इनके अभिनय कौशल की चर्चा आज भी होती है। मीना कुमारी उन चंद अदाकाराओं में से हैं, जिन्होंने बतौर बाल कलाकार अपने करियर की शुरुआत की और फिर अदाकारी में अपने परचम फहरा दिए। जब भी दुख, दर्द, समर्पण, आभाव, सामाजिक दबाव आदि को पर्दे पर निभाने की बात आती थी, तो फिल्ममेकर्स को मीना कुमारी का ही नाम सबसे पहले याद आता था। शायद इन्हीं किरदारों की वजह से मीना ‘ट्रेजडी क्वीन’ बन गईं। आइए नज़र डालते हैं, उनकी कुछ ख़ास यादगार फिल्मों पर।
मुंबई। मीना कुमारी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1939 में आई फिल्म ‘लेदरफेस’ से की थी। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ग्यारह फिल्में करने के बाद उनको ‘बच्चो का खेल’ में लीड एक्ट्रेस बनने का मौका मिला। तब मीना 13 साल की थीं। मीना काम तो कर रही थीं, लेकिन एक अदाकारा के नाम में वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया। आखिर साल 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने उनको बुलंदियों तक पहुंचाया।
मीना ने तीस साल के करियर में तकरीबन 90 फिल्मों में काम किया। इनमें से अधिकतर में उनकी अदाकारी को सराहा गया। लेकिन उनकी बेहतरीन फिल्मों में से कुछ चुनिंदा फिल्में लेकर आए हैं।
बैजू बावरा साल 1952 में रिली…
मुंबई। मीना कुमारी ने अपने करियर की शुरुआत साल 1939 में आई फिल्म ‘लेदरफेस’ से की थी। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ग्यारह फिल्में करने के बाद उनको ‘बच्चो का खेल’ में लीड एक्ट्रेस बनने का मौका मिला। तब मीना 13 साल की थीं। मीना काम तो कर रही थीं, लेकिन एक अदाकारा के नाम में वो मुकाम हासिल नहीं हो पाया। आखिर साल 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने उनको बुलंदियों तक पहुंचाया।
मीना ने तीस साल के करियर में तकरीबन 90 फिल्मों में काम किया। इनमें से अधिकतर में उनकी अदाकारी को सराहा गया। लेकिन उनकी बेहतरीन फिल्मों में से कुछ चुनिंदा फिल्में लेकर आए हैं।
बैजू बावरा साल 1952 में रिली…