संजू!

ख़बर है कि संजय दत्त ने रणबीर कपूर के फिल्मों के चुनाव पर चुटकी ली है। बक़ायदा घर पर रात के खाने पर बुलाया और फिर शराब के कुछ घूंट हलक के भीतर जाते ही बड़बोले संजू शुरू हो गए। संजू ने नशे में रणबीर को एक्शन हीरो बनने की ताक़ीद देने के साथ उनकी कुछ फिल्मों का मज़ाक तक बना डाला। आपको बता दें कि राजकुमार हिरानी जल्द ही संजय दत्त की बायोपिक बनाने वाले हैं और फिल्म में संजय का किरदार रणबीर निभाने वाले हैं।

संजय दत्त ने उड़ाया रणबीर कपूर का मज़ाक
मुंबई। ‘औरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत’ इस फलसफे को सच करते नज़र आ रहे हैं संजय दत्त। ख़बरों की मानें, तो संजय दत्त ने अपने घर में दावत रखी, जिसमें निर्देशक राजकुमार हिरानी, डेविड धवन और रणबीर कपूर को बुलाया था।

रात बीतने के साथ जाम का दौर भी बढ़ता जा रहा था और साथ ही सिगरेट के छल्ले भी खूब बन रहे थे। दावत में शरीक़ सभी मेहमान इस वक़्त का लुत्फ़ उठा ही रहे थे कि अचानक संजू बाबा कुछ ऐसा कह गए, जिससे वहां बैठे लोगों को सांप सूंघ गया। 

दरअसल, रणबीर कपूर जल्द संजय दत्त की बायोपिक में नजर आने वाले हैं, जिसका निर्देशन राजकुमार हिरानी करने वाले हैं। इस फिल्म की शूटिंग के अगले साल फ्लोर पर जाने की संभावना है। 

ख़ैर, ख़ुद को तोप साबित करते हुए संजू बाबा ने रणबीर कपूर को जताया कि संजय दत्त बनना कितना मुश्क़िल है। ख़ासतौर पर तब, जब रणबीर ने अपने करियर में ‘बर्फी’ सरीख़ी फिल्में की हैं। संजय की नशे में कही इन बातों को भी विनम्रता से लेते हुए रणबीर ने ‘चुप’ रहना ही मुनासिब समझा। 

फिल्म इंडस्ट्री के क़ाबिल अभिनेताओं में से एक रणबीर कपूर को कभी-भी अपनी महारत साबित करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। उनकी बड़ी फ़्लॉप फिल्मों में भी उनके अभिनय को आलोचकों ने सराहा है। जिस फिल्म की बात संजय दत्त कर रहे थे, उसको करना इतना आसान तो न था।

एक ऐसे किरदार को निभाना, जो न बोल पाता है और न ही सुन पाता है। कितना मुश्किल होगा, बिना संवाद के दर्शकों तक भाव पहुंचाना। लेकिन रणबीर कामयाब हुए।

नीतू सिंह और ऋषि कपूर के इस बेटे ने ख़ुद को अभिनय के धरातल पर साबित किया है। ‘राजनीति’, ‘वेक अप सिड’, ‘बर्फी’, ‘रॉकस्टार’ सरीखी कई फिल्में की हैं। लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में ‘मोस्ट स्टाइलिश मेन’ के रूप में दर्ज होने वाले रणबीर के खाते में पांच फिल्मफेयर अवॉर्ड्स और पांच स्क्रीन अवार्ड्स हैं। 

संजय दत्त ने रणबीर को ताक़ीद दी कि वो एक्शन हीरो बनें, तभी लंबे समय तक टिके रहेंगे। फिल्म में हीरो का मतलब हाथ में बंदूक थामकर हवा में गोलियां चलाना या फिर पचास मंजिला मकान से कूंदना भर या फिर एक घूंसे में पांच-पांच लोगों को पस्त करना भर नहीं है। 

संजू बाबा यदि आज भी आप इस सोच के साथ जी रहे हैं, तो आपको सच जानने की सख़्त ज़रूरत है। कई मामलों में उलझने की वजह से शायद आप सिनेमा के बदले रूप से अंजान हो। ज़रूरी है जानकारी को बढ़ाया जाए। दर्शक फिज़ुल के मारधाड़ के बजाय सेंसिबल सिनेमा देखने लगे हैं। 

यदि संजू बाबा आपको लगता है कि एक्शन हीरो होने से दर्शक आपको याद रखते हैं, तो बता दूं कि आप बड़े भुलावे में जी रहे हैं। बस थोड़ा पीछे मुड़ कर देखिए आपके साथी अभिनेता भी हर जॉनर में हाथ आजमा रहे हैं और ख़ुद को समय के हिसाब से बदल रहे हैं। 

आपने रणबीर को जताया कि संजय दत्त बनना कितना कठिन है, लेकिन आपको भीतर से पक्का यक़ीन है कि संजय दत्त बनना मुश्क़िल नहीं है। बतौर अभिनेता आपने भी अच्छा काम किया है। आपकी बेहतरीन फिल्मों में से एक ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ में तो आप शांतिदूत बने थे न, अंहिसा का मार्ग दिखा रहे थे। तब आपने क्यों नहीं कहा निर्देशक से कि आपको बंदूक थामनी है, क्योंकि आपको एक्शन हीरो ही बने रहना है।

अब आप इसका जवाब देते हुए कहेंगे क्योंकि वो मेरा काम है। बिलकुल, दुरुस्त फरमाया। आपका काम है किरदार को निभाना। यही काम रणबीर भी करते हैं, शायद किस्मत उनका साथ न दे रही हो, लेकिन संघर्ष ही आपके व्यक्तित्व को निखारती है। अब आपसे भला कौन ‘संघर्ष’ को समझ सकता है। 

इसलिए कहा गया है ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे, जे आचरहि ते नर न घनेरे’। 

संबंधित ख़बरें