अक्षय कुमार पर्दे पर फिर निभाएंगे ‘रियल लाइफ हीरो’ का किरदार

अक्षय कुमार इन दिनों रियल लाइफ हीरो पर बेस्ड फिल्मों को तरजीह देने लगे हैं। ताज़ा जानकारी के मुताबिक अब अक्षय पर्दे पर जसवंत सिंह गिल का किरदार निभाएंगे। गिल ने साल 1989 में अपनी जान जोखिम में डालकर 64 कोयला खदान मजदूरों की जान बचाई थी।

फिल्म एयरलिफ्ट, रुस्तम, गोल्ड, पैडमेन, मोगुल के बाद अब अक्षय कुमार 1989 में महाबीर कोयला खदान हादसे के हीरो जसवंत सिंह गिल पर बन रही फिल्म में ‘रियल लाइफ हीरो’ का किरदार निभाएंगे
मुंबई। बॉलीवुड के खिलाड़ी कुमार यानी अक्षय कुमार एक बार फिर रियल लाइफ हीरो के किरदार को निभाने की तैयारी में जुट गए हैं। अपने 26 साल के सिने करियर में अक्षय शायद पांचवी रियल लाइफ हीरो के किरदार पर फिल्म करने जा रहे हैं।

इस बार वो पर्दे पर जसवंत सिंह गिल का किरदार निभाएंगे। गिल ने साल 1989 में अपनी जान जोखिम में डालकर 64 कोयला खदान मजदूरों की जान बचाई थी।

महाबीर कोयला खदान हादसा

13 नवंबर 1989 को पश्चिम बंगाल के महाबीर खदान में कोयले से बनी चट्टानों को ब्लास्ट कर तोड़ा जा रहा था, तभी पास ही के वाटर टेबल की दीवार में दरार आ गया और उस दरार से पानी बहने लगा। उस खदान में मौजूद 220 लोगों में से 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जो लोग लिफ्ट के पास थे उन लोगों को तुरंत बाहर खींच लिया गया, लेकिन बाकी 64 लोग वहीं फंस गए। 

खदान पर मौजूद अफसरों ने पानी को पंप के जरिये बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन यह तरीका कारगर साबित नहीं हुआ। फिर उस समय एडिशनल चीफ मायनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने एक उपाय सुझाया। उन्होंने कई बोर खोदे ताकि खदान में फंसे मजदूरों को खाने की सामग्री और पीने का पानी दिया जा सके। इसके बाद जसवंत ने 2.5m का लंबा स्टील का एक कैप्सूल बनाया और उसे एक बोर के जरिए खदान में उतारा। 

इसके बाद खुद जसवंत भी खदान में उतर गए। दरअसल, जसवंत ने बचाव और राहत कार्य की ट्रेनिंग ली थी। वहां मौजूद कई लोगों ने साथ ही मैनेजमेंट ने भी जसवंत का विरोध किया, लेकिन जसवंत ने किसी की भी नहीं सुनी। 

जसवंत नीचे पहुंचने के बाद एक-एक करके खदान में फंसे लोगों को बाहर निकालने लगे। जब तस जसवंत ने पूरे 64 लोगों को बाहर नहीं निकाल लिया, तब तक वो बाहर नहीं आए। इस बचाव कार्य में कुल छह घंटे लग गए थे। 

जसवंत की इस बहादुरी के लिए उनको दो साल बाद यानी साल 1991 में भारत सरकार ने उन्हें जीवन रक्षा पदक से नवाज़ा। तब भारत के राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन थे। इतना ही नहीं 16 नवंबर कोल इंडिया की ओर से रेस्क्यू डे भी घोषित कर दिया गया। 

जसवंत सिंह गिल के बनाए कैप्सूल मैथड और अन्य देशों में भी इस्तेमाल किया गया। साल 2010 में चिली में इस कैप्सूल के इस्तेमाल हुआ था, जहां 33 कोयले की खान में काम करने वाले मजदूर लगभग 100 दिन तक फंसे थे। 

फिलहाल जसवंत गिल अपने परिवार के साथ अमृतसर में रहते हैं। वहां वो डिजास्टर मैनेजमेंट की टीम का हिस्सा हैं। 

ख़ैर, इतनी पावरफुल कहानी को अपने हाथों से अक्षय कैसे जाने देते। इसलिए उन्होंने इस कहानी के सारे राइट्स अपने नाम कर लिए हैं।

यानी, ‘एयरलिफ्ट’, ‘रुस्तम’, ‘गोल्ड’, ‘पैडमेन’ के साथ वो गुलशन कुमार की बायोपिक 'मोगुल' तो उनकी किट्टी में थी ही। अब एक और रियल लाइफ कैरेक्टर से उनकी झोली में आ गया है। 

लगता है रियल लाइफ हीरोज़ पर फिल्म बनाने का रिकॉर्ड बनाने वाले हैं अक्षय। 

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